Sujash Kumar Sharma

Sujash Kumar Sharma

1 Books

TUM AAI HO!

  • Author Name:

    Sujash Kumar Sharma

  • Book Type:
  • Description: जितना शाश्वत प्रेम है, उतनी ही शाश्वत हैं वेदनापथियों की प्रेम कविताएँ! कोई कवि इस सृष्टि में यदि शादी को युगल समाधि जैसी नई दृष्टि से देखता है तो निश्चित ही कविताएँ कुछ अलग रूप ग्रहण करने लगती हैं। दरअसल, ईश्वर के दरबार की सबसे प्यारी प्रार्थनाएँ हैं, 'तुम आई हो!’ में संगृहीत कविताएँ। पुस्तक की भूमिका में एक प्रेम-पत्र है। वस्तुत: सारी कविताओं में ही प्रेम-पत्रों का माधुर्य और सौंदर्य की उपासना के मूर्त सूत्र हैं। इसके अलावा, कविताएँ एक निश्चित घटनाक्रम में भी हैं, जो क्रमश: पवित्रता के सोपानों की तरह हैं कि जैसे-जैसे आप पृष्ठ पलटते जाएँगे, आप अपने भीतर प्रेम को और भी प्रगाढ़ और भी घनीभूत होता महसूस करेंगे। अभी उड़ान बाक़ी है, कि अभी जीवन का छप्पन भोग सजा है, कि अभी तो उठाया है पहला कौर, निवाला एक, कि अभी शेष है, दिन का भोजन पूरा, कि अभी रात बाक़ी है, रात का भोजन भी, कि अभी कितने तो दिन, जीवन भरे, प्रतीक्षा में हैं हमारे, कि अभी कई-कई भोर होना है, कितने तो सुप्रभात, अभी एक रात, आज भी कह रही कानों में-शुभ रात्रि! हाँ प्रिये! शुभ रात्रि। कि अभी शेष है, कितने सूर्यों का उदित होना, नित्य, कितने चंद्रमाओं का आना, कि बचे हैं अभी, कितने-कितने वसंत, कितनी ही बारिशों की रिमझिम, कितनी ठंडियों की रातें, कितने गुलाबी धूप तो शेष हैं, अभी बचे हैं बहुत, जीवन के रंग-बिरंगे मौसम। ऐसी ही ताज़गी और जीवंतता से लबरेज़ एक ऐसी किताब, जिसे प्रेमी-प्रेमिका भी पढ़ सकते हैं और पति-पत्नी भी। वे भी जिन्हें लगता है कि प्रेम चूक गया या कि उमर चूक गई। आप अपने प्रिय को प्रेम की उष्मा और ऊर्जा से भरा 'कुछ’ यदि भेंट करना चाहते हैं, तो इन कविताओं का गुच्छ सर्वोत्तम उपहार हो सकता है।
TUM AAI HO!

TUM AAI HO!

Sujash Kumar Sharma

300

₹ 246

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