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Chandrabhushan

Tumhara Naam Kya Hai Tibbat

  • Author Name:

    Chandrabhushan

  • Book Type:
  • Description: तिब्बत के बारे में वरिष्ठ पत्रकार श्री चंद्रभूषण की यह किताब विश्वपटल पर 1949 से जारी चीनी कम्युनिस्ट साम्राज्य निर्माण की अंतर्कथा है। 2015 में चीन सरकार के सौजन्य से संपन्न तिब्बत यात्रा से पैदा प्रामाणिकता इसका मुख्य आकर्षण है। लेकिन यह किताब सहज तरीके से चीन के ताज़ा इतिहास, तिब्बत की अस्मिता कथा, कम्युनिस्ट नवनिर्माण की दिशाहीनता, चीनी राष्ट्रवाद से पड़ोसी देशों के अविश्वसनीय नुकसान और भारत की दुखकथा की भी समझ बनाती है। श्री चंद्रभूषण का यह योगदान हिंदी संसार के लिए भारत के पड़ोसी 'शिष्य देश तिब्बत के ताज़ा सुख-दुख की जानकारी के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसको हाथ में लेने के बाद पूरी किताब पढऩे की प्रेरणा जागती है। यह हमारे लिए तिब्बत-चीन-भारत के त्रिकोणीय अंतर्विरोध की अंधेरी गुफा को प्रकाशमय बनाने वाली रचना भी है। —प्रो. आनंद कुमार
Tumhara Naam Kya Hai Tibbat

Tumhara Naam Kya Hai Tibbat

Chandrabhushan

285

₹ 233.7

Pachchoon Ka Ghar

  • Author Name:

    Chandrabhushan

  • Book Type:
  • Description: लेखक राजनीतिक-सामाजिक रूप से सजग और उद्विग्न हो तो पाठक हर पल कुछ नया पाने की उम्मीद करता है। वह कवि हृदय और पत्रकार भी हो तो यह एक लीथल कॉम्बिनेशन होता है। चंद्रभूषण की राजनीतिक सक्रियता के आरंभिक एक दशक का गवाह होने के नाते मैं भरोसे से कह सकता हूँ कि उनके कहन में अनुभवों का ताप है। विविध विषयों पर लिखने और रमे रहने की उनकी मेधा मुझे ईष्र्या की सीमा तक आकर्षित करती रहती है। मेरे लेखे चंद्रभूषण, जिन्हें हम चंदूभाई कहते हैं, एक दुर्धर्ष पढ़ाकू और घुमंतू व्यक्ति हैं जिसकी अब स्वाभाविक निष्पत्ति लिक्खाड़ की है। चंद्रभूषण की यह कहानी अंतत: एक समय की कहानी है, जो अभी जारी है और जिसमें हम सबका साझा है। —सैयद मोहम्मद इरफान (ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट, एंकर सेलिब्रिटी टॉक शो 'गुफ्तगू') कार्यकर्ता जब कार्यकर्ता है तो उसे पक्षधर होना ही चाहिए। वहीं, पत्रकार से उम्मीद होती है कि वह निष्पक्ष हो जाए। जैसा देखे वैसा रिपोर्ट करे। विश्लेषण में भी तटस्थ रहे। फिर वह कोई छोटी जमात तो है नहीं जो कार्यकर्ता से पत्रकार बनी। गांधीवादी, आंबेडकरवादी, सावरकरवादी, वामपंथी, अति वामपंधी हर धारा के कार्यकर्ता पत्रकार बनते रहे हैं। राजनीतिक कार्यकर्ता से पत्रकार बनने की एक यात्रा चंद्र्रभूषण के भी हिस्से आई है लेकिन पत्रकारिता से जुड़ी तीरंदाजी के किस्से इस किताब में नहीं हैं। यहाँ एक इंसान का जीवन है, जिसकी यात्रा समकालीन इतिहास को आड़े-तिरछे काटती है। एक ऐसा व्यक्ति जो संसार को खुली आँखों देखता है और उसके भद्देपन को अस्वीकार करता है। —दिलीप मंडल (पूर्व संपादक, इंडिया टुडे)
Pachchoon Ka Ghar

Pachchoon Ka Ghar

Chandrabhushan

395

₹ 323.9

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