Virendra Mullick

Virendra Mullick

2 Books

Pratham Purush

  • Author Name:

    Virendra Mullick

  • Book Type:
  • Description: अग्नि पीढ़ीक स्तम्भ कवि वीरेन्द्र मल्लिक अपन काव्यालोचना पोथी 'प्रथम पुरुष' मे गंभीर अध्येताक रूप मे सोझाँ अबैत छथि। बहुधंधी मल्लिकजी कवि, आलोचक, संपादक आ रंगकर्मी रहलाह अछि। ई पोथी हुनकर आलोचकक रूप केँ आर बेसी देखार करैत अछि। पोथी अद्भुत अछि। ओकर कालखंड प्राय: आठ सय बर्खक। मिथिला मे एहि अवधि मे रचल अनेकानेक प्रकारक काव्यक चर्च ओ एहि पोथी मे करैत छथि। मिथिलाक वैष्णव काव्य धारा केँ एक टा पुरातत्वशास्त्री जकाँ उत्खनित करैत ओ मैथिली साहित्यक इतिहास मे एक टा सार्थक हस्तक्षेप करैत छथि। मैथिलीक रामकाव्य, खास क' दुनू रामायणक विषय मे दू टा उपयोगी लेख छै जे मैथिली रामायण सभ केँ व्यापक रामकथाक परम्परा मे अवस्थित करैत ओकर विश्लेषण करैत अछि। सुभद्रा हरणक बिम्बविधानक चर्चा करैत एक टा आलेख एहि हेरायल जाइत पोथीक सौष्ठवक वर्णन करैत ओकरा समकालीन चेतना मे अनैत अछि। मैथिलीक महत्त्वपूर्ण कवि जीवकांतक कविता पर लिखल लेख हुनक काव्य केँ बुझबा मे, ओकर तह मे पहुँचÓ मे मदति करत। पोथीक पहिल आलेख एक टा सैद्धांतिक लेख अछि जकरा पढ़ला सँ कविता बूझ' मे तँ मदति भेटबे करतै, संगहि पछिला एक सय पचीस बरखक मैथिली कविताक आलोचनात्मक इतिहास सेहो। समकालीन कविता पर लिखल लेख एहि प्रकल्प केँ आर गँहीर करैत अछि। पोथी पढ़निहार लोकनि मल्लिकजीक अध्ययनक विस्तृत फलक-वेद सँ ल'क' लेनिन आ साहित्य आलोचनाक मनीषी सब धरि, हुनकर फडि़च्छ आलोचकीय दृष्टि आ हुनकर जनपक्षधरता सँ जनमल स्निग्धता सँ ओतबे प्रभावित हेताह जतेक हम भेलहुँ अछि, से आशा अछि। मैथिली कविताक मादे एक टा तथ्यगत, इतिहास सम्मत आ फडि़च्छ पोथी जँ पढ़' चाही, तँ ई पोथी पढ़ी। —विद्यानंद झा
Pratham Purush

Pratham Purush

Virendra Mullick

435

₹ 356.7

Athato Kavya Jigyasa

  • Author Name:

    Virendra Mullick

  • Book Type:
  • Description: पूजी द्वारा विकासक रूप मे प्रतिपादित बाजारवाद, सबकिछु केँ 'पसार' बना देलकए। प्रशासन, न्याय, वित्त, सूचना, स्वास्थ्य, शिक्षा... सबकिछु बाजार नियंत्रित होइत मनुखक विसंगति केँ ओहि स्तर तक ल' गेलए जे सांस्कृतिक परिचिति पर्यंत विलोपित भ' जाए। अही मर्मांतक पीड़ा सँ आप्लावित अछि ई कविता संग्रह 'अथातो काव्य जिज्ञासा'। कविता बिडंबनापूर्ण परिवेशक प्रतिपक्षी अछि, चिंतित अछि आ अस्तित्वक प्रश्न सँ पाठक केँ आविष्ट करै अछि, सोचबाक लेल, सक्रिय हेबाक लेल उत्प्रेरित करै अछि। पूजी, बाजार आ साम्राज्यवादक वर्चस्व हमर भाषा, हमर संस्कृति, हमर सर्वस्व विश्व मानवीय दृष्टिकोणक संग कविता, मनुष्यताक उत्कर्षक लेल प्रतिबद्ध अछि, बिना कोनो संशय-ओझरौनी के बेस स्पष्ट बिम्ब मे मुखर अछि, सत्यक साक्षात्कार लेल तत्पर अछि। ..... लोकक पेट पर मारैत लात नित नव-नव सिद्धांत आ विज्ञापनक भरमार। सामयिक, असत्य आ अन्यायक बलधकेल अधिनायकवादी सत्ताक पिशाची-नर्तनक काल मे, कविता अपन कर्तव्य सँ संपृक्त अछि, आशा आ विश्वासक संग अडिग अछि। मुदा नागरिक वीर देश केर एखनहु बरूदक ढेरी पर कविताक संग विहुँसि खेलाइछ। एक अग्निजीवी कविक लेल इएह ने काव्य-स्वभाव, कविता-प्रवृत्ति छी! —कुणाल (कवि-रंगकर्मी)
Athato Kavya Jigyasa

Athato Kavya Jigyasa

Virendra Mullick

350

₹ 287

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