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Arunesh Kumar

Amar Krantidoot Chapekar Bandhu

  • Author Name:

    Arunesh Kumar

  • Book Type:
  • Description: चापेकर बंधु--दामोदर हरी चापेकर, बालकृष्ण हरी चापेकर तथा वासुदेव हरी चापेकर--तीनों भाइयों को क्रांतित्रयी कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। चापेकर बंधु पुणे के पास चिंचवड के निवासी थे और बाल गंगाधर तिलक को अपना गुरु मानते थे। आरंभ से ही उनके मन में भारत को विदेशी दासता से मुक्त कराने की दृढ़ भावना थी । सन्‌ 1896 में जब पुणे में प्लेग महामारी फैली तो इसकी रोकथाम के लिए सरकार ने रैंड नामक एक अधिकारी को तैनात किया । रैंड के गोरे अधिकारी जाँच के नाम पर घर-घर लोगों पर अत्याचार करने लगे। इन अत्याचारों ने चापेकर बंधुओं को अंदर तक आक्रोशित करके रख दिया। उन्होंने रैंड से बदला लेने की ठान ली। एक दिन जब रैंड और उसका साथी एक उत्सव में भाग लेकर लौट रहे थे तो बालकृष्ण ने रैंड के साथी आयस्रट को तथा दामोदर ने रैंड को गोली मारकर दोनों का काम तमाम कर दिया। घर के भेदी द्रविड़ बंधुओं की चुगलखोरी के कारण दामोदर तथा बालकृष्ण को गोरी सरकार ने फाँसी दे दी। इससे क्षुब्ध सबसे छोटे वासुदेव हरी चापेकर ने अपने मित्र महादेव रानाडे की मदद से चुगलखोर द्रविड़ बंधुओं को मार गिराया और खुद भी फाँसी पर चढ़ गया। इस प्रकार अंग्रेजों से लोहा लेकर चापेकर बंधुओं ने जिस शौर्य का प्रदर्शन किया, उसने देशवासियों के मन में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति की आग को और तेज करने का काम किया। माँ भारती के सपूतों चापेकर बंधुओं की प्रेरक जीवनगाथा।
Amar Krantidoot Chapekar Bandhu

Amar Krantidoot Chapekar Bandhu

Arunesh Kumar

250

₹ 200

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