Ramdarash Mishra

Ramdarash Mishra

5 Books

Sapanon Bhare Din

  • Author Name:

    Ramdarash Mishra

  • Book Type:
  • Description: Awating description for this book
Sapanon Bhare Din

Sapanon Bhare Din

Ramdarash Mishra

350

₹ 280

Hindi Upanyas Ek Antaryatra

  • Author Name:

    Ramdarash Mishra

  • Book Type:
  • Description: हिन्दी उपन्यास अभी अपनी यात्रा के सौ वर्ष भी पूर्ण नहीं कर सका है, किन्तु इतने ही दिनों में वह जीवन यथार्थ के इतने मोड़ों और विषम धरातलों से गुजरा है कि उसे ‘आधुनिक जीवन का आईना’ कहा जा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक उपन्यास-यात्रा की एक अन्तर्यात्रा है। यह बहुत-सी छोटी-मोटी पुस्तकों की तरह धरातल पर दिखाई पड़ने वाली घटनाओं, श्रेणीबद्ध चरित्र-चित्रणों, संस्थागत विचारों और रूढ़ शिल्प-चर्चाओं के ब्योरे में नहीं भटकी है, यह तो यात्रा की भीतरी चेतनाओं, सामाजिक और मानसिक सत्यों के सन्दर्भों में उभरते विविध मोड़ों और गतियों को पकड़ने के प्रयत्न में रही है। इसीलिए इसमें उपन्यास की गतियों, मोड़ों और चेतनाओं तथा उन्हें निर्मित या प्रभावित करनेवाली परिस्थितियों का निरीक्षण तो किया ही गया है, साथ-ही-साथ विशिष्ट कृतियों की निजी सौन्दर्य-चेतना को भी संश्लिष्ट रूप में रखने का प्रयास है। निजी सौन्दर्य-चेतना के अभाव में कृतियाँ कृतियाँ न रहकर सामाजिक या मनोवैज्ञानिक सत्यों का दस्तावेज बन जाती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में इसलिए बहुत से ऐसे चर्चित मोटे-मोटे उपन्यास नहीं लिए गए हैं जो सौन्दर्य-चेतना के अभाव में विशिष्ट सृजन नहीं बन सके हैं। सीमित आकार के नाते भी प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे अनेक उपन्यासों को छोड़ना पड़ा है जिनकी चर्चा की जा सकती तो अच्छा रहता, किन्तु किसी धारा में प्रमुख योगदान न दे सकने या निजी तौर पर विशिष्टतर उपलब्धि न प्राप्त कर सकने के कारण जिनका अचर्चित रह जाना विशेष महत्त्व नहीं रखता। लेखक की अन्तर्दृष्टि हिन्दी उपन्यास के संश्लिष्ट व्यक्तित्व और उसकी चेतना-यात्रा को पहचानने में सफल हुई है। यह पुस्तक अपने सीमित आकार में भी समग्र और प्रभावशाली है।
Hindi Upanyas Ek Antaryatra

Hindi Upanyas Ek Antaryatra

Ramdarash Mishra

795

₹ 636

Pratinidhi kahaniyan : Ramdarash Mishra

  • Author Name:

    Ramdarash Mishra

  • Book Type:
  • Description: रामदरश मिश्र की कहानियों का व्यास चौड़ा है। उनकी चिन्ताओं का छोर व्यापक है। किन्तु जिस एक बात को उन्होंने आज तक सर्वाधिक तरजीह दी है, वह है कहानियों की पठनीयता। वे प्रेमचन्द और रेणु के बाद की पीढ़ी के ग्रामीण रचनाकार हैं सो वे ग्रामीण भारत की समस्याओं को नहीं भूलते, अपने इलाके का दर्द नहीं भूलते। वहाँ का सामन्ती आचरण, दरिद्रता, गरीबी, मान-अपमान, अहं में जी रहा सवर्ण समुदाय, भूखे रहने पर विवश दलित और वंचित—सब उनकी निगाह में हैं। उनकी कहानियाँ इन सभी मुद्दों को उठाती हैं। जिस लहज़े में ‘राग दरबारी’ में श्रीलाल शुक्ल ने लिखा है, यहाँ से भारतीय देहात का महासागर शुरू होता है, वह महासागर रामदरश जी के कथा संसार में लहराता मिलता है। कितने आन्दोलन उनके सामने से होकर गुजरे, पर वे उस शोर-शराबे के बीच भी अनुभव, बोध और रूपबन्ध के स्तर पर वैविध्यपूर्ण कहानियाँ लिखते रहे और आज भी उसी त्वरा के साथ विभिन्न विधाओं को अपनी रचनात्मकता से समृद्ध कर रहे हैं। प्रतिनिधि कहानियाँ में सम्मिलित कथा संसार उनकी इसी बहुवस्तुस्पर्शिता का परिचायक है।
    —ओम निश्चल
Pratinidhi kahaniyan : Ramdarash Mishra

Pratinidhi kahaniyan : Ramdarash Mishra

Ramdarash Mishra

199

₹ 159.2

Pratinidhi kavitayein : Ramdarash Mishra

  • Author Name:

    Ramdarash Mishra

  • Book Type:
  • Description: लगभग एक शताब्दी वय के हिन्दी विश्व के श्रेष्ठ कवि रामदरश मिश्र का कवि व्यक्तित्व प्रारम्भ से ही अभिभूत करने वाला और हिन्दी की चिन्तन प्रक्रिया और कविता के सौन्दर्यबोध को सींचने वाला रहा है। उन्हें मिले लगभग सभी बड़े पुरस्कार भी इस बात की गवाही देते हैं। कविता की बुनियादी ज़मीन गीत, कवित्त, मुक्तक में निष्णात रामदरश जी ने समय रहते नई कविता के स्थापत्य की कमान हाथ में ले ली थी और धीरे-धीरे वे अभिव्यक्ति और अन्दाजे बयां के उस शिखर पर पहुँच गए जहाँ अनुभूति और संवेदना का रसायन गाढ़ा हो उठता है। उनकी कविता में सारे मौसम अपने सौन्दर्य और संघर्ष के साथ सामने आते हैं। इसलिए आश्चर्य नहीं कि ऋतुओं पर लगभग सबसे ज्यादा कविताएँ उन्होंने लिखी हैं। ‘धरती छंदमयी होगी’ का स्वप्न देखने वाला यह कवि शताब्दी-भर के रचनात्मक समय को अपनी छाती से लगाए जैसे उसकी धड़कनों को बहुत पास से सुन रहा हो। ‘पथ के गीत’ से लेकर ‘समवेत’ तक की उनकी कविता यात्रा कविता की ऊर्ध्वमुखी यात्रा है। उसमें हमारी कवि परम्परा के साथ-साथ पिछली शताब्दी और इस सदी का समय प्रतिबिम्बित होता दिखता है। उनकी कविताओं में विश्वबन्धुता है, विराट का स्पन्दन है, जीवन के एक-एक पल को जीने की चाहत है। उनकी खूबी है कि वे एक कौंध, एक पुलक-भर से कविता रच लेते हैं और यही कौंध, पुलक, सुख, विषाद, विडम्बना और प्रश्नाकुलता उनकी कविताओं के क्रोमोज़ोम में अनुस्यूत है। यही वह कवि का सतत गंवई गार्हस्थ्य है जो यह कहने में गर्व का अनुभव करता है कि ‘हम पूरब से आए हैं’। सच कहें तो इन कविताओं में उनका समूचा कवि व्यक्तित्व समाहित है।
    —ओम निश्चल
Pratinidhi kavitayein : Ramdarash Mishra

Pratinidhi kavitayein : Ramdarash Mishra

Ramdarash Mishra

199

₹ 159.2

Bina Darvaze Ka Makaan

  • Author Name:

    Ramdarash Mishra

  • Book Type:
  • Description: आर्थिक विपन्नता से ग्रस्त किसी युवती को जब जीवन-ज्ञापन के लिए काम करना पड़ता है तो समाज के भूखे भेड़िए उसे ललचाई नज़रों से देखने लगते हैं। लेकिन जब उसकी आर्थिक विपन्नता के साथ उसके पति की शारीरिक निष्क्रियता भी जुड़ जाए, तो उसे सार्वजनिक सम्पत्ति ही समझ लिया जाता है। ‘बिना दरवाज़े का मकान’ की नायिका दीपा निम्न वर्ग की एक ऐसी ही अभिशप्त युवती है जो जीविकोपार्जन के साथ-साथ अपनी मर्यादा की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। उसकी जीवन-प्रक्रिया तथा संघर्ष के क्रम में सम्भ्रान्त बेनक़ाब होता जाता है और दो समाज आमने-सामने तने हुए दिखाई पड़ते हैं। दिल्ली की एक भरी-पूरी कॉलोनी की पृष्ठभूमि पर आधारित कथा कभी-कभी गाँव की ओर भी चली जाती है और तब विडम्बना एकदम गहरा जाती है। दर्द और यातना के गहरे प्रसार के बीच जिजीविषा एवं संघर्ष से उत्पन्न मूल्य-चेतना उपन्यास को और सशक्त बनाती है।
Bina Darvaze Ka Makaan

Bina Darvaze Ka Makaan

Ramdarash Mishra

199

₹ 159.2

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