
Pratinidhi Kahaniyan : Arun Prakash
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
152
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
304 mins
Book Description
साहित्य के मौजूदा दौर में पाठ-सुख वाली कहानियाँ कम होती जा रही हैं। इस संकलन की कहानियों में पाठ-सुख भरपूर है। लेकिन यह सुख तात्कालिक नहीं है बल्कि ये निर्विवाद कहानियाँ देर तक स्मृति में बनी रहती हैं। लोकप्रियता और विचार-केन्द्रित कथा का मिज़ाज मुश्किल से मिलता है, पर इन कहानियों में यह सुमेल इसलिए सम्भव हो पाया, क्योंकि यहाँ पाठकों के प्रति गम्भीर सम्मान है। ये कहानियाँ पाठकों को उपभोक्ता नहीं, सहभोक्ता; श्रोता नहीं, संवादक बनने का अवसर देती हैं। इनमें विचार उपलाता नहीं, अन्तर्धारा की तरह बहता है, क्योंकि यह सृजन पाठक-लेखक सहभागिता पर टिका है। युग की प्रमुख आवाज़ों को सुरक्षित रखना इतिहास की ज़िम्मेवारी है, छोटी-छोटी अनुगूँजों को सहेजना साहित्य की। मनुष्य विरोधी मूल्यों, सत्ताओं और संगठित संघर्षों की बड़ी उपस्थिति के बावजूद लघु, असंगठित और प्राय: व्यक्तिगत संघर्षों की बड़ी दुनिया है। इन कहानियों में उसी की अनुगूँजें हैं। ये कहानियाँ किसी एक शैली में नहीं बँधी हैं, बल्कि हर कहानी का अलग और स्वतंत्र व्यक्तित्व नई भाषा, नई संरचना और आन्तरिक गतिशीलता के सहारे निर्मित किया गया है।