Dharmantaran Ambedkar Ki Dhamma Yatra

Dharmantaran Ambedkar Ki Dhamma Yatra

Language:

Hindi

Pages:

560

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

1120 mins

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Book Description

‘धर्मान्तरण’ जाति व्यवस्था, बौद्ध धर्म के मूल्यों और लिंग के प्रश्न से सम्बन्धित मुद्दों पर एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। रतन लाल द्वारा शानदार ढंग से सम्पादित यह पुस्तक समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में सामाजिक परिवर्तन के मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध सभी लोगों के लिए आवश्यक है। —प्रो. राम पुनियानी भारत में सदियों से धर्मान्तरण होता रहा है। सर्वाधिक धर्मान्तरण द्विजों ने किया है। लेकिन विवाद का विषय बीसवीं सदी में दलितों का धर्मान्तरण बना, क्योंकि डॉ. आंबेडकर ने अस्पृश्यता से ग्रस्त दलित जातियों को अपनी मुक्ति के लिए हिन्दू धर्म छोड़ने का आह्वान किया था। डॉ. रतन लाल ने इस सम्पूर्ण बहस को इस पुस्तक में एक साथ रखकर साहित्य और इतिहास के विद्यार्थियों के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। —कँवल भारती बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों और रणनीति में धर्मान्तरण का अहम स्थान है। आज जब हम हिन्दू राष्ट्र बनने की दहलीज पर खड़े है, तो इन विचारों और रणनीतियों को इस सन्दर्भ में देखा जा सकता है। रतन लाल ने बाबा साहेब के विशाल लेखों और भाषणों के 15000 पन्नों में बिखरे उनके धर्मान्तरण सम्बन्धित विचारों को, बड़ी मेहनत से किताब में संकलित किया है। मुझे यकीन है कि हिन्दी पाठक इसे कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार करेंगे। —आनन्द तेलतुम्बड़े धर्मान्तरण पर बाबासाहेब आंबेडकर के लेखन और भाषणों का यह विस्तृत चयन इस विषय पर उनके विचारों की स्पष्ट तस्वीर देता है। रतन लाल ने विस्तृत भूमिका लिखी है, जो धर्मान्तरण के सम्बन्ध में बाबासाहेब के दृष्टिकोण को समझने के लिए ऐतिहासिक रूपरेखा प्रदान करती है। —अशोक गोपाल रतन लाल द्वारा सम्पादित इस किताब से हमें मालूम होता है कि आधुनिक चिन्तक डॉ. भीमराव आंबेडकर का धर्म जैसे पारम्परिक विचार और व्यवहार के साथ किस प्रकार का रिश्ता रहा। क्यों उन्हें धर्म अनिवार्य जान पड़ा और वे क्यों बौद्ध मत की तरफ़ ही मुड़े? इस किताब की भूमिका को अनिवार्य रूप से पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि वह बौद्धिक तटस्थता के साथ धर्म के प्रसंग में डॉक्टर आंबेडकर के भीतर के द्वन्द्वों की पड़ताल करती है। —प्रो. अपूर्वानंद

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