Apane Parivar Ko Khush Kaise Rakhen
Author:
Promod BatraPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Self-help0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
एक परिवार अपने सदस्यों से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। पति, पत्नी, पुत्री, पुत्र, दादा-दादी, चाचा-चाची और नाती-पोते—इन सबकी एक परिवार में अपनी-अपनी जरूरतें, उत्तरदायित्व, विचार और कार्य होते हैं। सभी के अपने-अपने गुण-अवगुण, कमजोरियाँ, व्यक्तिगत लक्षण और व्यक्तित्व होते हैं। इन सबमें परस्पर संवाद द्वारा एक-दूसरे से मतभेद, संघर्ष भी हो सकता है या फिर खुशी की प्राप्ति और प्रत्येक सदस्य के प्रति कुछ अच्छा करने की सद्भावना भी आ सकती है। पुस्तक में सभी के लिए कुछ-न-कुछ है—बड़ों के लिए और बच्चों के लिए, नवविवाहितों के लिए और विवाहितों के लिए, पति व पत्नियों के लिए, पुत्र व पुत्रियों के लिए, ससुरालवालों के लिए, दादी-दादा व नाती-पोतों के लिए भी संदेश हैं। इसलिए इस पुस्तक का कोई भी भाग परिवार के किसी भी सदस्य के लिए अप्रासंगिक नहीं है तथा पाठक चाहे परिवार में किसी भी स्थिति में हों, इस पुस्तक का पूरा लाभ उठाने के लिए इसके प्रत्येक भाग को पढ़ें, जिससे कि परिवार में अपनी स्थिति को समझ सकें।
अगर हम आनंददायक विचारों को सोचेंगे तो खुश होंगे; अगर हम दयनीय विचारों को सोचेंगे तो दयनीय होंगे। अगर हम कायरतापूर्ण विचारों को सोचेंगे तो कायर बन जाएँगे। खुशी जीवनदायी फसल है, तनाव जंगली घास के समान है। आप किसे चुनते हैं?
ISBN: 9788173157363
Pages: 252
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Ruk Jana Nahin
- Author Name:
Dr. Sachin Pachorkar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Swami Vivekananda Se Seekhen Leadership Ke Gurumantra
- Author Name:
Kunwar Kanak Singh Rao
- Book Type:

- Description: स्वामी विवेकानंद युगप्रवर्तक थे। पराधीनता की बेड़ियों में जकड़े भारतवर्ष की स्वाधीनता के लिए उन्होंने निराश समाज को जाग्रत किया; उसकी पराजित मनस्थिति को संबल दिया। उनके विचार जटिल थे और तत्समय की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों पर आधारित थे। तत्कालीन समाज पतन की ओर अग्रसर था और तरह-तरह के अंधविश्वासों में जकड़ा हुआ था। विवेकानंद इससे दुःखी और परेशान थे। अंग्रेज औपनिवेशिक शासन के कुप्रभावों से भी वे अनजान नहीं थे। विवेकानंद का सबसे बड़ा योगदान यह था कि उन्होंने औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के लिए संघर्ष को आध्यात्मिक आधार दिया और नैतिक व सामाजिक दृष्टि से हिंदू समाज के उत्थान के लिए काम किया। यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद के नेतृत्वकर्ता के अप्रतिम विचारों का मणिरत्न है। इसका अध्ययन कर हर वर्ग के पाठक अपनी आत्मिक, आध्यात्मिक एवं वैयक्तित्व उन्नति का पथ प्रशस्त कर सकते हैं और जीवन में सुख-संतोष-सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
Ravindranath Ki Parlok Charcha
- Author Name:
Amitabh Chowdhury
- Book Type:

-
Description:
मृत्यु के बाद क्या जीवन का अस्तित्व रह जाता है? आधुनिक विज्ञान यद्यपि इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकता, फिर भी यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि सभ्यता के आदिकाल से मनुष्य इस प्रश्न से निरन्तर जूझता रहा है। भूत-प्रेतमूलक आदिम अन्धविश्वासों से ऊपर उठने पर भी प्राचीन तत्त्वचिन्तक ‘परलोक’ की कल्पना करते हैं और आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं। हमारे उपनिषदों ने तो स्पष्ट रूप से आत्मा के अविनश्वर होने की घोषणा कर डाली। ऐसी स्थिति में यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है—‘क्या इन बातों को महज इसलिए उड़ा दिया जाए कि विज्ञान की प्रयोगशाला में इन्हें सिद्ध नहीं किया जा सकता?’
प्रस्तुत पुस्तक में बांग्ला के सुख्यात शब्दशिल्पी अमिताभ चौधरी इसी प्रश्न को रेखांकित करते हुए अनेक रोचक एवं विस्मयकर तथ्यों की जानकारी देते हैं, जिनका विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर के जीवन और साहित्य से सीधा सम्बन्ध है। अपने जीवनकाल में उन्होंने अनेक प्रयोग किये थे और एक विशिष्ट ‘माध्यम’ के द्वारा परलोकगत आत्माओं से ‘बातचीत’ भी की थी। उन विस्तृत वार्तालापों के विवरण लिखित रूप में आज भी शान्तिनिकेतन के ‘रवीन्द्र-सदन’ में सुरक्षित हैं तथा उन्हीं को लेखक ने अत्यन्त प्रामाणिक और कलात्मक ढंग से इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि मृत्यु के बाद के जीवन के सम्बन्ध में रवीन्द्रनाथ की आशा और आस्था असीम थी, उनके अनेकानेक गीतों और कविताओं में इसी की अभिव्यक्ति हुई है।
Go! Navigate Your Way to Success
- Author Name:
George Harrison Phelps +1
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sakaratmak Soch
- Author Name:
C. S. Mishra
- Book Type:

-
Description:
इस पुस्तक के मूल स्वरूप में ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु’ की संजीवनी से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हेतु परस्परता की कड़ी को ‘प्रबन्धन’ की चाबी से जोड़ने का अभूतपूर्व सोपान तैयार किया गया है।
आप पर सदैव के लिए, आपके अतीत का बोझ नहीं लादा जा सकता है। आपको यह विकल्प उपलब्ध है कि आप नकारात्मकता को पीछे छोड़ दें और सकारात्मकता को अपने साथ लेकर आगे चलें और यह अच्छा ही है कि कड़वी स्मृतियों को पीछे छोड़ दिया जाए। बोझ का नकारात्मक आकार असुरक्षा, निम्न आत्मसम्मान, भय, क्रोध, संशय आदि है। कभी-कभी वे आपके अवचेतन मन में इतने गहरे दबे हुए होते हैं कि उन्हें समूल उखाड़ फेंकना बड़ा कठिन होता है। यदि आप नकारात्मक दृष्टिकोण का बोझ उठाए चलते हैं, तो आपके ऐसा सोचने की प्रबल सम्भावना है कि अतीत में जो कुछ आपके साथ हुआ है, भविष्य में भी वैसा ही होगा। आज के चुनौती-भरे संसार में यह महत्त्वपूर्ण है कि आप में उत्साह हो और इससे भी ऊपर अपने जीवन के सभी पहलुओं के विषय में आपमें सकारात्मक चिन्तन हो। विचार-प्रबन्धन, अपने नकारात्मक चिन्तन को सकारात्मक चिन्तन में बदल देने के अलावा और कुछ नहीं है। यदि आपने नकारात्मक भावों और विचारों पर विजय पाने के लिए स्वयं को तैयार करने का निर्णय कर लिया है, तो इसके लिए समझो, आपने एक सही पुस्तक का चयन कर लिया है।
यह पुस्तक आपको अपने विचारों को नकारात्मक से हटकर सकारात्मक विचारों में परिवर्तित करने और उनका अच्छा प्रबन्धन करने के अनेक तरीक़े एवं भरपूर साधन प्रदान करती है।
24×7 Anand Hi Anand
- Author Name:
Js Mishra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Kushal Prabandhan Ke Sootra
- Author Name:
Suresh Kant
- Book Type:

-
Description:
‘कुशल प्रबन्धन के सूत्र’ पर सुरेश कांत के दैनिक ‘अमर उजाला कारोबार’ में हर मंगलवार को प्रकाशित होनेवाले लोकप्रिय साप्ताहिक प्रबन्धन–कॉलम में छपे लेखों में से 40 चुने हुए लेखों का संकलन है। इन लेखों में हिन्दी में पहली बार प्रबन्धन के विभिन्न पहलुओं पर अत्यन्त रोचक और प्रभावशाली ढंग से प्रकाश डाला गया है। स्व–प्रबन्धन, कर्मचारी–प्रबन्धन, कार्यालय–प्रबन्धन, समय–प्रबन्धन, व्यक्तित्व–विकास, औद्योगिक सम्बन्ध, नेतृत्व–कला, कौशल–विकास आदि सभी पक्षों पर इनमें इतने सरल, सुबोध और आकर्षक तरीक़े से चर्चा की गई है कि पाठक लेखक के साथ बह चलता है। प्रबन्धन उसके लिए पराया अथवा दुरूह विषय नहीं रह जाता।
प्रबन्धन लेखक की नज़र में व्यक्तित्व के सतत विकास और जीवन में निरन्तर प्रगति की प्रक्रिया है। आदमी अपना ही परिष्कार न कर सके, अपने घर–परिवार की ही उन्नति न कर सके, तो वह कारोबार या दफ़्तर की प्रगति कैसे सुनिश्चित कर सकेगा? वह अपने को ही न सँभाल सके, तो दूसरों को—कर्मचारियों, ग्राहकों आदि को—क्या सँभाल सकेगा? अच्छा आदमी ही अच्छा कर्मचारी, अधिकारी या प्रबन्धक हो सकता है। अत: प्रबन्धन छात्रों, शोधार्थियों, कारोबारियों, कर्मचारियों–अधिकारियों अथवा प्रबन्धकों से ही ताल्लुक़ नहीं रखता, आम आदमी से भी ताल्लुक़ रखता है। वह कम्पनी–जगत के ही मतलब की चीज़ नहीं, मनुष्य मात्र के मतलब की चीज़ है। वह आदमी को बेहतर आदमी बनाने की कला है।
सुरेश कांत ने अपना लक्ष्य–समूह कॉरपोरेट–दुनिया के आदमी को ही नहीं, पूरी दुनिया के हर आदमी को मानकर इस विषय की प्रस्तुति की है। एक सफल, सिद्धहस्त रचनाकार होने के कारण वे इस विषय में लालित्य भरने में कामयाब रहे हैं। अपने विशद अध्ययन, गहरे ज्ञान और असरदार लेखन–शैली के बल पर वह इस विषय को हिन्दी में जन–जन में लोकप्रिय बनाने में सफल रहे हैं।
आप चाहे कोई भी हों, इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप वही नहीं रह जाएँगे, जो आप इसे पढ़ने से पहले थे। एक बहुत ही ज़रूरी और महत्त्वपूर्ण पुस्तक।
Badaladare Yochane Nimmade Geluvu
- Author Name:
Dr. Naga H. Hubli
- Rating:
- Book Type:

- Description: ಬದುಕನ್ನು ಗೆಲ್ಲುವ ಕುರಿತಂತೆ ಸಾಕಷ್ಟು ಪುಸ್ತಕಗಳು ನಮ್ಮ ನಡುವೆ ಬಂದು ಹೋಗಿವೆ, ಬರುತ್ತಲೂ ಇವೆ. ಅತ್ಮೀಯರಾದ ಡಾ. ನಾಗ ಎಚ್ ಹುಬ್ಳಿ ಅವರ ಬದುಕನ್ನು ಗೆಲ್ಲುವ ಕಲೆಗೆ ಕನ್ನಡಿ ಹಿಡಿಯುವುದರ ಜೊತೆಗೆ, ಕುಸಿದ ಮನಸ್ಸುಗಳಿಗೆ ಕಾಯಕಲ್ಪ ನೀಡುವ ಕೆಲಸವನ್ನೂ ಮಾಡಿದೆ. ಬದುಕು ವೈಚಿತ್ರಗಳ ಗಡು, ಇಲ್ಲ ನಾವು ಧನಾತ್ಮಕ ಅಂಶಗಳಿಗೇ ಜೋತು ಬೀಳಲಾಗುವುದಿಲ್ಲ ಋಣಾತ್ಮಕತೆಯನ್ನು ಹೇರಿಕೊಂಡು ಮುಂದೆ ಸಾಗುವ ಕೌಶಲವನ್ನು ಬದುಕು ಬಿಡುತ್ತದೆ. ಈ ಅನಿವಾರ್ಯತೆಯನ್ನು ಅರ್ಥಮಾಡಿಕೊಳ್ಳದ ಮನಸ್ಸುಗಳು ಅಡಿತಪ್ಪುವ ಅಪಾಯವನ್ನು ನಾವು ನೋಡುತ್ತಲೇ ಇದ್ದೇವೆ. ಆ ಬಗೆಯ ಪತನಕ್ಕೆ ಸಕಾಲಿಕವಾದ ಮಾರ್ಗದರ್ಶನದ ಕೊರತೆ ನಿಮಿತ್ತವಾಗುವುದೂ ಇದೆ. ಲೇಖಕರು ಅಂಥ ಅಂಶಗಳ ಮೇಲೆಲ್ಲ ಕ್ಷಕಿರಣ ಬೀರಿ ತಿದ್ದುವಿಕೆಗೆ ನಾವು ಒಡ್ಡಿಕೊಂಡು ಬದುಕು ಸಹನೀಯವಾಗುವುದು ಹೇಗೆ ಅರಳುವುದು ಹೇಗೆ ಎಂಬುದನ್ನು ಉದಾಹರಣೆ ಸಹಿತವಾಗಿ ಹೇಳಿದ್ದಾರೆ. ಈ ಹೊತ್ತಗೆಯಲ್ಲಿ ನಾಗ ಎಚ್ ಹುಬ್ಳಿ ಅವರು ಬೋಧಕರೂ ಆಗಿರುವುದರಿಂದಾಗಿ ವಿಷಯ ಮಂಡನೆಯ ಕಲೆ ಅವರಿಗೆ ಸಿದ್ಧಿಸಿದೆ, ಬೋಧಕರೊಬ್ಬರು ಲೇಖಕರೂ ಆಗುವ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ಸಾಹಿತ್ಯಕ್ಕೆ ಸಂದಾಯವಾಗುವ ಲಾಭಗಳು ಹಲವಿವೆ. 'ಪ್ರಸ್ತುತಿ' ಅದರಲ್ಲೊಂದು. ನಮ್ಮ ಪಠ್ಯಪುಸ್ತಕಗಳಲ್ಲೂ ಈ ತರದ ಬರಹಗಳು ಅಳವಡಿಕೆಯಾಗಬೇಕಾದ ಅವಶ್ಯಕತೆ ಇದೆ. ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಹಂತದಲ್ಲೇ ಮಕ್ಕಳಿಗೆ ಬದುಕನ್ನು ಎದುರಿಸುವ ಕಲೆಯನ್ನು ಕಲಿಸಿಕೊಡುವುದು ಎಂದರೆ, ಅವರ ಭವಿಷ್ಯಕ್ಕೆ ಎರಡೆರಡು ರಕ್ಷಾಕವಚಗಳನ್ನು ಹೆಣೆದುಕೊಟ್ಟಂತೆಯೇ ಸರಿ ನಾಗ ಎಚ್, ಹುಬ್ಳಿ ಅವರ ಈ ಕೃತಿಯಾಗಲೀ, ಕೃತಿಯ ಭಾಗಗಳಾಗಲೀ ಮೇಲೆ ಹೇಳಿದ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಆಶಯಗಳಿಗೆ ಸಲ್ಲುವಂತಾಗಲಿ. - 'ಎನ್ನೇಬಿ' ಮೊಗ್ರಾಲ್ ಪುತ್ತೂರು - ಸಂಪಾದಕರು ಮಂಗಳ ವಾರಪತ್ರಿಕೆ
Mahan Chanakya Ki Jeevan Gatha
- Author Name:
Mahesh Sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Ikigai / इकिगाई : The Japanese Secret to a Long and Happy Life (दीर्घायु, सुखी व सार्थक जीवन जीने का जापानी रहस्य)
- Author Name:
Raj Goswami
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Atmavishvas
- Author Name:
P.K. Arya
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Prerna : Nai Soch Nai Manzil
- Author Name:
Rajesh Aggarwal
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Dheeraj ka Jadu
- Author Name:
Sirshree Tejparkhi
- Book Type:

- Description: "धीरज के जादू से जुबान, कान, आँख, नाक और हाथ सब असली खुशी पाने का साधन बन जाते हैं। बिना धीरज यही इंद्रियाँ रोग और विकार का कारण बन जाती हैं। जैसे... जुबान - धीरज = साँप का जहर, गाली, बद्दुआ। जुबान + धीरज = विकास की सीढ़ी, रिश्तों में मिठास कान - धीरज = युद्ध का मैदान, शोर कान + धीरज = सत्य श्रवण का द्वार आँख - धीरज = माया का विज्ञापन आँख + धीरज = करुणा की लहरों का महासागर नाक - धीरज = डर, यम का बैल, कम साँसें नाक + धीरज = प्राणायाम, लंबा स्वस्थ जीवन हाथ - धीरज = पाप कर्म हाथ + धीरज = महानिर्वाण निर्माण का साधन धीरज में ताकत है, धीरज में जादू है। धीरज निरंतर प्रयास है, प्रहार है, जो हर मुसीबत से आपको निकाल सकता है। हर कार्य के साथ यदि धीरज जुड़ जाए तो जीवन सीधा, सहज, सरल बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप धीरज पाने के लिए धीरज के साथ प्रयत्नशील रहें। कुछ नहीं करना, केवल इंतजार करना धीरज नहीं है। तो सवाल आ सकता है कि यह कैसे करें? जवाब बिल्कुल आसान है। इसके लिए आपको केवल यह पुस्तक पढ़कर इसमें दिए गए मार्गदर्शन को अपने दैनिक जीवन में उतारना है। www.watchwaitandwonder.com यानी थोड़ा देखें, थोड़ा इंतजार करें, मगर आश्चर्य के साथ!"
The Magic of Believing Ka Hindi Anuvad
- Author Name:
Claude Bristol
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक विश्वप्रसिद्ध अमेरिकन मोटिवेशनल स्पीकर क्लाउड एम ब्रिस्टल की सबसे सफल पुस्तक है, जिसने अमेरिका में धूम मचा दी थी। इसका पहला संस्करण सन् 1948 में प्रकाशित हुआ था और उसके बाद यह विश्व की अनेक भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है। यह पुस्तक पाठकों को निराशा के भाव से निकालकर बड़े लक्ष्य को साधने के लिए निरंतर सकारात्मक रहने की प्रेरणा देती है। इसी प्रणाली को अपनाते हुए सैकड़ों लोगों ने अपने व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक व कार्यालयीय जीवन में असीम उन्नति प्राप्त की है। यह पुस्तक ऐसे महत्त्वाकांक्षी लोगों के लिए है, जो जीवन के हर क्षेत्र में कामयाबी और सफलता हासिल करना चाहते हैं। लेखक बार-बार कहते हैं कि हमें सफलता पाने के लिए सबसे पहले यह विश्वास करना होगा कि बड़े-से-बड़ा लक्ष्य हर हालत में प्राप्त किया जा सकता है, यदि हममें उसे प्राप्त करने की जिजीविषा हो और सकारात्मकता हो। अत्यंत सरल भाषा में लिखी गई यह पुस्तक सफलता पाने के वैज्ञानिक तरीके सिखाती है।
ACHCHHA BOLNE KI KALA AUR KAMYABI
- Author Name:
Dale Carnegie
- Book Type:

- Description: प्रखर वक्ता होना, ओजस्वी वाणी का स्वामी होना, प्रभावी शैली में श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देने की क्षमता जिसमें हो, वह सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक सफल होने की संभावना रखता है। बातचीत करना भाषण की कला सीखने का सबसे पहला सिद्धांत है। शुरुआती दौर में स्वर एवं अंदाज जैसी कलाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती है। बातचीत करना कला को सीखने का पहला सिद्धांत है; अर्थात् बोलिए, वादविवाद में हिस्सा लीजिए, अपनी प्रतिभा का स्वयं आकलन कीजिए और दर्शकों की आलोचना से सीखने की कोशिश कीजिए। सवाल है कि खुद की गलतियों को कैसे समझा जाए? इसके लिए कुछ तथ्यों को समझने की आवश्यकता है—महान् वक्ता में कौन से विशेष गुण होते हैं और उन गुणों को कैसे प्राप्त किया जा सकता है? स्वयं के व्यक्तित्व में ऐसी कौन सी कमी है, जो इन गुणों की प्राप्ति में बाधा बन सकती है? इस विषय पर महान् लेखक डेल कारनेगी की सदाबहार एवं सर्वाधिक पसंद की जानेवाली इस पुस्तक के द्वारा कोई भी सामान्य व्यक्ति दर्शकों के समक्ष बोलने के क्षेत्र में कामयाबी के शिखर तक पहुँच सकता है।
Tenaliram Se Seekhen Samasyaon Ke Hal
- Author Name:
Renu Saini
- Book Type:

- Description: हर व्यक्ति सफलता प्राप्त करना चाहता है, स्वयं को उत्कृष्टता के शिखर पर देखना चाहता है। मगर उत्कृष्टता के पर्वत पर पहुँचने के लिए एक-एक कदम उत्कृष्टता के साथ ही रखना पड़ता है । अगर लापरवाही से कदम बढ़ाया जाए तो फिसलने व गिरने का डर बना रहता है। उत्कृष्टता के शिखर तक पहुँचने के लिए अनिवार्य है कि पीछे छोड़नेवाले हर कदम को सर्वोत्तम बनाया जाए, ताकि वह न केवल दूसरों को मार्ग दिखा सके, बल्कि पीछे निशान भी छोड़ सके। उत्कृष्टता सदैव सकारात्मक परिणाम देती है। तेनालीराम एक ऐसे व्यक्ति थे, जो हर छोटे-बड़े काम को अपनी बुद्धि के साथ करते थे और कभी भी पीछे नहीं हटते थे। ज्ञान के चक्षु खोलने का कार्य शिक्षा करती है। तेनालीराम शिक्षित थे। उनकी शिक्षा ने भी उनके ज्ञान को बढ़ाया, जिस कारण वे हर कार्य को चतुराई से करके अपने शत्रुओं व प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ते रहे। तेनालीराम केवल एक थे। उनके जैसा कोई नहीं बन सकता। मगर हाँ, उनकी कहानियों एवं उनके जीवन को जान कर कोई भी स्वयं को शिखर पर ले जा सकता है। हर आयु वर्ग के पाठकों के लिए 'एक पठनीय पुस्तक ।
Insaniyat Ke Funde
- Author Name:
N Raghuraman
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
As A Man Thinketh
- Author Name:
James Allen
- Book Type:

- Description: जेम्स एलन का जन्म 1864 में लीसेस्टर, इंग्लैंड में हुआ। अपनी पहली किताब, 'फ्रॉम पॉवर्टी टू पॉवर' पूरी करने के बाद वे इल्फ्राकूम्ब में रहने चले गए। जहाँ उन्होंने अपनी यह अमर कृति जैसा मनुष्य सोचता है (Asa Man Thinketh)' लिखी जो कि उनकी कालजयी रचना है। यह पुस्तक 1902 में प्रकाशित हुई और इसे सेल्फ हेल्प किताबों की क्लासिक माना जाता है। इस पुस्तक को जेम्स एलन की पत्नी लिली ने प्रकाशित करवाया था। एलन का लेखक जीवन काफी छोटा रहा सिर्फ़ 9 साल का। 1912 में 48 वर्ष की उम्र में एलन इस दुनिया को छोड़ कर चले गए।
Mind Management
- Author Name:
Anandmurti Gurumaa
- Book Type:

- Description: आनन्दमूर्ति गुरुमाँ संपूर्णता की परिभाषा हैं। स्वयं प्रेम, करुणा, आनंद और दयालुता का प्रत्यक्षीकरण होने के साथ-साथ आधुनिक दृष्टिकोण से सुसज्जित आपके ज्ञानपूर्ण प्रवचन हर जिज्ञासु के लिए अध्यात्म के नवीन मार्ग खोल देते हैं। आपकी ओजपूर्ण आभा के परिणामस्वरूप सहज ही आंतरिक शांति व आत्मानुभूति का वातावरण तैयार हो जाता है। आपका प्रेमभरा व्यक्तित्व व आपके द्वारा दिए गए जीवन को सुंदरतम ढंग से जीने के सूत्र, हर मानव को प्रेम व अध्यात्म की ज्ञान ऊर्जा से आपूरित कर देते हैं।
The Art of Public Speaking
- Author Name:
Dale Carnegie
- Book Type:

- Description: "Public speaking is a vital skill which is important in all spheres of life. Generally, people who are good at public speaking go a long way in their professional careers. Hence, acquiring sound public speaking skills at an early age is critical. The book, 'The Art of Public Speaking’ helps the readers in learning the various techniques of 'speaking with confidence'. Written using several examples and powerful narration, this book is a wholesome learning material for public speaking. It is authored by Dale Carnegie and it was published by Prabhat Prakashan in 2013. The book begins with the most essential component of public speaking - confidence. The author explains the various ways in which readers can improve their confidence so that once they go on stage, they have no fear. Then, it deals with important factors of speaking like when to pause and the various pausing techniques. Then, it moves on to the topic of delivering the content. More than what you speak, what is crucial is how you speak and hence delivery is the most important factor in public speaking. It discusses the various techniques of delivery and force. Additionally, there are notes on preparation and body language."
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...