
Anarko Ke Aath Din
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
104
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
208 mins
Book Description
बाल मन की जिज्ञासाएँ जब सवालों के रूप में अपने घर के तथाकथित ‘बड़ों’ से टकराती हैं तो उनके मेधा पर जमी धूल और विवेक पर पड़ा परदा उड़ने लगता है । वयस्क सोचने पर मज़बूर हो जाता है कि यह बाल- मन कहीं न कहीं सच तो बोल रहा है , सही सवाल पूछ तो रहा है ! हम सब एक प्रवाह में जीये जा रहे हैं ! ‘यह चीज़ क्यों कर रहे हैं ?’ ‘अगर नहीं करेंगे तो क्या होगा ?’ ‘हम जीवन में आख़िर चाह क्या रहे हैं ?’ ‘ हम इतने बंधे क्यों हैं ?’ आदि । हम सब छोटी -छोटी चीज़ों में ऐसे उलझे हैं कि हम जीवन के उद्देश्य सोच ही नहीं पा रहे हैं । और न ही अगली और आने वाली पीढ़ियों के लिए रास्ता बना रहे ताकि वो प्रामाणिक जीवन जी सके । अनारको जैसे चरित्र के माध्यम से लेखक श्री सतीनाथ सारंगी ने बहुत ही सरल और सहज शब्दों में हमारे जीवन से संबंधित ऐसे सवाल पूछे हैं जो महत्वपूर्ण तो हैं लेकिन सामान्यतया हमारे द्वारा नकार दिए जाते हैं या हम उन पर ध्यान नहीं देते हैं । प्रवाहमयी भाषा और कहने की शैली इस पुस्तक को पठनीय बनाती है ।