Dr. Mayank Murari
Tribal Bravehearts
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Dr. Mayank Murari +1
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- Description: "India's rich history is adorned with the vibrant traditions of its tribal communities, whose existence was deeply intertwined with nature. For centuries, these tribes lived in harmony with the forests, preserving their unique customs and traditions. However, the advent of British colonialism disrupted this delicate equilibrium, leading to widespread displacement, cultural erosion and economic exploitation. Faced with oppression, the tribal communities of India rose in fierce resistance. From the battle cries of the Paharias in Rajmahal to the defiant stand of the Kondas in Odisha, numerous uprisings erupted, echoing the spirit of freedom. Leaders like Birsa Munda, Rani Gaidinliu, Tantia Bhil, Alluri Seetharama Raju became symbols of unwavering defiance against colonial rule. Their struggles, though fragmented, laid the foundation for the broader independence movement. This book delves into the untold stories of tribal resistance, exploring their cultural resilience, socio-political struggles, and the enduring fight for autonomy. It is a tribute to their courage-a saga of defiance against imperial rule and a testament to the timeless human spirit of freedom."
Tribal Bravehearts
Dr. Mayank Murari
Sanatan Utsav Ka Desh
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Dr. Mayank Murari
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Sanatan Utsav Ka Desh
Dr. Mayank Murari
Jharkhand Ke Anjane Khel
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Dr. Mayank Murari
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Jharkhand Ke Anjane Khel
Dr. Mayank Murari
Jharkhand Ki Lokkathayen
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Dr. Mayank Murari
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- Description: भारतीय संस्कृति केवल लिखित शास्त्रों में ही नहीं, बल्कि यह मौखिक परंपराओं के कारण भी समृद्ध हुई है। मौखिक परंपरा में लोक-साहित्य एक बड़ा क्षेत्र है, जिसमें लोककथाएँ, कहावतें, लोरियाँ, लोक-खेल, लोक-गीत और लोक-नाट्य शामिल हैं। लोक-साहित्य भारतवर्ष नामक भवन का आधार है, जिस पर समस्त भारतीय साहित्य टिका हुआ है। लोककथाएँ किसी क्षेत्र विशेष की कथाएँ हैं, जो परंपरागत रूप से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती जाती हैं। इनका अस्तित्व जनश्रुतियों के माध्यम पर निर्भर करता है। लोककथा की प्राचीनता भारतीय संस्कृति के इतिहास के साथ जुड़ी है। लोक-जीवन में प्रचलित कथाओं की भावभूमि पर ही हितोपदेश, वेताल पंचविंशति, जातक कथा, बृहत्कथा मंजरी जैसे ग्रंथों में कथाओं की रचना की गई। लोककथा मंगलकामना की भावना को समावेशित किए होती है। सबके सुख, शुभ और मंगल की कामना एवं चाहत ही लोककथाओं का मूल संदेश होता है। युगों से लोककथाएँ मानव-मूल्यों का संवहन करती रही हैं। यह एक सच्चाई है कि जैसे-जैसे हमारे जीवन से लोक एवं लोककथाएँ गुम होती गईं, वैसे-वैसे मानव-मूल्यों का भी क्षरण होता गया। इस संकलन में झारखंड की पंचपरगनिया, कुडुख, संताली आदि की कुछ चुनिंदा लोककथाओं का संकलन किया है जिनसे वहाँ की समृद्ध लोक-संस्कृति, परिवेश और परंपराओं की जानकारी पाठकों को मिल सकेगी।
Jharkhand Ki Lokkathayen
Dr. Mayank Murari
Jambudweepe Bharatkhande
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Dr. Mayank Murari
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- Description: भारतीय चिंतन में कल्प की अवधारणा का समय के साथ-साथ व्योम, यानी देश के हिसाब से भी विचार किया गया है। पृथ्वी के द्वारा सूर्य का परिभ्रमण करने से संवत्सर काल बनता है। इसी प्रकार जब सूर्य अपनी आकाशगंगा का चक्कर लगाता है तो उसका एक चक्र पूरा होने के समयखंड को मन्वंतर कहा जाता है। इस प्रकार आकाशगंगा भी इस ब्रह्मांड में किसी ध्रुवतारे या सप्तर्षि या अन्य तारे का चक्कर लगाती है, उसके एक चक्कर की गणना को ही कल्प कहा गया। हमारा सौरमंडल आकाशगंगा के बाहरी इलाके में स्थित है और उसके केंद्र की परिक्रमा कर रहा है। इसे एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग 22.5 से 25 करोड़ वर्ष लग जाते हैं। —इसी पुस्तक से भारतीय जीवन में देश और काल है। काल के साथ गति है और गति के संग जीवनदर्शन जुड़ा है। यह बात ही भारत को विशिष्ट बनाती है। कालचक्र, युगचक्र, ऋतुचक्र, धर्मचक्र, भाग्यचक्र और कर्मचक्र के विधान भारतीय सांस्कृतिक चेतना में समाए हुए हैं। सनातन के माहात्म्य, भारतीय चिंतन की वैज्ञानिकता और भारतीय जीवन-मूल्यों की पुनर्स्थापना करती विचारोत्तेजक पठनीय कृति।
Jambudweepe Bharatkhande
Dr. Mayank Murari
Purushottam Ki Padyatra
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Dr. Mayank Murari
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- Description: जीवन में पुरुषोत्तम की यात्रा आसान नहीं होती है। मानव जीवन में शिखर पर पहुँचने के लिए पदयात्रा करनी होती है। श्रीराम के जीवन को ध्यान से देखिए | उन्होंने कभी खुद को अवतार कौन कहे, पुरुषोत्तम के रूप में भी प्रस्तुत नहीं किया। वे सदैव जीवन की जटिलताओं के बीच खड़े एक आम मानव की तरह चलते हैं, सामान्य लोगों के साथ बराबरी का संबंध बनाते हैं। पुरुषोत्तम की पदयात्रा को जिस प्रकार श्रीराम ने अपने विचार और विवेक के धरातल पर सहज बनाया, वह आज अनुकरणीय बने-- वैज्ञानिक चेतना के आधार पर मौलिक विचारों के प्रकटीकरण तथा विचार और विवेक के साथ अध्यात्म में प्रवेश करने की सरल यात्रा करवाती है यह पुस्तक “पुरुषोत्तम की पदयात्रा'। इसके लिए अंतर्यात्रा आवश्यक है । रामायण में वर्णन है कि विश्वमित्र के साथ भेजने के निर्णय के पश्चात् दशरथजी ने श्रीराम को बुलाकर पूछा कि वह आजकल सब कामों के प्रति उदासीन क्यों हैं ? राम कहते हैं कि जीवन में आदमी जो कुछ भी करता है, वह अंतत: क्षणिक परिणामों वाला तथा मृत्यु की ओर जानेवाला होता है। जीवन में कहीं किसी बात की कोई स्थायी उपलब्धि नहीं है; धन, यश, बल और पद--सभी के अपने अंतर्विरोध हैं। भला कोई विवेकशील प्राणी क्यों इन क्षणिक सुख से जुड़ना चाहेगा ? भारतीय चिंतन में उत्कृष्टता की खोज सदैव की गई है। नचिकेता ऐसे ही कुछ सवाल यम के समक्ष उठाते हैं, महाभारत के युद्धक्षेत्र में अर्जुन शंका व्यक्त करते हैं और इस युग में तथागत को भी कट सत्य से जुझना पड़ता है। लेकिन कोई पुरुषोत्तम कैसे बनता है ? इसके लिए श्रीराम का आदर्श जीवन समाज के सामने है।
Purushottam Ki Padyatra
Dr. Mayank Murari
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