Promod Batra
Apane Parivar Ko Khush Kaise Rakhen
- Author Name:
Promod Batra
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Book Type:

- Description: एक परिवार अपने सदस्यों से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। पति, पत्नी, पुत्री, पुत्र, दादा-दादी, चाचा-चाची और नाती-पोते—इन सबकी एक परिवार में अपनी-अपनी जरूरतें, उत्तरदायित्व, विचार और कार्य होते हैं। सभी के अपने-अपने गुण-अवगुण, कमजोरियाँ, व्यक्तिगत लक्षण और व्यक्तित्व होते हैं। इन सबमें परस्पर संवाद द्वारा एक-दूसरे से मतभेद, संघर्ष भी हो सकता है या फिर खुशी की प्राप्ति और प्रत्येक सदस्य के प्रति कुछ अच्छा करने की सद्भावना भी आ सकती है। पुस्तक में सभी के लिए कुछ-न-कुछ है—बड़ों के लिए और बच्चों के लिए, नवविवाहितों के लिए और विवाहितों के लिए, पति व पत्नियों के लिए, पुत्र व पुत्रियों के लिए, ससुरालवालों के लिए, दादी-दादा व नाती-पोतों के लिए भी संदेश हैं। इसलिए इस पुस्तक का कोई भी भाग परिवार के किसी भी सदस्य के लिए अप्रासंगिक नहीं है तथा पाठक चाहे परिवार में किसी भी स्थिति में हों, इस पुस्तक का पूरा लाभ उठाने के लिए इसके प्रत्येक भाग को पढ़ें, जिससे कि परिवार में अपनी स्थिति को समझ सकें। अगर हम आनंददायक विचारों को सोचेंगे तो खुश होंगे; अगर हम दयनीय विचारों को सोचेंगे तो दयनीय होंगे। अगर हम कायरतापूर्ण विचारों को सोचेंगे तो कायर बन जाएँगे। खुशी जीवनदायी फसल है, तनाव जंगली घास के समान है। आप किसे चुनते हैं?
Apane Parivar Ko Khush Kaise Rakhen
Promod Batra
Safal Manager Kaise Banen
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Promod Batra
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- Description: Awating description for this book
Safal Manager Kaise Banen
Promod Batra
Grahakon Ko Khush Rakhna Seekhen
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Promod Batra
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- Description: "ग्राहकों को खुश रखना सीखें ग्राहक की खुशी को सुनिश्चित करना या यूँ कहें कि ग्राहक की संतुष्टि उसके प्रति उत्तरदायित्व का मूल तत्त्व है। जिस व्यवसाय में ग्राहक के प्रति जितना ज्यादा उत्तरदायित्व होगा, वह व्यवसाय उतना ही अधिक सफल होगा। इसलिए ग्राहकों की बात सुनिए, अपने उनकी इज्जत कीजिए, उनकी जरूरतों का आदर कीजिए, उनसे मिले अनुभवों पर ध्यान (आलोचना नहीं) दीजिए, उनकी प्रशंसा कीजिए कि आप उनकी वजह से ही यहाँ हैं, और सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण बात कि नम्र बनिए, तब आप किसी भी व्यवसाय के लिए ‘श्रेष्ठ व्यक्ति’ हैं। यह पुस्तक सलाह देती है कि अपने ग्राहकों की आवश्यकताओं और दुविधाओं के प्रति मित्रतापूर्ण व्यवहार प्रदर्शित कीजिए। ग्राहक की अधिक खुशी के लिए कम वादे करें और अधिक काम करें। महात्मा गांधी ने भी कहा था कि ‘ग्राहक भगवान् का रूप होता है।’ व्यवसाय की सफलता भी इसी ग्राहक-रूपी भगवान् की मुसकान में छिपी है। सरल-सुबोध भाषा में ग्राहकों/कस्टमर्स को खुश करके व्यावसायिक उन्नति के मूलमंत्र बताती एक रोचक एवं पठनीय पुस्तक। "