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K. Satchidanandan

Apurna Aur Anya Kavitayein

  • Author Name:

    K. Satchidanandan

  • Book Type:
  • Description: अपूर्ण और अन्य कविताएँ के. सच्चिदानन्दन की कविताओं के हिन्दी अनुवाद का एक महत्त्वपूर्ण संकलन है। इसके पहले उनकी कविताओं के दो हिन्दी संकलन ‘के. सच्चिदानन्दन की कविताएँ’ और ‘वह जिसे सब याद था’ प्रकाशित हो चुके हैं। प्रस्तुत संकलन में मुख्यत: वे कविताएँ संगृहीत हैं जो यात्रानुभवों और प्रेम से सम्बद्ध हैं। एक लम्बी कविता ‘अपूर्ण’ इन दो विषयों को अनुस्‍यूत करती हैं : यह कविता स्टॉकहोम, दिल्ली और पेरिस में लिखी गई थी। 'उत्तरकांड' चीन पर लिखी कविताओं की शृंखला है—और यह ध्यान पर एकाग्र है। अध्यात्म, प्रेम, प्रकृति, राजनीति और कविताएँ सभी कविता के पाठ में शामिल हैं। ‘उत्कल’ और ‘हम्पी में शामें’—केवल स्थान विशेष का विवरण मात्र नहीं, बल्कि स्मृति और कल्पना से संघनित हैं। कवि की प्रेम कविताओं में जहाँ असाधारण तीव्रता है वहाँ समय की निरन्तर उपस्थिति को लक्ष्य किया जा सकता है। —संग्रह की अधिकांश कविताएँ हमारे समय के आक्रोश, बिखराव और विद्रोह को व्यक्त करती हैं। ये कविताएँ अपनी कल्पना-शक्ति, प्रखर अनुभूति, ध्यानपरकता और व्यंग्य-भाव के लिए जानी जाएँगी।
Apurna Aur Anya Kavitayein

Apurna Aur Anya Kavitayein

K. Satchidanandan

495

₹ 396

Bhartiya Sahitya : Sthapanayen Aur Prastavanayen

  • Author Name:

    K. Satchidanandan

  • Book Type:
  • Description: भारतीय साहित्य भारत के जनगण की ही तरह विविधता और एकता के परस्पर सूत्रों से बुनी हुई एक सघन इकाई है। विभिन्न धाराओं, व्यक्तित्वों और विचार-सरणियों के लोकतांत्रिक अन्तर्गुम्फन से ही वह अस्तित्व में आती है।

    वरिष्ठ मलयाली कवि और चिन्तक के. सच्चिदानन्दन की यह पुस्तक एक तरफ़ जहाँ इस विविधता के सूत्रों को रेखांकित करती है, वहीं साहित्य और विशेषकर भारतीय साहित्य की वर्तमान स्थिति व उसके सामने उपस्थित चुनौतियों का भी अन्वेषण करती है।

    मूल रूप से अंग्रेज़ी में ‘इंडियन लिटरेचर : पोजीशंस एंड प्री पोजीशंस’ नाम से प्रकाशित और बहुपठित इस पुस्तक में मिर्ज़ा ग़ालिब, महाश्वेता देवी, ए.के. रामानुजन, वी.एस. खांडेकर, कमलादास, चन्द्रशेखर कंबार, केदारनाथ सिंह, सीताकान्त महापात्र, ओक्‍टावियो पाज़ और पाब्लो नेरुदा जैसे साहित्य-स्तम्भों के साथ-साथ साहित्य की मौजूदा चिन्ताओं और प्रवृत्तियों को चिन्तन का विषय बनाया गया है।

    पाठक इस निबन्ध संकलन में उत्तर-आधुनिकता, आधुनिकता, दलित-लेखन, स्त्री-लेखन, भारतीय आख्यान परम्परा, पाठक की नई भूमिका, आधुनिक लेखक की दुविधाएँ तथा कविता का कार्य आदि अनेक समकालीन तथा ज्वलन्त मुद्‌दों पर भी विचारोत्तेजक सामग्री पाएँगे।

Bhartiya Sahitya : Sthapanayen Aur Prastavanayen

Bhartiya Sahitya : Sthapanayen Aur Prastavanayen

K. Satchidanandan

595

₹ 476

Siddharth Aur Gilahari Chayan

  • Author Name:

    K. Satchidanandan

  • Book Type:
  • Description: गहरी करुणा, वैचारिक परिपक्वता और संसार को मनुष्यों समेत हर जीव के लिए एक उदार खुली जगह बनाने की मंशा से युक्त के. सच्चिदानन्दन की ये कविताएँ हमें एक बड़े रचनाकार का भावप्रवण सान्निध्य उपलब्ध कराती हैं।

    के. सच्चिदानन्दन मलयालम भाषियों के लिए जितने अपने हैं, उतने ही हिन्दी भाषी पाठकों के भी हैं। अनामिका अनु द्वारा संकलित-अनूदित यह संग्रह उनकी कविता-यात्रा का अगला चरण है। वे ऐसे कवि हैं जो न अपने फ़ॉर्म को पुराना पड़ने देते हैं, न ही अपनी दृष्टि को। भीतर और बाहर की अपनी यात्राओं और कला-साहित्य के विभिन्न अनुशासनों से अपने लगाव के चलते वे अपनी कविता को लगातर नई करते रहते हैं। उन्हीं के शब्दों में : ‘मेरी कविता एक संवाद है जो मैं अपने से, दूसरों से, प्रकृति से और सृष्टि से अनवरत करता रहता हूँ। आधी सदी से भी ज़्यादा समय से मैं कविता लिख रहा हूँ, कविता का अनुवाद भी करता रहा हूँ, कविता के बारे में लिखता भी रहा हूँ, फिर भी हर नई कविता के सम्मुख मैं एक ‘बिगिनर’ की तरह ही प्रस्तुत होता हूँ। हर नई कविता में अपने अनुभव को व्यक्त करने के लिए मुझे नए सिरे से सही शब्दों और उपयुक्त शिल्प की तलाश करनी होती है।’

    इस संकलन की कविताएँ अपनी कथ्यगत विविधता और संवेदना की व्यापक परिधि के साथ पुन: हमें उनकी कविता के विराट लोक में ले जाती है जहाँ दु:ख के कमरे हैं, और देशों की सीमाएँ उलांघती मानवीयता के विशाल पंख भी।

Siddharth Aur Gilahari  Chayan

Siddharth Aur Gilahari Chayan

K. Satchidanandan

199

₹ 159.2

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