Sharat Chandra Chattopadhyaya
PARINITA & BARI DIDI (PB)
- Author Name:
Sharat Chandra Chattopadhyaya
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Book Type:

- Description: विचारो में डूबे हुए गुरुचरण बाबू एकांत कमरे में बैठे थे। उनकी छोटी पुत्री ने आकर कहा, “बाबू! बाबू! माँ ने एक नन््ही सी बच्ची को जन्म दिया है।'' यह शुभ समाचार गुरुचरण बाबू के हृदय में तीर की भाँति समा गया, उसका चेहरा ऐसा सूख गया, मानो कोई बड़ा भारी अनिष्ट हो गया हो! यह पाँचवीं कन्या थी, जो बिना किसी बाधा के उत्पन्न हुई थी। गुरुचरण बाबू एक साधारण आदमी थे। वह केवल साठ रुपए मासिक वेतन के नौकर थे। उनकी दशा शोचनीय थी, जीवन शुष्क तथा नेत्रों में निराशा की झलक थी। शरीर दुर्बल, मरियल, टट्टू की भाँति था। देखने में ऐसा लगता था कि जान होते हुए भी बेजान हों। फिर ऐसी दशा में यह अशुभ समाचार सुनते ही उनका खून ही सूख गया और हाथ में हुक््का लिये हुए निर्जीव की भाँति, फटे-पुराने तकिए के सहारे लेट रहे। जान पड़ता है कि साँस लेने में भी उन्हें कष्ट हो रहा था। अन्नाकाली से यह शुभ समाचार सुनकर भी गुरुचरण बाबू कुछ नहीं बोले तो थोड़ी देर बाद वह उन्हें हिलाकर फिर कहने लगी, ““बाबूजी, मुन्नी को देखने न चलोगे ?!!
PARINITA & BARI DIDI (PB)
Sharat Chandra Chattopadhyaya
DEVDAS (PB)
- Author Name:
Sharat Chandra Chattopadhyaya
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Book Type:

- Description: बैशाख की दोपहरी थी, धूप बहुत तेज थी और गरमी भी बहुत पड़ रही थी। उसी समय देवदास मुखर्जी, पाठशाला के कमरे के एक कोने में मिट्टी के ढेर पर बैठा था। हाथ में उसके एक स्लेट थी। वह कभी आँखें खोलता, कभी बंद करता, कभी पैरों को फैलाता और कभी सिकोड़ता और अंत में वह एकाएक बहुत बेचैन हो उठा। क्षण-भर में उसने यह तय कर लिया कि इस परम रमणीय ब्रेला में, जहाँ-तहाँ घूमने या पतंग उड़ाने की अपेक्षा, पाठशाला में बँधा रहना बेकार है । उसके प्रखर मस्तिष्क में एक बात सूझी और वह स्लेट हाथ में लेकर उठ खड़ा हुआ।
DEVDAS (PB)
Sharat Chandra Chattopadhyaya
BINDO KA LADKA (PB)
- Author Name:
Sharat Chandra Chattopadhyaya
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Book Type:

- Description: इसे वे ही नहीं बल्कि बाहर के लोग भी भूल गए थे कि यादव मुखर्जी और माधव मुखर्जी दोनों सगे भाई नहीं हैं। जाने कितनी तकलीफें उठाकर बेचारे यादव मुखर्जी ने अपने छोटे भाई माधव को कानून की शिक्षा दिलाई थी। बड़ी मेहनत व कोशिशों के बाद कहीं वे धनी-मानी जमींदार की एकमात्र संतान, पुत्री बिंदुवासिनी को अपनी भ्रातृ बहू बनाकर घर में लाए थे। बहू बिंदुवासिनी बहुत ही रूपवती थी, असाधारण सुंदरी। पहले ही दिन जब बहू बिंदुवासिनी अपना बेजोड़ रूप तथा दस हजार रुपयों के प्रामेसरी नोट लेकर घर में आई थी तब बड़ी बहू अन्नपूर्णा की आँखों से आनंद के आँसू लुढ़कने लगे थे। घर में सास-ननद तो थी नहीं। वे ही घर की मालकिन थीं। उसी दिन छोटी देवरानी का मुँह अपने हाथों से ऊपर उठाकर उन्होंने जाने कितने गर्व से पड़ोसिनों के सामने कहा था ‘घर में बहू आवे तो ऐसी! हूबहू लक्ष्मी का रूप।’ मगर दो ही दिनों में उन्हें पता लग गया कि उनका सोचना गलत था। दो ही दिन में सर्वविदित हो गया कि बहू अपने साथ जिस नाप-तौल से रूप व रुपया लाई है उससे कई गुना ज्यादा अहंकार व अभिमान भी साथ लेती आई है। फौरन ही बड़ी बहू ने अपने पति को एक ओर बुलाकर कहा, ‘क्यों जी, क्या रूप और रुपयों की गठरी को ही देखकर बहू को ले आए थे, जाना-पहचाना भी था? यह तो काली नागिन है, नागिन!
BINDO KA LADKA (PB)
Sharat Chandra Chattopadhyaya
Sharat Chandra Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
Sharat Chandra Chattopadhyaya
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Book Type:

- Description: "शरतचंद्र की श्रेष्ठ कहानियाँ भारतीय भाषाओं के साहित्य में बँगला साहित्य की अपनी अलग पहचान है। इस भाषा के अनेक रचनाकारों ने अपनी लेखनी के दम पर विश्व साहित्य पर प्रभुत्व स्थापित किया। ऐसे ही रचनाकारों में बाबू शरतचंद्र चटर्जी का नाम अजर-अमर है। उनका संपूर्ण साहित्य विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवादित होकर जन-जन में प्रचारित व प्रसारित हुआ। ‘देवदास’, ‘चरित्रहीन’, ‘श्रीकांत’, ‘काशीनाथ’ जैसी रचनाओं का नाम सामने आते ही शरतचंद्र का संपूर्ण व्यक्तित्व मानो साकार हो जाता है। शरतचंद्र ने अपने साहित्य में भारतीय समाज की मान्यताओं व परंपराओं को उनके आदर्श़ों सहित यथार्थ रूप में चित्रित किया है। उन्होंने अपने साहित्य में सामाजिक व राजनीतिक समस्याओं के बीच अपनी रोमांटिक प्रवृत्ति की छाप अवश्य छोड़ी है; समाज की कुरीतियों व कुचेष्टाओं पर प्रबल प्रहार किए हैं, साथ ही नारी-मन के अंतर्द्वंद्व व पीड़ा का भी मार्मिक चित्रण किया है। शरत बाबू की इन कहानियों में समाज में व्याप्त बुराइयों, समस्याओं, पारिवारिक उलझनों को अलग-अलग प्रकार से चित्रित किया गया है। अनेक कहानियाँ ऐसी हैं, जो कभी भुलाई नहीं जा सकेंगी।