
Man Mohan Bhatia
Kuch Nahi
- Author Name:
Man Mohan Bhatia
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Book Type:
- Description: "माया - ""महेश, मुझे पहचाना क्यूँ नहीं! क्या कभी मेरी याद भी नहीं आई तुम्हें?"" महेश - ""ज़िंदगी में उस पल जब तुम साथ छोड़ गई थी, तब से सबकुछ भूल गया हूँ... तुम्हें भी!"" माया - ""हमने कितने साल सिर्फ़ एक दूसरे के साथ वक़्त बिताया... हक़ीक़त और ख्यालों में भी! कितनी बातें की... कितनी यादें समेटी... कितने ही ख़्वाब एक-दूसरे के लिए संजोए... सब भूल गए क्या?"" महेश - ""ज़िंदगी के पन्नें पलटने को कहोगी, तो सब याद है मुझे, माया! जैसे कल ही की बात हो, जब तुम मेरी थी और मेरे पास थी!"" मगर हम तुम जो रह गए थे बीतें वक़्त में, वो कसक... कुछ नहीं! वो अपनापन... कुछ नहीं! वो एहसास... कुछ नहीं! वो अलफाज... कुछ नहीं! वो मोहब्बत, कुछ नहीं! हमारे दरमियान... कुछ नहीं! कुछ नहीं! कुछ नहीं!"

Kuch Nahi
Man Mohan Bhatia
Rishton ki Chhatri
- Author Name:
Man Mohan Bhatia
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Book Type:
- Description: दिल की बेचैनी ने आज जल्दी जगा दिया। श्रीमती जी अपनी खूबसूरती लिए आराम से सो रहीं थी, मैं उठ कर बाहर आ गया। अख़बार वाला आज जल्दी अख़बार रख गया था। अख़बार उठाया तो वो दूर से टाटा करता हुआ नज़र आया। चेहरे पर ख़ुद-ब-ख़ुद एक मुस्कान ठहर गई।अख़बार पढ़ तैयार हुआ, तब तक पत्नी ने गरम चाय, अपने नरम होठों के साथ पीला दी। दफ्तर तक जाने में किए ऑटो-वाले ने, आज फिर कोई मज़ेदार किस्सा सुनाया, दिल खुश हो गया। ऑफ़िस का दिन भी सह-कर्मियों के साथ हँसी-मज़ाक में निकल गया। सालों से इनके साथ रिश्ता घर-सा हो गया है।वापसी में पत्नी जी के लिए एक खास गजरा लिया, जो फूलवाले ने आदत में डाल दिया है। बच्चों के लिए फल ले लिए। ज़िन्दगी कुछ ऐसे ही चलती जा रही है।बेमौसम बरसात हो गयी, छतरी थी नहीं, भीग गए। घर पहुँचे, तो सब ने घेर लिया, लगे ‘हाल’ पूछने। कपड़े बदल सोफे पर बैठा, तो चाय के साथ पकोड़े तैयार थे। बिना बोले श्रीमती जी ने सर दबाना शुरू कर दिया और बच्चों ने पाँव। सबको यों पास देख, दिल को सुकून मिला, लगा जैसे जिंदगी की धुप-छाँव, इन सभी रिश्तों की छतरी तले आराम से निकल जाएगी। रात, हमसफ़र के साथ, एक-दूसरे की बाहों में सिमट, चैन से सो गया।

Rishton ki Chhatri
Man Mohan Bhatia
Nayan Grah
- Author Name:
Man Mohan Bhatia
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Book Type:
- Description: पृथ्वी से मीलों दूर, लेकिन हमारा सभ्यता से सबसे करीब उत्पति महाभारत के कालखंड से, लेकिन उन्नति में हमसे करोड़ों वर्ष आगे अदृश्य है वे हमारी नज़रों से, लेकिन हमारी हर एक हलचल पर है उनकी नजर कलयुग में भी सत्ययुग सा जीवन, और उदेश्य सिर्फ एक - संरक्षण।एक ग्रह जिसकी पूरी कार्यप्रणाली का उद्देश्य पृथ्वी पर बसे सभी भारतीयों की रक्षा करना है। जिसकी मौजूदगी से सभी अनजान है लेकिन इस ग्रह के निवासी प्रजातन्त्र के उच्च पदों पर आसीन है। जिनके लिए इंसानी विज्ञान बच्चों के खेल जैसा है। उनके लिए सरल है भक्षक बनकर, आक्रांत की तरह राज करना पृथ्वी पर। मगर अपनी मर्यादाओं की दूरी बनाकर, आज भी वे सिर्फ मार्गदर्शन करते है। चाहते है तो सिर्फ राम राज्य की स्थापना। एक ऐसा गुप्त स्थान जिससे भारत सहित विश्व के सभी देशों की दशा और दिशा तय होती है, जो कहलाती है नयन ग्रह - एक अदृश्य ग्रह की कहानी

Nayan Grah
Man Mohan Bhatia
Adrishyam
- Author Name:
Man Mohan Bhatia
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Book Type:
- Description: सुदर्शन और विवेक का जीवन भूतों के अदृश्य किस्सों से भरा हुआ था, जिसका जिक्र उनकी दिनचर्या और काम का हिस्सा बन गया था। दोनों बचपन के जिगरी दोस्त होने के साथ-साथ आज आर्किटेक्ट कंपनी में पार्टनर भी थे। उनकी पढ़ाई के दिनों से दोनों ने इमारतों के दृश्य और अदृश्य पहलुओं को बखूबी परखा। फिर शुरुआत हुई उन इमारतों की रचनाओं से, जिनके किस्से पहले भी मशहूर थे और बनने के बाद भी चर्चा में रहे। दोनों ने मिलकर कई भूत महल, बंगले और भूतहा होटल व इमारतों की रचना की, जिनका आकर्षण अपने आप में कई अदृश्य शक्तियाँ लिए हुए था। आखिर क्या थे रहस्य इन भुतहा इमारतों के बदलते रूप और भूत, चुड़ैल और अदृश्य शक्तियों के किस्सों में?

Adrishyam
Man Mohan Bhatia
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