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Bhavesh Dilshad

Surkh

  • Author Name:

    Bhavesh Dilshad

  • Book Type:
  • Description: बनाव-सिंगार, बाग़, तितली, भोग-विलास से कोत तो क्या, बस पहाड़, जंगल, खाई, ख़ला, समन्दर, ये सब मुझे ाियादा पुकारते रहे। ये रहस्य, सन्नाटे, चुनौतियां और बेबाकियां। कभी हैरान करती रहीं, कभी तलाश तो कभी मुझे बयान। छटपटाहट, घुटन, कसक और उन्हीं लमहों में पूरी फ़क़ीरी, ािद और विध्वंस भी... इसी दौर में वो मुझे मिली। घूंघट, पर्दे और नक़्ली ोवरों के बोझ से घुटी-घुटी सी। दोनों ने तनहाई चुनी पर सच से चौंककर हम कतराये तो नहीं। एक-दूसरे का हाथ थामे बढ़ते रहे। एक-दूजे को जानने, पहचानने से चला सिलसिला समझने और महसूसने तक पहुंचा। फिर ढलने और पिघलने तक। बाहिर बरसों और यूं सदियों का सफ़र करते हम इकाई में रच-बस गये। अपने ही ढंग से, अपनी ही एक दुनिया में... वो मेरा पहला प्यार और इकलौती क़सम हो चुकी। प्यार, सफ़र, सिलसिला चल रहा है। चलता रहेगा। हम अपनी एक दुनिया बसा लेंगे। नहीं तो किसी अतल, अबूझ या गुमनाम कोने में एक-दूजे के सहारे जी लेंगे। हर क़दम नयी-नयी बेचैनियों, ख़लिशों के साथ वही सरमस्ती है। जबात की उथल-पुथल है। न चाहे भी रहेगी। इसी सफ़र के बीच इस ट्रायोलॉजी की शक्ल में खींच ली गयी मेरी और मेरी शाइरी की यह तस्वीर यहीं रह जाएगी। हमेशा के लिए! भवेश दिलशाद
Surkh

Surkh

Bhavesh Dilshad

160

₹ 131.2

Neel

  • Author Name:

    Bhavesh Dilshad

  • Book Type:
  • Description: भवेश दिलशाद जदीद दौर के ऐसे ग़ाल गो शायरों में शामिल हैं, जिन्होंने सादगी और बेबाकी को अपना र्तो सुख़न बनाया है। छोटी-छोटी, मगर बहुत दिलपाीर बातें कह जाने वाली यह आवाा, बहुत सुरीली है, दिलकश और भली। अपने सपाट लहजे में जो कुछ वह कहना चाहते हैं, क़ारी (पाठक) के दिल पर सीधे असर अंदाा होता है।
Neel

Neel

Bhavesh Dilshad

160

₹ 131.2

Siyah

  • Author Name:

    Bhavesh Dilshad

  • Book Type:
  • Description: भवेश दिलशाद की कुछ ग़ालें पढ़ने के बाद लगा कि मैंने उनका कलाम पहले क्यों नहीं देखा। हिंदोस्तानी ग़ाल में जो बहुत सार्थक और चुनौती भरी रचना हो रही है, उसका एक ज्वलंत उदाहरण दिलशाद हैं। दरअसल ग़ाल का मतलब छंद मिलाना नहीं है। दो पंक्तियों में व्यंग्य करना भी नहीं। किसी प्रकार का विवरण देना भी नहीं है। ग़ाल भाषा के जिस स्तर को छूकर भावनाओं का संसार रचती है, वह कठिन कार्य दिलशाद की ग़ालें करती हैं। दिलशाद बाह्य से अधिक आंतरिक संसार पसंद करते हैं और यही ग़ाल की एक ऐसी मंािल है, जहां पहुंचना हर ग़ाल लिखने वाले के लिए सरल नहीं है। दिलशाद के संग्रह के प्रकाशन पर मैं उन्हें बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि हिंदोस्तानी ग़ाल के संसार में यह एक महत्वपूर्ण क़दम माना जाएगा। असग़र वजाहत
Siyah

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Bhavesh Dilshad

160

₹ 131.2

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