Shivdas Pandey
Chanakya Tum Laut Aao
- Author Name:
Shivdas Pandey
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Book Type:

- Description: "भारतीय ऐतिहासिक संस्कृति की पुरातनता तथा भारत की सांस्कृतिक ऐतिहासिकता की प्राचीनता पर पाश्चात्य विद्वान् साहित्यकारों, यथा—‘विलियम जोंस’ प्रभृति जानकारों ने अपनी धार्मिक वर्चस्वता का भारत की ऐतिहासिक प्राचीनता पर जिस रूप में हमला बोलने का अत्युक्तिप्रद प्रयास किया, भारतीय विद्वान् साहित्यकारों को कदापि सह्य न हुआ। विद्वान् साहित्यकार डॉ. शिवदास पांडेय के प्रस्तुत उपन्यास ‘चाणक्य, तुम लौट आओ’ में तथा इसके पूर्व प्रकाशित उपन्यासों—‘द्रोणाचार्य’, ‘गौतम गाथा’ के प्राक्कथनों में उसकी नितांत अध्ययनशीलता की सीरिज उरेही जा सकती है। इन प्राक्कथनों में पाश्चात्यों के हमलों के मुँहतोड़ व्यक्त-अव्यक्त प्रत्युत्तर गौर करने योग्य हैं। डॉ. शिवदास पांडेयजी की औपन्यासिक दक्षता पुरातन ऐतिहासिक इमारतों के टूटेफूटे रूप को अपने अद्वितीय कौशल से प्रशंस्य साहित्यिक शिल्पी के स्वरूप ढालने में है। इन्होंने अद्वितीय, अपूर्व रूप में अपने सत्कार्य स्वरूप की सफल सिद्धि की है। लेखक ने अपनी सृजन शक्ति की कल्पनात्मक डोर से सघन कथात्मक धूमिलताओं के बीच गहरे गड़े जिस अद्वितीय कौशल से प्रकाश का आँगन उकेरा, संयुक्त सूत्रात्मक बंधन में बाँधा, इस अभिनव बौद्धिक विशेषता को अपनी सविशेष सोच से अशेषगौरव उन्हें स्वतः प्राप्त हो जाता है। इतिहास जब साहित्यमुख से अपने को अभिव्यक्त करता है तो निजी अविरामता में ‘द्रोण’ और ‘चाणक्य’ सदृश सरस्वती ही अपना नया उद्भव प्राप्त करती हैं। निश्चय ही, डॉ. शिवदासजी ने अपने ‘चाणक्य, तुम लौट आओ’ उपन्यास के जरिए भारतीय पुरातन क्षितिज के अनेक गौरवशील ध्रुव तारों के जो अभिनव परिचय कराए हैं, वैश्विक धरातल पर मानवसमाज की वे नूतन संस्कारगत लब्धि कहे जा सकते हैं। —डॉ. सियाराम शरण सिंह ‘सरोज’"
Chanakya Tum Laut Aao
Shivdas Pandey
Jagadguru Adya Shankaracharya
- Author Name:
Shivdas Pandey
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Book Type:

- Description: "शंकराचार्य एक ऐसे शास्त्राचार्य का नाम है, जो संस्कृति-रक्षा को युद्ध मानकर शास्त्रार्थ करता है और जिसका अस्त्र-शस्त्र सबकुछ शास्त्र तथा जिसका युद्ध मात्र शास्त्रार्थ है एवं जिसकी शति हजारो-हजार वर्षों की ऋषि-प्रति-ऋषि एवं तपस्या-प्रति-तपस्या सिद्ध ज्ञान-संपदा है। वह न तो खलीफाओं की तरह युद्ध करता है और न नियोजित बोधिसवों की तरह, न ही जैसा देश, वैसा वेश, वैसा धर्म का सिका चलानेवाले ईसाई पादरियों की तरह। वह शास्त्र के शस्त्र से शास्त्रार्थ का युद्ध लड़ना जानता है—धर्म के क्षेत्र में ज्ञान तथा न्याय के निर्धारित विधानों के सर्वथा अनुरूप। यह युद्ध षड्दर्शनों तथा षड्चक्रों के साधकों के साथ-साथ इन ब्रह्मवादी शैव-दर्शन के तंत्रोन्मुख कश्मीरी शैवों से भी होता है और वह सोलह वर्षों में सभी विवादों का समाधान ढूँढ़कर वैदिक संस्कृति को पुन: स्थापित करता है। शंकराचार्य जैसा आचार्य होना, एक योगसिद्ध-ज्ञानसिद्ध तथा ध्यानसिद्ध आचार्य होना और ऐसे आचार्य का एक सिद्ध जगद्गुरु हो जाने का भी कोई विशेष अर्थ होता है। वह समय आ गया है, जब पुन: एक बार भारत को जगद्गुरु शंकराचार्य का मात्र दर्शन-चिंतन-मंथन वाला युग नहीं, वरन् भारत डॉट कॉम विश्वगुरुवाले नए युग का भी गौरवशाली जगद्गुरु पद प्राप्त होना चाहिए। भारतीय धर्म-दर्शन-संस्कृति परंपराओं के ध्वजवाहक कोटि-कोटि हृदयों के आस्थापुंज जगद्गुरु शंकराचार्य के प्रेरणाप्रद-अनुकरणीय जीवन पर केंद्रित पठनीय उपन्यास। "