Namrata Singh
Sharad ka Chand
- Author Name:
Namrata Singh
-
Book Type:

- Description: चाँद से प्रेम है तो वैराग्य भी है, चाँद की चाँदनी में इंतज़ार है तो मिलन की रात भी हैं, चाँद से ही पूर्णिमा की शीतल रोशनी है तो अमावस्या की स्याह अंधियारी भी हैं। इसी चाँद की शरद पूर्णिमा में लीलाधर केशव ने रासलीला को रचा भी है, और इसी शरद के चाँद के इंतज़ार में बैठी है सोनिया जिसनें सुनी है तो बस एक कहानी...फ्रांस की सोनिया अपने दोस्तों के साथ मस्त और बिंदास जिंदगी जी रही थी। लेकिन सब कुछ बदल गया जब एक दिन कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के बाद, भगवान श्री कृष्ण की कथा ने उसके लिए जीवन का नजरिया ही बदल दिया। कौन हैं ये कृष्ण जिसने सोनिया को इतना बेचैन कर दिया था? और आसमान में चमकते उस शरद के चाँद से सोनिया का क्या रिश्ता है? इन्हीं सवालों के जवाब ढूँढती, सोनिया फ्रांस के आसमान से, भारत की पावन जमीन वाराणसी आ पहुँची। वाराणसी की उन गलियों में फिर एक दिन अचानक, नियति की एक वक्रदृष्टि ने पलभर में सब कुछ बदल दिया। अब आसमान में हर साल शरद का चाँद चमकता, पर सोनिया का चाँद न जाने कहाँ डूब गया था।
Sharad ka Chand
Namrata Singh
Samarshankh
- Author Name:
Namrata Singh
-
Book Type:

- Description: महाभारत युद्ध समाप्त हुए पाँच सौ वर्ष बीत चुके थे। धरती पर अन्याय, अशांति और अधर्म का वातावरण व्याप्त हो चुका था। सम्पूर्ण आर्यावर्त मनुष्यों के अधिकार में था। तक्षक नाग के वंशज आश्रयहीन हो चुके थे। पक्षीराज जटायु के वंशज गरुड़, कलियुग के प्रारम्भ में अत्यधिक शक्तिशाली हो गए और उन्होंने धरती पर बचे-खुचे नागों का संहार करना प्रारम्भ किर दिया। मनुष्यों और गरुड़ों के पास एक अपराजेय महायोद्धा था, जिसके नाम से असुर और नाग थर-थर कांपते थे। नागों को भी एक महावीर योद्धा की तलाश थी और एक दिन अचानक ऐसा एक योद्धा प्रकट हो जाता है। सम्पूर्ण भारतवर्ष उसे ‘नागपुत्र’ कहकर बुलाने लगता है। उस नागपुत्र के परिचय से समस्त गरुड़ जाति कांप उठती है। समरशंख फूँक दिया जाता है और एक भयानक और भीषण महायुद्ध का प्रारम्भ हो जाता है।