shop-banner

Subhash Mukhopadhyay

Narak Gulzar

  • Author Name:

    Subhash Mukhopadhyay

  • Book Type:
  • Description: मानवीय गरिमा और सामाजिक मूल्यों की स्थापना के लिए निरन्तर युद्धरत बाडाला के अप्रतिम एवं शीर्षस्थ रचनाकार सुभाष मुखोपाध्याय का मार्मिक उपन्यास है—‘नरक गुलज़ार’। किसी प्रतिष्ठित उपक्रम का एक वरिष्ठ अधिकारी अचानक कुष्ठ रोग का शिकार हो जाए और फिर अपने सामाजिक जीवन और गिरस्ती को तिलांजलि देकर कोढ़ियों की एक उपनगरीय बस्ती में आकर अपना जीवन गुज़ारने लगे तो किसे यह विश्वास होगा कि वह इस बस्ती का सर्वप्रिय चाचा 'पैन साहब' हो जाएगा! चोरी-चकारी, देसी दारू बनानेवालों और भीख माँगनेवालों की यह बस्ती धीरे-धीरे उसे इतनी प्रिय लगने लगती है कि वह अपने अतीत को भूलकर अपने सामने चुनौती देते वर्तमान को अपना सबकुछ सौंप देता है और सारी बस्ती के सुख-दु:ख उसके अपने-से लगने लगते हैं। कोढ़ से गल गए शरीरों और इसके साथ भूमिसात सपनों की यह अपरिचित दुनिया बाहर से बड़ी ख़ौफ़नाक लगती है, लेकिन कोढ़ियों का अपना संसार कितना रोचक और संवेदनशील होकर धीरे-धीरे सुभाष दा जैसे कवि का रचनात्मक संसार बन जाता है! नक्सल आन्दोलन से जुड़े कथानकों ने साठ-सत्तर के दशकों में बांग्ला साहित्य में कभी धूम-सी मचा दी थी और आलोचकों ने इसे लेखकों का ‘नक्सलमेनिया’ भी कहा था। राजनीतिक पृष्ठभूमि में कोढ़ियों की बस्ती में युवा नक्सलों के आगमन, पुलिस का दमन-चक्र, व्यवस्था की बर्बरता और फ़र्ज़ी मुठभेड़ में उनका सफ़ाया, एक बुज़ुर्ग कोढ़िन चामुरिया के प्रेम और फिर उसके माँ बनते-बनते गुज़र जाने और इसी बस्ती की सोनी के अनब्याहे मातृत्व जैसी मार्मिक घटनाएँ इस लघु उपन्यास को बेहद जीवन्त बना देती हैं। इस उपन्यास का ताना-बाना कुछ इस तरह बुना गया है कि पाठक को यह पता ही नहीं चलता कि इसने उसे कब अपनी गिरफ़्त में ले लिया है।
Narak Gulzar

Narak Gulzar

Subhash Mukhopadhyay

80

₹ 64

Offers

Best Deal

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

whatsapp