Ashutosh Partheshwar
Rajneeti Aur Naitikta
- Author Name:
Ashutosh Partheshwar
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Book Type:

- Description: Awating description for this book
Rajneeti Aur Naitikta
Ashutosh Partheshwar
Champaran Andolan 1917
- Author Name:
Ashutosh Partheshwar
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Book Type:

- Description: चंपारन की संघर्ष-कथा जिस प्रकार राजकुमार शुक्ल के बिना पूरी नहीं हो सकती, उसी प्रकार ‘प्रताप’ के बिना भी पूरी नहीं हो सकती। ‘प्रताप’ ही वह पत्र है, जिसने पहली बार मोहनदास करमचंद गांधी को ‘महात्मा’ कहा था। 4 जनवरी, 1915 के अंक में ‘प्रताप’ ने चंपारन की पीड़ा सुनाते हुए कहा, ‘‘देश के एक भाग के सीधे-सादे शांतिप्रिय आदमियों की यह हालत है। विदेशों में भारतवासियों पर जो अत्याचार हुआ या हो रहा है, वह इस अत्याचार के मुकाबले में अधिक नहीं है।...बाहर के अत्याचार की जड़ उखाड़ फेंकने से घर के इस अँधेरे को दूर करना अधिक हितकर है। निःसंदेह जो अपनी सहायता आप नहीं करता, उसकी सहायता मनुष्य तो दूर रहा, परमात्मा भी नहीं करता। बिहार में क्रियाशीलता की कमी है, पर हम इस बात को कदापि नहीं भूल सकते कि च्यूँटी में भी दम है और बहुत तंग किए जाने पर वह काट खाती है।’’ महेश्वर प्रसाद के ‘बिहारी’ पत्र से विदा होने के पश्चात् चंपारन के दुःख को देश-दुनिया को सुनाने का दायित्व ‘प्रताप’ ने सँभाल लिया। ‘प्रताप’ को गांधी अपने सिद्धांत, व्यवहार, करुणा एवं परदुःखकातरता के लिए ‘प्रिय’ थे तो ‘चंपारन’ अपनी ‘ट्रेजडी’ के कारण। इस पुस्तक में ‘प्रताप’, ‘अभ्युदय’, ‘भारतमित्र’, ‘द बिहार हेराल्ड’, ‘हितवाद’, ‘पायोनियर’ जैसे पत्रों में प्रकाशित चंपारन से संबंधित समाचार-रिपोर्ट आदि संकलित हैं। चंपारन की अंतर्कथा को प्रामाणिकता से समझने के लिए यह प्राथमिक स्रोत है। निस्संदेह, भारतीय इतिहास के इस महत्त्वपूर्ण अध्याय को पढ़ने-समझने के लिए ‘चंपारन आंदोलन 1917’ एक पठनीय एवं संग्रहणीय पुस्तक है।