Arun Sadhu
Jhipayya
- Author Name:
Arun Sadhu
-
Book Type:

- Description: v data-content-type="html" data-appearance="default" data-element="main"><p>‘झिपय्या' अरुण साधू की प्रयोगात्मक कथाकृति है। न तो इसे पूरी तरह कहानी कहा जा सकता है और न ही यह उपन्यास-विधा की सारी शर्तें पूरी करता है। इसीलिए श्री साधू ने अपनी इस कृति को सीधे-सीधे कहानी-संग्रह या उपन्यास न कहकर 'कथामालिका' कहा है। इसमें एक ही परिस्थिति में जीवन जीने का ईमानदार संघर्ष करते पात्रों की अनेक कहानियाँ हैं। ये कहानियाँ श्री साधू ने 1977 से 1987 के बीच लिखीं और वे लगभग उपन्यास बन गईं। यह नया प्रयोग निश्चय ही कथा-विधा के लिए एक चुनौती की तरह है। उपन्यास का नायक 'झिपय्या' बारह-तेरह साल का किशोर है। घर में उसकी बहन लीला और उसकी माँ भी हैं। झिपय्या के अनेक साथी हैं जो बूट पालिश करने का धन्धा करते हैं। लेकिन मुम्बई की बदलती परिस्थितियों के बीच यह धन्धा ख़त्म होनेवाला है। इस अन्धकारमय भविष्य से झिपय्या परेशान नहीं होता। किसी असामाजिक कार्य में घुसने की नहीं सोचता। वह ईमानदारी से श्रम करके जीना चाहता है। यह ताक़त उसे अपनी आशावादी दृष्टि के कारण मिलती है। बूट पालिश करनेवाला झिपय्या के सभी साथी अपनी-अपनी तरह से ग़रीबी के विरुद्ध संघर्ष करते हैं। श्री साधू ने अपनी इस कथा-कृति में मुम्बई में रहनेवाले समाज के सबसे निचले तबके की महागाथा लिखी है। यह रचना निश्चय ही उनकी सृजनयात्रा में भी एक कीर्तिमान है।</p>
Jhipayya
Arun Sadhu
Bambai Dinank
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Arun Sadhu
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