Rajendra Shrivastava
Makadjaal
- Author Name:
Rajendra Shrivastava
-
Book Type:

- Description:
राजेन्द्र श्रीवास्तव की कहानियाँ उम्मीद का नया पर्यावरण सृजित करती हैं। ऐसे कथाकार विश्वसनीयता का एक नया विश्व बनाते हैं। यह अकारण नहीं है कि उनकी कहानियाँ पढ़ते हुए पाठक का मन सिर्फ व्यथित नहीं होता बल्कि लंबे समय तक भीगा रहता है। उसे ऐसा लगता है जैसे यह कहानियाँ उसी के जीवन या उस जैसों के जीवन का वृत्तान्त हैं। कथाकार जानता है कि जीवन की सच्चाइयों से अधिक जादू किसी और मसाले में नहीं हो सकता। इसीलिए वह बहुत मद्धिम स्वर में अपने समय की सार्थक समीक्षा प्रस्तुत करता है।
राजेन्द्र की कहानियों में प्रेम, विश्वास और जिम्मेदारी का जीवनधर्मी रसायन है, वहाँ प्रेम एक जिम्मेदारी भी है। एक ऐसे समय में जब लोग हर प्रकार की जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहते हैं तब कहानियों में ऐसे भावों को विन्यस्त करना लेखकीय उत्तरदायित्व का श्लाघ्य उदाहरण है। वे जानते हैं कि कहानी में क्या और कितना कहना है। शायद यही कारण है कि उनकी कहानियाँ अपने पाठकों को उबाती नहीं हैं। विषय चयन के साथ ही वे कहानी कला के प्रति भी सजग हैं। उनकी भाषा सादगी का सौंदर्यशास्त्र रचती है। बिल्कुल कबीर की भाषा की तरह। कहानियों में विन्यस्त दाहकता और शीतलता–पाठकों के अंतःकरण की सहचर बन जाती हैं।
—जितेन्द्र श्रीवास्तव
Makadjaal
Rajendra Shrivastava
Koi Takleef Nahin
- Author Name:
Rajendra Shrivastava
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राजेन्द्र श्रीवास्तव के कहानी-संग्रह 'कोई तकलीफ़ नहीं' की एक कहानी, जिसका शीर्षक 'कहानी' है, में आए कुछ वाक्य हैं—'...मछली का लुत्फ उठाते हुए मैं यही सोच रहा था कि सुख की भी कितनी अलग-अलग क़िस्में हैं। स्वादिष्ट भोजन का सुख अलग, सेक्स का सुख अलग, अच्छी रचना लिखने का सुख अलग। बड़ी ग़ज़ब की वैराइटी है, एक-दूसरे से सर्वथा भिन्न।' जीवन में सुख और दु:ख की न जाने कितनी क़िस्में होती हैं। एक अच्छे रचनाकार को इनकी अचूक पहचान होती है। इन्हीं से मिलकर अनन्तरूपी जीवन की रचना होती है।
राजेन्द्र श्रीवास्तव की कहानियाँ सभ्यता के इस 'अन्तर्विरोधी चरण' में आ चुके समाज की दुखती रगों पर उँगली रखती हैं। यह समाज जो एक साथ सम्पन्न भी है और दरिद्र भी, जीवन्त भी है और मरणासन्न भी। ‘जन्मदिन की पार्टी' में जब विचित्र तरह से व्यंजनों की सूची आती है तब 'भूख' शब्द की उपस्थिति महसूस होती है। ‘तिरस्कार’ की सावित्री, 'साड़ी' की सास-बहू, ‘हार-जीत’ के माहेश्वरी प्रसाद और ‘सम्पन्नता’ के विनायक बाबू जैसे चरित्र जीवन के घात-प्रतिघात से उपजे हैं। मर्म से भरी भाषा ने कहानियों को गति दी है। संग्रह की एक कहानी ‘पूरी लिखी जा चुकी कविता’ का निहितार्थ समझ लें तो जीवन और शब्द का सहजीवी रिश्ता भी जगमगा उठता है।
Koi Takleef Nahin
Rajendra Shrivastava
Sapanon Ka Ganit
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Rajendra Shrivastava
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सभ्यता, संस्कृति और शुचिता की बदलती हुई परिभाषाओं के इस दौर में अपने समय को दर्ज करना बेहद चुनौतीपूर्ण है। ‘सपनों का गणित’ की कहानियाँ अपने समय के इस द्वन्द्व को रेखांकित करती हैं और आत्मचिन्तन तथा आत्मविश्लेषण के लिए हमें प्रवृत्त करती हैं। निर्भीक होना हर दौर में लेखन की बुनियादी शर्त रही है। यह सुखद है कि लेखक अपनी पूरी ताक़त से इन स्थितियों से मुठभेड़ करता है और समस्याओं से कन्नी काटकर निकलने का कोई प्रयास इन कहानियों में नहीं है। इन कहानियों के माध्यम से हम सच...और परोसे जा रहे सच...के अन्तर को भी समझ सकेंगे।
अपेक्षाओं का भंग होना आज एक गम्भीर समस्या है और आम जन हर मोर्चे पर ख़ुद को छला हुआ महसूस कर रहा है। लेखक ने इस पीड़ा को समझा है और अपनी कहानियों के माध्यम से अभिव्यक्ति दी है।
पाठकों और आलोचकों—दोनों की पसंद की कसौटी पर खरा उतरना लेखक के लिए कठिन हो सकता है, लेकिन अपनी कहानियों के माध्यम से राजेन्द्र श्रीवास्तव इस सन्तुलन को साधते हैं। पठनीयता और गुणवत्ता दोनों के मेल से ही यह सम्भव हो सकता है।
Sapanon Ka Ganit
Rajendra Shrivastava
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