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Ramji Prasad 'Bhairav'

Suno Anand!

  • Author Name:

    Ramji Prasad 'Bhairav'

  • Book Type:
  • Description: मैं महापरिनिर्वाण के समीप था। रात्रि का अन्तिम प्रहर चल रहा था। लोगों के दर्शनों का क्रम टूटा नहीं था। वे सब दुखी थे, पर व्यर्थ में मेरी आँखों के सामने कुछ पुराने दृश्य उभरे। वैशाली में प्रवास के दौरान आनन्द ने राहुल के निर्वाण की सूचना दी। गोपा का मुखमंडल उभरा। पिताश्री का मुस्कुराता हुआ मुख, माताश्री का मुख, सारिपुत्र और मौग्द, जाने कितने दृश्य स्मृति-पटल पर आए और चले गए।

    मैंने आँखें खोलीं, “आनन्द!”

    आनन्द रो रहा था, उसकी आँखें लाल थीं, कपोल आँसुओं से सिक्त थे। अन्य भिक्षु भी जो जहाँ था वह दुखी होकर अश्रु अर्घ्य दे रहा था।

    मैंने पुनः कहा—“आनन्द।”

    वह समीप आया, मैंने उसका हाथ अपने हाथों में लिया। वह फूट-फूटकर रो पड़ा।

    “रोओ मत, आनन्द, जीवन का सत्य जानकर जब तुम रोते हो, तो भला इन सांसारिक लोगों को कौन सँभालेगा।”

    मेरी जिह्वा फँसने लगी, होंठ सूख रहे थे।

    मैंने जीभ होंठों पर फिराया, वह कुछ गीला हुआ।

    “भगवन्! आपके बाद हम दुःख निवृत्ति के लिए किसके शरण में जाएँगे।” इतना कहकर वह पुनः रो पड़ा।

    “सुनो आनन्द! मनुष्य मद के कारण पर्वत, वन, उद्यान, वृक्ष और चैत्य की शरण में जाता है। लेकिन यह उत्तम शरण नहीं है, यहाँ दुःख की निवृत्ति नहीं है। सर्वाधिक उत्तम शरण हैं—बुद्ध पुरुषों की शरण, उन्हीं की शरण में कल्याण है।”

     —इसी पुस्तक से

Suno Anand!

Suno Anand!

Ramji Prasad 'Bhairav'

195

₹ 156

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