Prabhat Kumar Upreti
Uttrakhand Ki Lok Evam Prayavaran Gathayen
- Author Name:
Prabhat Kumar Upreti
-
Book Type:

- Description: ‘उत्तराखंड की लोक एवं पर्यावरण गाथाएँ' एक अनूठी पुस्तक है। प्रभात कुमार उप्रेती ने सहज बोध, अनुसन्धान और कल्पना के संयोग से इन कथाओं को आकार दिया है। संकलन की अधिकांश गाथाएँ या कथाएँ लोक-जीवन में व्याप्त अक्षय निधि की देन हैं। लोककथाओं की विशेषता है कि वे स्थान और समय के बीच विचित्र रीति से संचरण करती हैं। कई बार भाषा, घटना और पत्रों में अनायास संशोधन होता रहता है। अक्षुण्ण रहता है तो इन कथाओं का मन्तव्य। प्रभात कुमार उप्रेती ने उत्तराखंड के कण-कण से इन कथाओं का संचयन किया है। मनोरंजन, नीति, रहस्य, रोमांच, रोचकता और जीवनबोध का तत्त्व समेटे हुए ये कथाएँ पाठक के मन को गहरे से प्रभावित करती हैं। विशेष यह है कि हम चाहें तो समकालीन जीवन से जोड़कर भी इनका नया भाष्य कर सकते हैं। इनमें पुराण, प्रकृति और परम्परा की आवाजाही सहज भाव से होती है। लोककथाओं के साथ पर्यावरण कथाएँ हैं, जो लेखक की रचनाशीलता और वैचारिक पक्षधरता को रेखांकित करती हैं। समग्रतः मनोरंजन और जीवनादर्शों से युक्त यह पुस्तक निश्चित रूप से पाठकों को प्रभावित करेगी। उत्तराखंड की आंचलिक उपस्थिति (भाषा, परिवेश और कहन के रूप में) इसे और विशिष्ट बनाती है।
Uttrakhand Ki Lok Evam Prayavaran Gathayen
Prabhat Kumar Upreti
Paglaye Log
- Author Name:
Prabhat Kumar Upreti
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Book Type:

- Description:
‘पगलाए लोग’ में समसामयिक मंचित नाटक संगृहीत हैं। लेखक प्रभात कुमार उप्रेती के मन में उन लोगों के लिए अपर सम्मान है ‘जो लोग हमेशा इतिहास के उजाले पक्ष में होते हैं...भलाई के लिए मर-मिटते हैं...।’ इन नाटकों में ऐसे ही व्यक्ति केन्द्र में हैं जिनके कारण यह जीवन जीने के योग्य बना रहता है। जो सामाजिक मूल्यों की स्थापना के लिए सर्वस्व दाँव पर लगा देते हैं।
इस संग्रह की एक पृष्ठभूमि यह भी है कि 1980-2000 के मध्य उत्तराखंड में नाटक आन्दोलन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा था। व्यापक सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखकर लिखे गए ये नाटक वास्तविक घटनाओं पर आधारित हैं। इनके मंचनों को दर्शकों की भरपूर सराहना प्राप्त हुई है। यह तथ्य भी स्वीकार किया जाना चाहिए कि इन नाटकों ने सकारात्मक मानसिक परिवर्तन के लिए एक पीठिका का निर्माण किया। प्रभात कुमार उप्रेती
ने उन जननायकों का स्मरण किया है जिनके बिना इस क्षेत्र का इतिहास नहीं लिखा जा सकता।
जो पाठक इन नाटकों में अपने समय की शिनाख़्त करना चाहेंगे उन्हें निराश नहीं होना पड़ेगा। मानव और मानवेतर प्रकृति से जुड़े अनेक सन्दर्भ यहाँ अनुभव किए जा सकते हैं। इस तरह कई नाटक होते हुए भी ‘पगलाए लोग’ एक लम्बे’ नाटक की तरह भी स्वीकार किया जा सकता है, अपने अर्थपूर्ण विभाजन में तो स्वीकार्य है ही।
लेखक ने प्रवाहपूर्ण भाषा के द्वारा घटनाओं, विचारों और मंचीय गतिविधियों को साकार किया है।