Taranand Viyogi
Chhiyanat
- Author Name:
Taranand Viyogi
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Book Type:

- Description: संख्या मे कम कथा लिखलाक बादो मैथिली कथा-साहित्य मे तारानंद वियोगीक पैघ आ जरूरी स्थान मानल गेल अछि। प्रतिष्ठित कथा-संकलन सब मे हुनकर कथा संकलित भेल छनि आ आन-आन भाषा मे अनूदित सेहो। समाजक हाशिया परक लोक के कथा, ओकर संपूर्ण मानवीय गरिमाक संग, मैथिली मे कम लिखल गेल अछि। वियोगी जीक प्राय: सब टा कथा एही निम्नवर्ग, जाति आ वर्णक विषय मे लिखल गेल अछि। सब दिन ओ निर्माणाधीन सामाजिक यथार्थ केँ अपन कथाक विषय बनौलनि। एहि गुणक कारण हुनकर कथाक बेस मान अछि, मुदा एही कारणें विवादो अक्सरहां होइत रहल अछि। हुनकर सदा मान्यता रहलनि जे केवल मैथिली भाषा मे लिखल रहबाक कारण कोनो कथा मैथिली कथा नहि भ' सकैत अछि। तेँ, हुनकर कथा सब मे मिथिलाक जनजीवन केँ धकधक करैत महसूस कयल जा सकैए। तहिना, हुनकर कथा सब मे कथादेश आ कथासमय केँ साफ-साफ चित्रित भेल देखल जा सकैत अछि। ओ अपना समयक हरेक हलचल केँ नोटिस करैत चलैत छथि। तहिना, हुनकर कथाभाषा सेहो बेछप आ विलक्षण छनि। अपन देस-समाज केँ देखबाक आलोचनात्मक विवेक सब दिन वियोगी जी मे जाग्रत रहलनि, तेँ हुनकर कथाकला अपन उत्कर्ष धरि पहुँचल, जाहि लेल हुनकर कथा सब केँ बेस महत्त्व देल जाइत रहल अछि। हुनक कथा-लेखनक मादे पं. गोविन्द झा लिखने छथि— 'ललित-राजकमलक समय आ तारानंद वियोगीक समय मे महान अंतर अछि। पहिल विद्रूपता आ विसंगतिक समय छल तँ दोसर विकट संकटक समय। एहि संकट-काल मे मुख्य प्रश्न भ' गेल अछि अस्तित्व-रक्षाक। ललितक कालक जे स्थिति-रेखा छल, वियोगी जीक कथा-यात्रा तकर अतिक्रमण क' गेल अछि। मैथिली कथाक एक जीवन्त परंपरा हिनका एहि कथा-यात्रा मे संग दए रहल छनि आ तकर बोध सँ उद्भासित छथि। परंपरा-बोध आ अपन जीवन-अनुभव दुनू मिलि हिनका आबि तुलाएल संकट सँ लड़बाक ऊर्जा दैत अछि।'
Chhiyanat
Taranand Viyogi
Dharashayi Hebaak Samay
- Author Name:
Taranand Viyogi
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Book Type:

- Description: मैथिली साहित्यक आधुनिक काल जहिया सँ प्रतिष्ठापित भेल, मैथिलीक साहित्यकार-समाज सेहो एहि मर्मान्तक दृश्य सब केँ साहित्य मे मूर्त करैत रहला अछि। दुनिया जें कि प्रौद्योगिक विकास पर चढ़ैत आइ ग्लोबल विलेज भ' गेल अछि, कोविड-19 नामक अइ महामारीक प्रकोप सेहो मनुष्यक नक्शे-कदम पर चलैत ग्लोबल जटिलता सँ भरल-पुरल साबित भ' रहल अछि। भारत सहित दुनियाक तमाम भाषा मे साहित्यकार लोकनि अइ अभूतपूर्व परिस्थिति केँ शब्दांकित करैत देखल गेला अछि। मैथिली अइ मे पाछू नहि रहल अछि। तारानंद वियोगीक ई संग्रह कविता मे कोरोना-काल केँ दृश्यांकित करबाक चेष्टा थिक। महामारीक फैलाव, एकर चुनौती, मानव-संबंध पर पड़ल एकर असर, व्यवस्था आ विज्ञानक लाचारगी, प्रभावित लोकनिक हाहाकार—सब कथू अइ कविता सब मे जगह-जगह आयल अछि। प्रकृति सँ दूर हटैत उत्तर आधुनिक मनुष्यक सभ्यता केँ ल' क' कतेको ठाम वियोगी कइएक मूलभूत प्रश्न सब उठबैत छथि। प्रकृतिक स्वयं मे की संकेत अछि, आ विकासक पैमाना कोना अपूर्ण अछि, इहो सब प्रसंग ठाम-ठाम आयल अछि। कवि अपने सेहो कोरोना सँ संक्रमित भेला, कठिन परिस्थिति सँ जूझैत स्वास्थ्य-लाभ केलनि। घोर आदंकक दौर मे सेहो ओ रोगग्रस्त अवस्था मे प्रतिदिन कविता-डायरी लिखलनि, सेहो अइ संग्रह मे संगृहीत अछि। ई मनुष्यक जिजीविषाक ज्वलंत निदर्शन बनि क' सोझा आयल अछि। वियोगीक काव्य के सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता ओकर लोकधर्मिता अछि। हुनक काव्य भाषाक सहजता, सरलता आ बिम्बधर्मिता ओकरा अत्यधिक व्यंजक बनबैत अछि। ओ मर्मस्पर्शी काव्य शिल्पक रचनाकार तँ छथिहे, सब सँ रोचक अछि वियोगीक काव्यभाषा, जकरा लेल ओ सब दिन स्मरण कयल जेता। —केदार कानन
Dharashayi Hebaak Samay
Taranand Viyogi
Tumi Chir Sarathi
- Author Name:
Taranand Viyogi
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- Description: Memories based on Nagarjun
Tumi Chir Sarathi
Taranand Viyogi
Yugon Ka Yatri : Nagarjun Ki Jeewani
- Author Name:
Taranand Viyogi
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Book Type:

- Description: मिथिला के बन्द समाज से बाहर निकलकर नागार्जुन ने अपनी तमाम रचनाओं और सहज सुलभ व्यक्तित्व से एक ऐसा जागरण किया जिसकी आज पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है। वे सच्चे अर्थों में क्लैसिकल मॉडर्न थे। तारानन्द वियोगी की यह जीवनी पाठक को नागार्जुन के अन्त:करण में प्रवेश कराने में सक्षम है। उनके घने साहचर्य में जो रहे हैं, वे इसे पढ़कर बाबा की उपस्थिति फिर से अपने भीतर महसूस करेंगे। अपनी सशक्त लेखनी से तारानन्द ने बाबा नागार्जुन को पुनर्जीवित कर दिया है। यहाँ तथ्य और सत्य का सन्तुलित समन्वय है। बाबा से जुड़े शताधिक जनों के अनुभव उन्होंने बड़ी सहृदयता से अन्तर्ग्रथित किए हैं। बाबा नागार्जुन को संसार से विदा हुए बीस वर्ष से ज़्यादा हुए। इस बीच हिन्दी-मैथिली की जो तरुण पीढ़ी आई है, वह भी इस कृति से बाबा नागार्जुन का सम्पूर्ण साक्षात्कार कर सकेगी। बाबा के बारे में एक जगह लेखक ने लिखा है, 'स्मृति, दृष्टान्त और अनुभव का ज़खीरा था उनके पास।' तारानन्द की इस जीवनी में भी ये तीनों बातें आद्यन्त मौजूद हैं। बाबा के जीवन-सृजन पर यह बहुत रचनात्मक, ऐतिहासिक महत्त्व का कार्य सम्पन्न हो सका है। मैं इतना ही कहूँगा कि बाबा की ऐसी प्रामाणिक जीवनी मैं भी नहीं लिख पाता। ‘युगों का यात्री' हिन्दी की कुछ सुप्रसिद्ध जीवनियों की शृंखला की अद्यतन सशक्त कड़ी है। —वाचस्पति, वाराणसी (दशकों तक नागार्जुन के क़रीब रहे अध्येता समीक्षक)
Yugon Ka Yatri : Nagarjun Ki Jeewani
Taranand Viyogi
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