shop-banner

Kunal Kumar

Aachaarya Badarinath Verma

  • Author Name:

    Kunal Kumar

  • Book Type:
  • Description: आचार्य बदरीनाथ वर्मा ऐसे महापुरुष थे, जो अपनी आख़िरी साँस तक राष्ट्र और राष्ट्रभाषा का सौभाग्य सँवारने के लिए सतत समुद्यत और सचेष्ट रहे। गांधी-युग के हिन्दी-सेवी देशभक्तों में बदरी बाबू का स्थान बहुत ऊँचा है। उनका निरहंकार व्यक्तित्व, उनकी सदाशयता, सहृदयता, सादगी और सर्व-हित-कामना सचमुच मनुष्य-जाति के लिए गौरव का विषय है। राष्ट्रीय एकता की उद्बोधिका राष्ट्रभाषा हिन्दी की जो आकार-कल्पना की गई है, बदरी बाबू मनसा-वाचा-कर्मणा उसके मूर्त रूप थे। गांधीवाद के अनन्य आग्रही बदरी बाबू हिन्दी के लिए ही जिए और हिन्दी के लिए ही मरे। वे गहन सात्त्विकता के साधु-पुरुष थे। विकट व्यस्तताओं में भी वे तुलसी के 'रामचरितमानस' और वेदव्यास की 'गीता' के पारायण तथा भक्ति-संगीत के श्रवण का समय निकाल ही लेते थे। संस्कृत, हिन्दी, बांग्ला, उर्दू और अंग्रेज़ी के गम्भीर ज्ञाता बदरी बाबू को सम्पूर्ण 'गीता' कंठस्थ थी। निस्सन्‍देह, जो कोई भी बदरी बाबू के जीवन-वृत्त का अनुशीलन करेगा, उसे उसमें सरलता, स्वच्छता, सच्चरित्रता, साहस और परम सत्ता के प्रति प्रपन्नता के उदात्त उदहारण उपलब्ध होंगे। जब महापुरुषों की बातें आती हैं, तब हमारा चित्त उनके उन जीवनादर्शों की ओर हठात् उन्मुख हो उठता है, जो मनुष्य के यथार्थ उत्थान के आधारभूत उपादान हैं। उनके वे गुण सामने आ जाते हैं जिनके मनन से लोक-जीवन सार्थक और समुन्नत होने को कटिबद्ध होता है। उनके उन सत्कर्मों के दर्शन होते हैं जो हमारे भीतर साहस, स्वस्थता, शान्ति, प्रकाश, प्राण तथा शक्ति का संचार करते है। 
Aachaarya Badarinath Verma

Aachaarya Badarinath Verma

Kunal Kumar

200

₹ 160

Offers

Best Deal

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

whatsapp