Shaligram
Kit Aayun Kit Jaayun
- Author Name:
Shaligram
-
Book Type:

- Description:
‘कित आऊँ कित जाऊँ’ उपन्यास का लम्बा-चौड़ा फलक उत्तर बिहार की नदियों से घिरे गाँव का दृश्य उपस्थित करता...दक्षिण गंगा के कछार को छूता...उत्तर नेपाल के तराई भाग वाली मधेसी संस्कृति को एकीकृत करता हुआ समाज के भिन्न-भिन्न पात्रों की सहजता को बटोरता आगे बढ़ता है। इसमें हमें सुरपत और निरपत जैसे निम्नवर्गीय चरित्रों के संघर्षरत जीवन में अकिंचनता का बोध होते हुए भी; उनके अन्दर छिपे धैर्य, साहस एवं आत्मविश्वास की जिजीविषा का परिचय मिलता है। उपन्यास के सभी पात्र भिन्न-भिन्न रंग में रँगे हुए भी अपनी अस्मिता को बचाते हुए वे उस सादे एवं शाश्वत रंग में अपने को रँगाए रखते हैं जो ‘सब रंग मिटै; मिटे नहीं वह जो अमिट-अविनाशी’।
सुरपत, निरपत से लेकर भुजंगीचा जैसे माँझी-मल्लाह या टम्मन साहू, अनूप लाल, घोटल झा, तीरो सिंह जैसे मध्यवर्गीय चरित्र या कुमार साहब, रानीदाय, टापसी, लॉलीडीन, ठाकुर गरजू सिंह एवं पी.के. मलिक जैसे उच्चवर्गीय चरित्रों का यहाँ शुमार मिलता है जिससे उपन्यास की सार्थकता बनी रहती है। यह उपन्यास लघुता में छिपे अपने उस विराट को हमारे सम्मुख प्रस्तुत करता है जो अदृश्य होते हुए भी दृश्य है।
Kit Aayun Kit Jaayun
Shaligram
Ghogho Rani Kitta Paani
- Author Name:
Shaligram
-
Book Type:

- Description: प्रस्तुत रचना रिपोर्ताजीय शैली की कलात्मक कृति है, जो अपनी कथा तथा उपकथाओं के छोटे-छोटे द्वीप बनाती आधुनिक तथा पौराणिक बिंबों का आदर्शोन्मुख वृत्त-चित्र उपस्थित करती है। रचना के अंतिम भाग में लोककथाओं के नायक अपने-अपने सुकर्मों की ध्वजा उठाए समाज के सिरमौर बने हुए हैं, जिसमें लोकनायक, लोरिक तथा लोकदेवता विशुराउत, कारूखिरहरि एवं दीनाभदरी के नाम शुमार में आते हैं, जिन्हें लेखक ने अपनी भाषिक पकड़ से बेहद रोचक बना दिया है। प्रस्तुत रचना में किस्सागोई तो है ही, लोकजीवन के विविध रंगों के साथ-साथ रागात्मक संवेदना भी उपस्थित है। रचना के प्रथम भाग में कोसी नदी के उद्गम, जल-ग्रहण क्षेत्र, प्रवाह मार्ग, इसकी विध्वंसक परिवर्तनशीलता, विभिन्न धाराएँ, गंगा में संगमन इत्यादि भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक स्थितियों के रेखांकन के साथ-साथ इसकी विनाशलीला का भी विस्तार से वर्णन है। कोसी क्षेत्र संगीत-कला का भी गढ़ रहा है, जो सहरसा के अंतर्गत पंचगछिया घराने के नाम से जाना जाता है। मांगन कामति पंचगछिया राजदरबार के बेजोड़ ठुमरी गायक थे। उनकी प्रसिद्धि बिहार से बाहर तक फैली हुई थी। पं. ओंकारनाथ ठाकुर, विनायकराव पटवर्द्धन, पं. जशराज, फैयाज खाँ जैसे दिग्गज संगीतज्ञों ने उनकी प्रशंसा की है। कहा जाता है कि एक महफिल में सुप्रसिद्ध गायिका अखतरीबाई फैजाबादी (बेगम अख्तर) ने जब मांगन के बोल सुने तो बोल पड़ीं—‘‘अरे भाई, जिंदा रहने दोगे या नहीं!’’ क्या मधुर एवं जादुई आवाज थी उनकी। तभी तो वे पंचगछिया राजदरबार के तानसेन कहलाते थे।
Ghogho Rani Kitta Paani
Shaligram
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.