Kaajal Oza Vaidya
Draupadi
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Kaajal Oza Vaidya
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- Description: Awating description for this book
Draupadi
Kaajal Oza Vaidya
I Love You (Hindi Translation )
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Kaajal Oza Vaidya
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- Description: प्रेम में डूबा हर व्यक्ति विवाह को ही जीवन का अंतिम ध्येय समझता है। अन्य लोगों के विवाह देखने के बाद भी ऐसा ही सोचता है कि हमारा विवाह दूसरों की अपेक्षा अलग ही होगा! विवाह के बाद के सात वर्षो के दौरान अधिकतर विवाह सामान्य विवाहों जैसे ही हो जाते हैं। रोमांस और आदर्श विवाह की सारी कल्पनाएँ, सारे वचन और प्रतिज्ञाएँ धीरे-धीरे मंद पड़ती जाती हैं। विवाहित जीवन खंडित हो जाने के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराते पति-पली धीरे-धीरे एक-दूसरे से विपरीत दिशा में प्रवास करने लगते हैं। किसी भी रिश्ते को थोड़ा सँभालने की आवश्यकता होती है। विवाह जैसा नाजुक रिश्ता रख-रखाव एवं समभाव के अभाव में एकदम टूट जाता है। इसके बावजूद विवाह को सफल बनाकर दो व्यक्ति सुख व संतोष से जीवन भर साथ जी सकते हैं। टूट चुके और मृतप्राय हो चुके विवाह भी फिर से नवपल्लवित हो सकते हैं। जरूरत है थोड़ी समझदारी की, थोड़ा स्वीकार करने की, थोड़ी कोशिश और थोड़ा समझौता करने की। यह पुस्तक धीरे-धीरे आपको एक नई दुनिया में ले जाएगी और आपको आपकी गलतियाँ समझाएगी। आप कहाँ और किस प्रकार से गलत थे, यह भी आपके मन को समझाएगी।
I Love You (Hindi Translation )
Kaajal Oza Vaidya
Pyari Astha Ko Pita Ki Paati
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Kaajal Oza Vaidya
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- Description: "पिछला वर्ष पूरा हो गया और साथ ही समाप्त हो गईं कितनी कठिनाइयाँ, कितने प्रश्न! मैंने तुझे कहा था न, हर नया सूर्योदय नए आनंद के साथ आता है! ईश्वर भी मनुष्य की हिम्मत और उसके संजोगों के सामने लड़ने की तैयारी कितनी है, इसकी जाँच करता है कभी। हमारे साथ भी ऐसा ही हुआ है। हमने साथ मिलकर परिस्थिति के सामने जो हिम्मत भरी लड़ाई लड़ी है, उसे देखकर शायद भगवान् को भी समझ में आ गया होगा कि वह हमें इससे अधिक दुःखी नहीं कर सकता। जिंदगी कभी भी हम सहन न कर सकें, उससे ज्यादा तकलीफ देती ही नहीं है। तू समझी? हमें अपनी सहन-शक्ति को बढ़ाना है, अर्थात् जिंदगी ने जो तकलीफ दी है, वह हर बार हम सहन कर सकें, उससे कम ही लगती है। बेटा! मुझे तुझसे कहना चाहिए कि तू इन परिस्थितियों की लड़ाई में जिस तरह मेरे साथ रही और तूने जिस तरह मेरा साथ दिया, उस बात ने मुझे बहुत हिम्मत और शक्ति दी है। बेटा, मैंने तुझे कभी-कभी रोल रिवर्स करके तेरी मम्मी की माँ बनते हुए तुझे देखा है। इन थोड़े से दिनों में ही तू मानो अचानक ही कुछ वर्ष बड़ी हो गई हो, ऐसा मुझे लगता है। —इसी पुस्तक से ——1—— पिता द्वारा पुत्री को लिखीं ममत्व भरीं, जीवन के मर्म को समझातीं, सकारात्मकता जाग्रत् करतीं पातियाँ, जो हर बालिका को संदेश देती प्रतीत होती हैं। एक अत्यंत भावुक पुस्तक! "