Rampratap Tripathi Shastri
Hinduon ke vrat parv aur Tyohar
- Author Name:
Rampratap Tripathi Shastri
-
Book Type:

- Description:
भारतरत्न बाबू पुरुषोत्तमदास जी टण्डन की पुण्य स्मृति में समर्पित इस पुस्तक में हिन्दुओं के सम्पूर्ण व्रतों, त्योहारों और पर्वों से सम्बन्धित पौराणिक, लौकिक तथा शास्त्रीrय विद्याओं की परम्परागत प्राचीन विधियों का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया गया है।
व्रत, पर्व और त्योहार यद्यपि ये तीनों उत्सव के भिन्न-भिन्न रूप हैं तथापि किसी-न-किसी रूप में इनमें परस्पर विचित्र समानता पायी जाती है। व्रत का विधान बहुधा आध्यात्मिक अथवा मानसिक शक्ति की प्राप्ति के लिए, चित्त अथवा आत्मा की शुद्धि के लिए, संकल्प-शक्ति की दृढ़ता के लिए, ईश्वर की भक्ति और श्रद्धा के विकास के लिए, वातावरण की पवित्रता के लिए, दूसरों पर अपने प्रभाव जमाने के लिए, अपने विचारों को उच्च एवं परिष्कृत करने के लिए तथा प्रकारान्तर से स्वास्थ्य की प्रगति के लिए किया जाता है। यद्यपि भारतीय विचारधारा में व्रत का सामान्य अर्थ व्रत अथवा उपवास ही है, तथापि कुछ ऐसे व्रत हैं जिनमें उपवास का स्थान गौण है और चित्त-शुद्धि अथवा आत्म-परिष्कृत का स्थान मुख्य है। पर्व किसी मुख्य तिथि अथवा ज्योतिष के अनुसार ग्रहों आदि के संयोग का ही दूसरा नाम है, जो किसी निर्दिष्ट समय पर आता है। पर्व का बीच-बीच में निर्दिष्ट अवधि पर आते रहते हैं जैसे कुम्भ पर्व आदि। आकाश के नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति के अनुसार इन पर्वों का धरती के जीवन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। त्योहार एक सामान्य शब्द है। आजकल इसका प्रयोग व्रत और पर्व के लिए भी होने लगा है, किन्तु इसका तात्पर्य वस्तुत: लौकिक उत्सवों एवं समारोहों की तिथि से ही अधिक समीप है जैसे दशहरा, होली आदि।
व्रत दो प्रकार के होते हैं, ‘काम्य’ और ‘नित्य’। काम्य उन्हें कहते हैं जो किसी विशेष कामना को लेकर किये जाते हैं और नित्य वे हैं, जिनमें किसी कामना का समावेश नहीं होता, वरन् जो भक्ति और प्रेम के कारण आध्यात्मिक प्रेरणा से किये जाते हैं। निष्काम अथवा नि:स्वार्थ व्रत का ही स्थान ऊँचा होता है।
व्रत का सामान्य अर्थ आज ‘उपवास’ हो गया है। उपवास शब्द का अर्थ है दुर्गुणों एवं दोषों से बचकर आत्मा अथवा गुणों के साथ वास अर्थात् निवास। इन व्रतों अथवा पर्वों में हमारे देश के भिन्न-भिन्न मतावलम्बी लोगों के लिए अपनी-अपनी कुल-परम्परागत मान्यता के अनुसार चलने की पूरी सुविधाएँ प्रदान की गयी हैं। एक धर्म अथवा सम्प्रदाय के देवता का अन्य धर्म अथवा सम्प्रदाय में बड़ी उदारता एवं सहानुभूति के साथ चित्रण किया गया है। सनातन हिन्दू धर्म में तो इस व्यापक दृष्टिकोण का पदे-पदे परिचय मिलता है। भगवान् विष्णु के चौबीसों अवतारों में जैन धर्म के आदि प्रवर्तक भगवान् ऋषभदेव तथा बुद्ध धर्म के प्रतिष्ठापक भगवान् गौतम बुद्ध का भी गिनाया गया है और इनकी जयन्तियों तथा पुण्यकथाओं को सुनने-सुनाने का बड़ा माहात्म्य वर्णित है।
सनातनी हिन्दुओं के मुख्य त्योहारों होली, दीवाली, विजयादशमी, वसन्तपंचमी, नागपंचमी आदि त्योहार तो बौद्ध, जैन आदि मतों में भी सनातन धर्म के समान ही समादृत और महत्त्वपूर्ण हैं। कुछ अन्य त्योहार तो ऐसे भी हैं जो सनातन धर्म में किसी अन्य कारण से महत्त्व रखते हैं और बौद्ध तथा जैन धर्म में किसी अन्य कारण से। किन्तु हिन्दुओं के सभी मतानुयायियों में उनकी विशेषता अखण्डित है। कार्तिकी पूर्णिमा, मार्गशीर्ष शुक्ला एकादशी, अक्षय तृतीया, अनन्त चतुर्दशी आदि व्रतों अथवा पर्वों का सनातन हिन्दू धर्म तथा बौद्ध एवं जैन धर्मों में समान महत्त्व है, किन्तु कारण भिन्न-भिन्न दिये गये हैं।
Hinduon ke vrat parv aur Tyohar
Rampratap Tripathi Shastri
Upnishadon ki kahaniya
- Author Name:
Rampratap Tripathi Shastri
-
Book Type:

- Description:
उपनिषदों का दूसरा नाम ‘रहस्यविद्या’ बतलाया गया है। उपनिषदें वह रहस्यविद्या हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय संस्कृति की सभी विचारधाराओं को जीवन-दान करती हैं। वे इतनी रहस्यमयी हैं कि उनका सर्वस्व जानने का अधिकारी कोई एक व्यक्ति कभी नहीं रहा। यदि कोई एक ऐसा व्यक्ति रहा भी हो तो उसका मत ही सर्वमान्य नहीं रहा। इस ‘रहस्यविद्या' को जानने का अधिकार प्राप्त करने के लिए 'नचिकेता' के समान सर्वस्व त्याग करना पड़ता था। उपनिषदों में उस काल की अध्यात्म एवं दर्शन-सम्बन्धी सामग्रियों के भव्य चित्र ही नहीं सँजोए गए हैं, प्रत्युत भारतीय जीवन-दर्शन के सभी पहलुओं का गम्भीर विवेचन भी उनमें किया गया है। मानव-जीवन में ही नहीं, इस निखिल विश्व में व्याप्त सत्य की जिज्ञासा एवं उसके अन्वेषण के लिए उपयोगी साधन की ऐसी उत्कट उत्कंठा उनमें व्यक्त है, जो विश्व के विस्तृत वाङ्मय में अन्यत्र दुर्लभ है। मानवीय प्रतिभा एवं पहुँच का इनसे बढ़कर कोई दूसरा उदाहरण इस रूप में अभी तक नहीं बन सका है। सचमुच, मानव की उत्कृष्ट कल्पना का ऐसा शाश्वत एवं कल्याणकारी रूप विश्व-साहित्य में अभी तक दूसरा नहीं दिखाई पड़ता। यही कारण है कि आर्य धर्म न माननेवाले भी उन पर तन-मन से निछावर हैं।
उपनिषदों में दी गई शिक्षाओं में वह दिव्य तेज़ है जिसे व्यावहारिक रूप में लाकर कोई भी व्यक्ति, कोई भी समाज अवनति के गर्त में कभी नहीं गिर सकता, प्रचुर दुःख-दैन्य से छुटकारा पा सकता है। विद्वेश और घृणा की आग से उसे कोई भय नहीं हो सकता और न भौतिक अभाव के कारण उसे दर-दर भटकना ही पड़ेगा। काम-क्रोधादि विकारों को दूर करने की इनमें अमोघ शक्ति है, आत्म-ज्योति को पहचानने के लिए इनसे बढ़कर कोई दूसरा साधन नहीं है।
उपनिषदें शाश्वत ज्ञान की अक्षय भंडार हैं। सारे संसार में ऐसा कोई दर्शन नहीं है, विचारधारा
नहीं, जो इनसे प्रभावित नहीं हुई है।
प्रस्तुत पुस्तक में उन्नीस कहानियाँ संगृहीत हैं। इनकी भाषा में सरलता लाने की चेष्टा की गई है तथा कुछ महत्त्वपूर्ण अवतरण बढ़ा दिए गए हैं जिससे पुस्तक की उपयोगिता और बढ़ गई है। आशा है, प्रस्तुत संस्करण छात्रों, शोधार्थियों तथा जिज्ञासु पाठकों का मार्गदर्शन करने में सहायक सिद्ध होगी।
Upnishadon ki kahaniya
Rampratap Tripathi Shastri
Panchtantra Ki Kahaniyan
- Author Name:
Rampratap Tripathi Shastri
-
Book Type:

- Description: पंचतंत्र की कहानियों में पांडित्य और हास्यरस का जो अपूर्व समन्वय देखने को मिलता है, उससे ज्ञात होता है कि इसका रचयिता कितना मधुर कथाकार तथा निपुण लेखक था। उसकी तीक्ष्ण बुद्धि राजनीति और कूटनीति की गुत्थियों में जितनी रमती थी, उतनी ही पाठकों तथा श्रोताओं की सहानुभूति, अभिरुचि, कल्पना एवं मनोरंजन की भावना को तुष्ट करने के लिए प्रयत्नशील रहती थी। उसने एक ऐसी कथाशैली का आविष्कार किया, जो आज के युग में भी अनुकरणीय बनी हुई है। उसकी प्रत्येक कहानी स्वयं कहानी के रूप में जितनी मनोहारिणी तथा लोकरंजक है, उतनी ही किसी धर्म-कथा, राजनीति, कूटनीति अथवा सामाजिक हित-चिन्ता का मनोहर दृष्टान्त उपस्थित करनेवाली भी है।
Panchtantra Ki Kahaniyan
Rampratap Tripathi Shastri
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.