Anoop Baranwal
Bharatiya Samvidhan Ki Nirman-Yatra
- Author Name:
Anoop Baranwal
-
Book Type:

- Description:
संविधान सभा की बहस आजादी आन्दोलन के महानायकों के अवचेतन मन का दर्शन है और यह दर्शन ही भारतीय संविधान की आत्मा है, जिसे जानने-समझने में ‘भारतीय संविधान की निर्माण-यात्रा’ पुस्तक मार्गदर्शक का काम करती है। लेखक ने इस पुस्तक में न केवल संविधान-निर्माण के सम्पूर्ण कार्य को समाहित किया है बल्कि लगभग साढ़े छह हजार पृष्ठों में विस्तृत दुर्लभ संविधान सभा बहस—जिसका हिन्दी अनुवाद : 10484 पृष्ठों में प्रकाशित है—को सरल भाषा में प्रामाणिकता के साथ प्रस्तुत किया है।
शासन-प्रणाली, संघवाद, नागरिकता, राष्ट्रध्वज, मूल अधिकार, आरक्षण, अल्पसंख्यकों के लिए राजनीतिक आरक्षण, समान नागरिक संहिता, पर्सनल लॉ संरक्षण, गौवध, शराबबन्दी, काम का अधिकार, आर्थिक लोकतंत्र, दासता, ऐतिहासिक स्मारकों की सुरक्षा, आपातकाल, राष्ट्रपति-शासन, न्यायपालिका एवं अन्य संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता, भाषाई-विवाद, अनुच्छेद 370, संविधान-संशोधन, उद्देशिका जैसे तमाम जटिल मुद्दों पर हमारे संविधान-निर्माताओं की क्या मंशा थी और वे एक निर्णय पर पहुँच पाने में कैसे सफल हुए? इन सवालों का जवाब देने के साथ-साथ यह कृति, प्रेरक संवैधानिक उद्धरणों का आदर्श संकलन भी मुहैया कराती है।
संविधान-चक्र क्या है और संविधान के अन्तर्गत यह कैसे कार्य करता है, भारतीय संविधान एक सामाजिक दस्तावेज क्यों है, विविधताओं वाले भारत राष्ट्र को एकसूत्र में बाँधे रखने के लिए संविधान में क्या-क्या उपाय किए गए हैं, ऐसी कई जिज्ञासाओं का समाधान करती यह पुस्तक, ‘स्वराज’ को अक्षुण्ण बनाए रखने और ‘सुराज’ को हासिल करने के लिए प्रत्येक नागरिक को प्रेरित-प्रोत्साहित करने में सक्षम है।
Bharatiya Samvidhan Ki Nirman-Yatra
Anoop Baranwal
Teen Talaq Ki Mimansa
- Author Name:
Anoop Baranwal
-
Book Type:

- Description: तलाक़ एवं इससे जुड़े विषय—हलाला, बहुविवाह की पवित्र क़ुरान और हदीस के अन्तर्गत वास्तविक स्थिति क्या है? वैश्विक पटल पर, ख़ास तौर से मुस्लिम देशों में तलाक़ से सम्बन्धित क़ानूनों की क्या स्थिति है? भारत में तलाक़ की व्यवस्था के बने रहने के सामाजिक एवं राजनीतिक प्रभाव क्या हैं? महिलाओं के सम्पत्ति में अधिकार से वंचित बने रहने का तलाक़ से क्या सम्बन्ध हैं ? तलाक़ के सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट के विचारों की क्या प्रासंगिकता है? धार्मिक आस्था एवं व्यक्तिगत क़ानून के मूल अधिकार के होने या न होने का तलाक़ पर क्या प्रभाव है? कांग्रेस सरकार द्वारा तलाक़ोपरान्त भरण-पोषण पर और भाजपा सरकार द्वारा तीन तलाक़ पर लाए गए कानून के क्या प्रभाव हैं? तलाक़ की समस्या का भारतीय परिपेक्ष्य में समाधान क्या है? तलाक़ से जुड़े ऐसे सवालों के सभी पहलुओं पर विश्लेषण करने का प्रयास इस पुस्तक के माध्यम से किया गया है। ब्रिटिश हुकूमत द्वारा शरीयत अनुप्रयोग क़ानून, 1937 के माध्यम से जिस धार्मिक दुराग्रह का ज़हर घोलने का प्रयास किया गया था, उससे मुक्ति दिलाने में हमारे नीति-निर्माता आज़ादी के इतने वषों बाद भी असफ़ल रहे हैं। जबकि संविधान-निर्माताओं द्वारा इससे मुक्ति का रास्ता बताया गया है। वह है धर्मनिरपेक्षता के आईने से एक यूनिफ़ॉर्म सिविल संहिता बनाकर लागू करने का रास्ता। हम सब इस रास्ते की ओर आगे तो बढे, किन्तु महज़ पाँच वर्ष बाद ही हिन्दू क़ानून में सुधार पर आकर अटल गए। मुस्लिम, ईसाई सहित सभी धर्मों के व्यक्तिगत क़ानूनो में सुधार कर एक समग्र व सर्वमान्य सिविल संहिता बनाने की इच्छाशक्ति नहीं जुटा सके, जिसका ख़ामियाज़ा इस देश को भुगतते रहना होता है। भारत में तीन तलाक़ की समस्या का मूल इसी में छिपा है, जिसका विश्लेषणात्मक अध्ययन करना भी इस पुस्तक का विषय है ।
Teen Talaq Ki Mimansa
Anoop Baranwal
Nirman-Purush Dr. Ambedkar Ki Samvidhan-Yatra
- Author Name:
Anoop Baranwal
-
Book Type:

- Description:
आज़ादी के समय देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती भावी शासन-व्यवस्था में सामन्तवाद को प्रभावी होने से बचाना था। समाज में व्याप्त सामन्तवाद के ख़िलाफ़ लड़ते रहनेवाले बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर द्वारा संविधान-निर्माण के दौरान इस चुनौती से किस तरह निपटा गया? इसका जवाब खोजने के साथ संविधान में ‘देश के नाम’, ‘राज्यक्षेत्र’, ‘मूल अधिकार’, ‘नीति-निर्देशक सिद्धान्त’ से सम्बन्धित अनुच्छेद 1 से 51 तक के प्रावधानों को अन्तिम रूप देने के लिए संविधान सभा में हुई बहस को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है।
बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर की जीवनी में रूचि रखनेवाले देशवासियों के समक्ष आज़ादी के आन्दोलन में डॉ. अम्बेडकर की भूमिका को सन्देह के घेरे में रख तरह-तरह के सवाल किए जाते हैं, इस पुस्तक में इसका भी जवाब खोजने का प्रयास किया गया है।
देश की ग़ुलामी के लिए उत्तरदायी रही भारतीय समाज की सामन्तवादी प्रवृत्ति को समाप्त करने एवं देश को आन्तरिक ग़ुलामी से मुक्त कराने में बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर द्वारा किए गए संघर्ष और उनके विचार का विश्लेषणात्मक अध्ययन इस पुस्तक के माध्यम से किया गया है।
बिलकुल विपरीत परिस्थिति में भारत जैसे सांस्कृतिक विविधता वाले देश के लिए सर्वमान्य संविधान के निर्माण में डॉ. अम्बेडकर एवं अन्य संविधान निर्माताओं की भूमिका का भी विश्लेषणात्मक अध्ययन इस पुस्तक के माध्यम से किया गया है।
Nirman-Purush Dr. Ambedkar Ki Samvidhan-Yatra
Anoop Baranwal
Samaan Nagrik Sanhita : Chunautiyan Aur Samaadhan
- Author Name:
Anoop Baranwal
-
Book Type:

- Description:
इस पुस्तक में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान बने धर्मनिरपेक्ष क़ानूनों का समान नागरिक संहिता के सन्दर्भ में महत्त्व; अनुच्छेद 44 पर संविधान सभा में किए गए बहस की प्रासंगिकता; सुप्रीम कोर्ट द्वारा समान नागरिक संहिता के पक्ष में दिए गए निर्णयों के महत्त्व; नीति-निर्माताओं द्वारा हिन्दू क़ानून (1955) या भरण-पोषण क़ानून (1986) या तीन तलाक़ क़ानून (2017) बनाते समय और विधि आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट (2018) प्रस्तुत करते समय खो दिए गए अवसर के प्रभाव का विस्तार से विश्लेषण किया गया है।
विश्व के प्रमुख सिविल संहिताओं जैसे फ्रांस, जर्मन, स्विस, टर्की, पुर्तगाल, गोवा सिविल संहिता का उल्लेख करते हुए पुस्तक में 'इक्कीस सूत्री मार्गदर्शक सिद्धान्त' का प्रतिपादन किया गया है। इसके आधार पर एक सर्वमान्य 'भारतीय सिविल संहिता' बनाया जा सकता है। संविधान निर्माताओं की मंशा के अनुरूप प्रस्तावित समान नागरिक संहिता को व्यापकता के साथ प्रस्तुत किया गया है, जिसमें व्यक्ति, परिवार एवं सम्पत्ति सम्बन्धी विषयों के साथ राष्ट्रीयता सम्बन्धी विषय शामिल हैं।
पुस्तक में 'भारत राष्ट्र हमारा' के रूप में राष्ट्रगान, 'चक्रध्वज' के रूप में राष्ट्रीय ध्वज के अतिरिक्त राष्ट्रभाषा, राष्ट्रीय पर्व और राष्ट्रीय दिवस, राष्ट्रीय सम्मान, भारतीय नागरिकता रजिस्टर, राष्ट्रपरक उपनाम जैसे विषयों की संविधान के अनुरूप व्यापक दृष्टिकोण के साथ व्याख्या की गई है।
भारत में लागू सभी व्यक्तिगत क़ानूनों; यथा—हिन्दू क़ानून, मुस्लिम क़ानून, ईसाई क़ानून, पारसी क़ानून में मौजूद सभी विसंगति वाले विषयों जैसे बहुविवाह, विवाह-उम्र, मौखिक विवाह-विच्छेद (तलाक़), हलाला, उत्तराधिकार, वसीयत, गोद, अवयस्कता, जनकता, दान, मेहर, भरण-पोषण, महिलाओं की सम्पत्ति में अधिकार, आर्थिक अराजकता का विश्लेषण कर इनका धर्मनिरपेक्ष समाधान इस पुस्तक में दिया गया है।
Samaan Nagrik Sanhita : Chunautiyan Aur Samaadhan
Anoop Baranwal
Bharatiya Bhasha Mein High Court Ki Vakalat
- Author Name:
Anoop Baranwal
-
Book Type:

- Description: भारतीय संविधान को लागू किए जाने के समय हमारे संविधान-निर्माताओं ने उम्मीद जताई थी कि ‘पाँच वर्ष बीतते-बीतते हिन्दी-राज्यों के हाईकोर्ट पूरी तरह हिन्दी में काम करना आरम्भ कर देंगे’ लेकिन संविधान-निर्माताओं द्वारा संकल्पित उस पाँच वर्ष की अवधि के 69 वर्ष बाद भी हम इस लक्ष्य से बहुत दूर हैं। ‘भारतीय भाषा में हाईकोर्ट की वकालत’ पुस्तक इस कठोर सचाई को रेखांकित करती है और इस लक्ष्य को यथाशीघ्र हासिल करने का एक व्यावहारिक मार्ग प्रस्तावित करती है। इस पुस्तक में हाईकोर्ट में दाखिल होने वाले इक्कीस अलग-अलग तरह के प्रचलित मुकदमों और दर्जनों प्रार्थना-पत्रों के बारे में बताया गया है। साथ ही उनका हिन्दी में मसौदा तैयार करने के तरीके भी दिए गए हैं। सिविल एवं आपराधिक क्षेत्र से सम्बन्धित जनहित याचिका हो या रिट याचिका, अपील हो या निगरानी या निरीक्षण याचिका, 482 हो या जमानत या अवमानना, ऐसे सभी मुकदमों के संलग्न मसौदे कि हिन्दी में भी मुकदमा तैयार करना आसान है। यह कृति, उस हीनभावना को दूर करती है, जो हम हाईकोर्ट में अपनी ही भाषाओं यथा, हिन्दी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, बांग्ला, उड़िया, असमिया, तमिल, कन्नड़, तेलुगु, मलयालम इत्यादि के प्रति महसूस करते हैं और जिसके कारण हम आजादी के 75 वर्ष बाद आज भी न्यायालयों में अंग्रेजी की भाषाई अधीनता में अपना कर्मजीवन जीने के आदती-से हो गए हैं।
Bharatiya Bhasha Mein High Court Ki Vakalat
Anoop Baranwal
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.