Kaamnaon Ki Munder Par
Author:
GeetashreePublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Contemporary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
‘हंस’ में कहानी ‘अफ़सानाबाज़’ पढ़ी। दर्द को मन में पूरी तरह जज़्ब करके लिखी है यह कहानी जो कहानी नहीं, सच लगती रहती है बराबर। उनके पहाड़ जैसे सन्ताप के सामने हमारे अपने निजी दुख कितने छोटे नज़र आने लगते हैं। गीताश्री ने लिखी नहीं, कहानी जी है।
मृदुला गर्ग,कथाकार
गीताश्री की कहानियों में आधुनिक स्त्री की उन्मुक्त उड़ान है तो परम्पराओं में क़ैद नारी की यौनिक आज़ादी व स्वतंत्र अस्तित्व के लिए छटपटाहट भी। वे अपनी कहानियों में लोक कथाओं का बघार लगाना भी बख़ूबी जानती हैं। गीता की समस्या यह है कि वे साहित्य की मर्दवादी दुनिया में एक एनिग्मा की तरह देखी जाती हैं। जो भी हो, आप उनकी कहानियों की आलोचना कर सकते हैं, आप उनकी कहानियों की प्रशंसा कर सकते हैं किन्तु अप्रभावित नहीं रह सकते।
संजय सहाय, सम्पादक-कथाकार
गीताश्री हमारे समय की एक विशिष्ट रचनाकार हैं। पत्रकारिता के प्रशिक्षण ने उन्हें एक ऐसी सूक्ष्म दृष्टि प्रदान की है जो उनके थीम्स के चयन के मार्फ़त हमें चौंकाती है और एक नई दुनिया को बिना किसी मिलावट के हमारे सामने नग्न कर देती है। समाज की रूढ़ियों, वर्जित विषयों और हाशिये पर खड़े लोगों पर गीताश्री ने संवेदनशील कहानियाँ लिखी हैं। उनमें से कुछ उनके इस संग्रह में शामिल हैं। उसकी बानगी है ‘न्याय-चक्र’ कहानी। जाति व्यवस्था किस तरह सामूहिक वर्ग-भेद के भीतर बनी रहती है और हाशिये का समाज कैसे इस दोहरी मार से उबर नहीं पाता है, इसका अद्भुत विश्लेषण करती है यह कहानी।
वन्दना राग,कथाकार
ISBN: 9789360860691
Pages: 168
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Ghar-Bahar
- Author Name:
Rabindranath Thakur
- Book Type:

- Description: आधुनिक सन्दर्भ में मानव-चरित्र के आभ्यन्तर जगत के गहन रहस्यों के उद्घाटन के साथ ही यह उपन्यास भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में स्वदेशी के उभार तथा उस काल में राष्ट्रवाद की उभरती प्रवृत्ति का विशेष रूप से बेलाग विश्लेषण करता है। वह काल, पहले से चली आती लीक से हटकर अपने सृजन की व्याकुलता लिये हुए था, जिसमें स्त्री और पुरुष, दोनों ही अन्तर्बाह्य जीवन-व्यवहार से जुड़े प्रश्नों के उत्तर खोजना चाहते थे, लेकिन उनके सामने कोई स्पष्ट मार्ग नहीं था। इस विवशता ने उपन्यास को आद्यन्त तनाव से भरे रखा है। दूसरी ओर रवीन्द्रनाथ स्वयं बहुत कठोर यथार्थ की जमीन पर खड़े होकर स्वाधीनता आन्दोलन को देख रहे थे। उन्हें स्वदेशी और राष्ट्रवाद के सम्बन्ध में अपने स्वतंत्र दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है, जिसके लिए वे अन्ध राष्ट्रवादियों की आलोचना का शिकार होते रहे हैं। ‘घर-बाहर’ इन दोनों ही सन्दर्भों में उनके चिन्तन व तर्कों को प्रस्तुत करता है।
Mati ke Log Sone ki Naiya
- Author Name:
Mayanand Mishra
- Book Type:

- Description: कास और झौआ कोसी के सर्व-सुलभ वरदान हैं, पानी और मछली की तरह। जब घर में अन्न नहीं और जेब में नगदी नहीं, तब भी हीतलाल और रमेसर जैसे लोग कुछ बोझे कास काट-बेचकर मड़ुआ-मक्के और नमक का जुगाड़ कर लेते हैं। ये माटी के लोग हैं जिनके लिये नावें सोने से भी बढ़कर हैं। सस्ते श्रम की तरह इनके जीवन में सहज प्रेम कोसी के कास-झौए की तरह ही सुलभ और जीवन का सहारा है। नाच-गाने में ये अपनी तकलीफ भूल-बिसर कर निरस से जीवन में रस घोलते हुए कठिन संघर्ष में लगे रहते हैं। कोसी के कठिन जीवन-संघर्ष के बीच अनूपी और हीतलाल जैसे चरित्रों का प्रेम इस उपन्यास की अद्भुत विशेषता है। अनूपी जैसी एक स्त्री जो पति हीतलाल का घर छोड़ नथुनी पान वाले के यहाँ रहने चली गई है, उस स्त्री के प्रेम की गहराई और उसके साथ हीतलाल का सम्मानपूर्ण जुड़ाव स्त्री-विमर्श के नये दौर में भी दुर्लभ है। इन सरल हृदयी लोगों के बीच दो सौ मन धान के 'अगों' रूप में दान-दक्षिणा पर नज़र गड़ाए नेता और अफसर का गज़ब सांकेतिक बिम्ब है। रस-सिद्ध प्रवाहमयी भाषा के धनी प्रसिद्ध उपन्यासकार मायानंद मिश्र का चमत्कार इस उपन्यास में अपने चरम पर है। यही कारण है कि प्रथम प्रकाशन के 56 वर्ष बाद भी इस उपन्यास के प्रति पाठकीय आकर्षण बरकरार है।
Deh Ki Keemat
- Author Name:
Tejendra Sharma
- Book Type:

- Description: Description Awaited
The Roof Beneath Their Feet
- Author Name:
Geetanjali Shree +1
- Rating:
- Book Type:

- Description: In this beautifully crafted novel, roofs have a special place; they are meant for wild things, for romance and for play, they are places to dry pickles and grains while exchanging gossip about quiet caresses. But above all, they are realms of freedom. In The Roof Beneath their Feet, Chachcho and Lalna use their roofs to build a friendship that transcends time and memory. Suddenly one day, Lalna has to leave, to return only after Chachcho’s passing. Amidst rumors and gossip in the neighborhood, Chachcho’s nephew tries to piece together his memories of the two women, one of whom is his mother. The truth he is searching for could destroy him forever, but to not find out is no longer an option. A story of twists and turns, The Roof Beneath Their Feet, translated from the original Hindi by Rahul Soni, is easily one of the best contemporary novels you have read in a long time.
Shesh Kavita
- Author Name:
Ravindranath Thakur
- Book Type:

-
Description:
प्रेम एक विलक्षण सृष्टि-रहस्य! व्यक्ति के आभ्यन्तर में सूक्ष्मातिसूक्ष्म—पोथियों की घ्राण-शक्ति की पकड़ के बाहर। और पोथियों में, स्वयं को अभिव्यक्त करने को आकुल हृदय को सर्वदा आश्रय देता हुआ—त्रासद से सुखद, सुखद से त्रासद के मध्य दोलायमान। रचनाकार की चुनौतियों का अन्त नहीं—जीवन के प्रश्नों में संगति भी कहाँ है, भला! उत्तरों में अन्तर्विरोधों का अन्त भी कहाँ!
रवीन्द्रनाथ ठाकुर को उनके अपने ही वर्तमान में कठिन चुनौतियाँ मिलने लगी थीं। वे, जिस प्रकार परम्परा को आत्मसात करते हुए—विशेष रूप से अपनी काव्य-सृष्टि में—आधुनिक भारत की विचार-सरणी निर्मित कर रहे थे, उसे अति-उत्साही आधुनिक अपने लिए संकट के रूप में देखने लगे थे। सम्भवत: इसीलिए, विश्वकवि ने अपनी इस कथा-कृति में कविताओं के माध्यम से अपना ही मूल्यांकन भी किया है।
Super Success @ NLP
- Author Name:
Manoj Keshav
- Book Type:

- Description: ‘‘अपने ऊपर मास्टरी हासिल करने से बड़ा और कुछ भी नहीं है।’’ —लियोनार्डो द विंची ज्यादातर लोग अपने अंदर मौजूद आदतों और पैटर्न से परिचित नहीं होते, जो रोज उनके जीवन में उनके साथ दौड़ रहे होते हैं। आपको अपने बीते कल वाले व्यक्ति से बेहतर बनने का प्रयास करना चाहिए और यह पुस्तक उसी के तरीके बताती है। सीखें कैसे— एन. एल. पी. सेंसरी एक्युइटी एक्सरसाइज के जरिए अपने बारे में जागरूकता को नए आयाम पर कैसे ले जाएँ। दबी हुई भावनाओं और आत्मघाती सोच वाले पैटर्न को पहचानें तथा उनसे निपटें। सीखें कि कैसे अंदरूनी संघर्षों का समाधान करें और शांतिपूर्ण जीवन जिएँ। अपने जीवन की पटकथा को कैसे नए सिरे से लिखें और पुराने पैटर्न को कैसे त्यागें। एन. एल. पी. के धारणा बदलनेवाले अभ्यास से कैसे नई ऊँचाई हासिल करें। रोजाना के हालात से निपटने के लिए अपने दिमाग को प्रशिक्षित करें कि वह आपके लिए काम करे, न कि आपके खिलाफ। अपने अंदर मौजूद शक्ति को खोजें और दूसरों से अपनी तुलना करने का अंदाज हमेशा के लिए बदल डालें।
Joothi Gali
- Author Name:
Hrishikesh Sulabh
- Book Type:

- Description: ‘जूठी गली’ जीवनानुभव का एक ऐसा लोक है जिसके भीतर वर्तमान की आँधी में इतिहास की धूल और राख उड़ती रहती है। जब अठारहवीं सदी के आरम्भ में पटना का नाम अज़ीमाबाद हुआ, उन्हीं दिनों जूठी गली की नींव पड़ी थी। उन दिनों से अब तक यह गली ज़िन्दा है। लोग जनमते और विदा होते रहे, मकान बिकते-ढहते-बनते रहे, जूठी गली अपना रूप बदलती रही और किसी ज़िन्दा इनसान की तरह धड़कती रही। इसके बाशिन्दे ख़बरों के रसिया हैं। ख़बरें इस गली में हवा के पर लगाकर उड़ती हैं। जन्म और मृत्यु दोनों के लिए यहाँ समान भाव से सुख-दुःख उपजता है। प्रेम और नफ़रत एक ही बटुए में रखकर लोग आपस में मिलते-जुलते हैं। जो ज़ुबान प्रशंसा करते नहीं थकती वह पीठ फेरते ही निन्दा रस उड़ेलने लगती है। इस गली में मध्यवर्गीय प्रपंचों के कीचड़ में लिथड़कर जीती स्त्रियों के साथ ऐसी स्त्रियाँ भी हैं जो पुरुषों के वर्चस्व को चुनौती देती हैं और परिदृश्य बदल जाता है। राजनीति ने अपने नाख़ूनों के खरोचों से जूठी गली को जो घाव दिए हैं, लोग उन्हें सहलाते हुए जीते हैं। इस गली में जाति-दंश की ज़हरीली हवा बहती है। प्रेम करनेवाले यहाँ सम्मान नहीं, हँसी के पात्र हैं। हृषीकेश सुलभ अपनी रचनाओं में स्वयं नहीं बोलते बल्कि उनके पात्रों का जीवन-व्यापार और परिवेश कथ्य को सघनता से प्रकट करता है। अपनी सहज भाषा की मार्मिकता और आत्मीय कहन के हुनर के सहारे वे कथा के बीहड़ में उतरते हैं और जीवन के ऐसे क्षणों को रचते हैं जो मानवीय गरिमा की रक्षा करते हैं। जूठी गली हमारे समय का जीवन्त दस्तावेज़ है।
Neermati
- Author Name:
Vidya Vindu Singh
- Book Type:

- Description: नीरमती उपन्यास एक ऐसी भारतीय नारी की कहानी है, जो विषम परिस्थितियों से जूझती हुई हताश होकर एक बार मृत्यु का वरण करने की कोशिश करती है; किंतु फिर अपने जीवन को तपने के लिए तैयार कर लेती है । लोकनिदा के भय पर उसकी ममता विजय पा जाती है और वह संघर्ष के मार्ग पर निकल पड़ती है । इसी समाज में यदि दुराचारी और वंचक हैं, जो केवल दु :ख और अपमान देते हैं, और अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी की मजबूरी का लाभ उठाते हैं, तो कुछ ऐसे भी लोग हैं जो आश्रय देकर छाँह भी बन जाते हैं । नीरमती अपने परिश्रम और सौजन्य से इस तरह की छाँह पाती है और उस छाँह के हाथों में अपना भविष्य सौंप देती है । नीरमती नदी की वह प्रवाहमयता है, जिसमें जीवन है, जो सबको जीवन देने में अपने जीवन की सार्थकता पाती है । नीरमती लांछित, मर्माहत स्त्री का वह सत्य है, जो अपमानित होती है, पर ममता की शक्ति से जीवन का क्षय नहीं होने देती । वह आग में तपती, निखरती, कुंदन बनकर मूल्यवान हो जाती है । बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा व्यवस्था पर आज प्रश्न-चिह्न लग रहे हैं; दंड संहिता का खोखलापन बेनकाब हो रहा है । समाज और राजनीति के दोमुंहे साँप के चेहरे देखे जा रहे हैं, पर आज केवल देखने की नहीं, उन्हें बदलने की जरूरत है । ' नीरमती ' के पात्रों की यह कोशिश किसी के मन में कुछ सुगबुगाहट जगा सके तो नीरमती का जन्म सफल हो जाएगा । अत्यंत भावपूर्ण, मार्मिक एवं संवेदनाओं को झकझोरता एक सामाजिक उपन्यास ।
Culture Valture
- Author Name:
Mamta Kaliya
- Book Type:

- Description: शीर्षस्थ कथाकार ममता कालिया की प्रत्येक रचना पर उनकी रचनाशीलता के हस्ताक्षर रहते हैं। संवेदना की थाह लेने और भाषा में उसे संभव करने का उनका अपना एक अनूठा ढंग है। ‘कल्चर वल्चर’ ममता कालिया का एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास है। इसके बीज-विचार के सन्दर्भ में उन्होंने लिखा है, 'कला, साहित्य व संस्कृति आज सरोकार न रहकर कारोबार बनते जा रहे हैं और इसके प्रबन्धक, कारोबारी। इनके हाथों में संस्कृति, विकृति बन रही है और साहित्य, वाहित्य।' ममता कालिया ने बहुत कुशलता के साथ कोलकाता की पृष्ठभूमि में इस उपन्यास की कथा बुनी है। महत्तर उद्देश्यों को लेकर अस्तित्व में आई एक साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था किस तरह विडंबनाओं, विरूपताओं, अन्तर्विरोधों, कपट, कलह, चतुर चाटुकारिता व निजी महत्त्वाकांक्षाओं का तलघर बन जाती है—यह तथ्य 'कल्चर वल्चर' में बहुत बारीकी से उजागर हुआ है। लेखकीय कौशल यह है कि सारे चरित्र और कथा-प्रसंग कल्पना पर आधारित होते हुए भी अपनी निष्पत्तियों में अत्यन्त जीवन्त हैं। चाहें तो इस उपन्यास में समकालीनता की पदचाप या अनुगूँज भी सुन सकते हैं। नवीन और सुषमा जैसे चरित्र अपने निहितार्थों के साथ पाठक के चित्त पर अंकित हो जाते हैं। लेखक ने व्यापक सन्दर्भों के साथ उन मनोवृत्तियों को टटोला है जो शब्द में सिक्कों की खनक और साहित्य में सरोकारों का शोकगीत सुनना चाहती हैं। यह उपन्यास भूमंडलीकरण, उद्दंड पूँजी, निरंकुश सोच आदि के आशयों को भी खंगालता है। अपनी प्रांजल व खिलंदड़ी भाषा के लिए ममता कालिया बहुप्रशंसित हैं। यह उपन्यास उनकी रचनात्मक सिद्धि का एक अभिनव आयाम है।
Shahar Mein Curfew
- Author Name:
Vibhuti Narayan Rai
- Book Type:

- Description: पिछले तीन-चार दशकों में साम्प्रदायिकता का ज़हर तेजी से फैला है। परिणाम यह हुआ कि आज देश की राजनीति साम्प्रदायिक विचारधारा के इर्द-गिर्द संगठित हो गई है। साम्प्रदायिक हिंसा का तांडव देश को बेचैन बनाए हुए है। विभूति नारायण राय का चर्चित उपन्यास ‘शहर में कर्फ़्यू’ इसी विकराल समस्या से टकराता है। ‘शहर में कर्फ़्यू’ साम्प्रदायिक दंगे की चपेट में आए एक शहर के कर्फ़्यूग्रस्त मुहल्ले और ख़ासकर उससे पीड़ित एक परिवार की तीन दिनों की व्यथा-कथा है। यह कर्फ़्यू कुछ लोगों के लिए जीवन-मरण का सवाल है तो कुछ अन्य के लिए राजनीतिक नफ़ा-नुक़सान का खेल। दो जून की रोटी के लिए रोज़ चौदह घंटे खटनेवाले बीड़ी मज़दूर परिवार की बहू सईदा की बीमार बेटी की मौत इलाज के अभाव में हो जाती है। हर तरह से लाचार इस परिवार पर क्या क़हर टूटता है और उसे कैसे-कैसे दहशत भरे अनुभवों से गुजरना पड़ता है, लेखक ने इस सब का चित्रण अत्यन्त गहरी संवेदनशीलता के साथ किया है। अभावग्रस्त माँ सईदा अपनी मृत बेटी को याद करने की कोशिश करती है तो उसे ‘जो चीज़ याद आ रही थी वह भूख, धूल और बहती नाक का ऐसा मिला-जुला समिश्रण था जिससे फ़िल्मी माँ के वात्सल्य का कोई माहौल नहीं बन पा रहा था।’ कंट्रास्ट के द्वारा लेखक ने सईदा की नारकीय व्यथा को मर्मभेदी बना दिया है। उपन्यास में कई मार्मिक स्थल हैं। इनसानों के गली-मुहल्ले में दिन-दहाड़े एक बच्ची का बलात्कार ऐसा ही स्तब्ध करने वाला प्रसंग है। ऐसा पाशविक कृत्य किसी भी समाज का सबसे बड़ा कलंक है। ऐसे प्रसंगों की रचना में लेखक ने विलक्षण संवेदनशीलता के साथ वैचारिक सन्तुलन साधने में असाधारण दक्षता का परिचय दिया है। ‘शहर में कर्फ़्यू’ के माध्यम से लेखक ने समाज और राजनीति में लगातार सक्रिय साम्प्रदायिक विचारधारा के ख़तरों के प्रति जागरूक और सावधान किया है और उसे सिरे से ख़ारिज कर अपनी पक्षधरता की मुखर घोषणा भी की है। आकस्मिक नहीं कि कई दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा इस उपन्यास की प्रतियाँ जलाई गई थीं। इससे प्रमाणित है कि उपन्यास ने सिर्फ़ वैचारिक उत्तेजना ही नहीं पैदा की है बल्कि सही जगह पर चोट भी की है। —कृष्ण कुमार सिंह
Asato Ma Sadgamay
- Author Name:
Smt. Renu Gupta
- Book Type:

- Description: जिस प्रकार नदी का पानी बहते-बहते मिलता भी है तो बिछुड़ता भी है, पुराने तटों को छोड़ता है तो नए तट पकड़ता भी है, उसी प्रकार हम संसार के प्राणी जीवन से जीवन, स्थान से स्थान और काल से काल तक की यात्राओं में मिलते-बिछुड़ते रहते हैं। असतो मा सद्गमय में जीवन के सनातन पहलुओं से गुजरती हुई कथा आधुनिक राजतांत्रिक और अफसरशाही तक भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार की कथा भी है तो हमारी पुरातन, परंतु नित नवीन आध्यात्मिक भारत की कथा भी है। इस कथा में भक्ति, ज्ञान, अहंकार, उच्चाकांक्षा, संतोष, भाग्य, पदलिप्सा, लोभ, कर्म, स्नेह, औदार्य—सभी भाव समाहित हैं। यह कथा जीवन की सभी कलाओं से परिचय कराती है तथा चेतावनी देती है कि बुरे कर्मों का परिणाम बुरा ही होता है। प्रस्तुत उपन्यास की कथा यथार्थ की भूमि से निकली है, जिसे प्रसिद्ध लेखिका रेणु ‘राजवंशी’ गुप्ता ने अपने विद्यार्थी जीवन में निकट से देखा था। इस उपन्यास को पढ़कर पाठक एक ओर भारतीय पुलिस तंत्र की पदलिप्सा, भ्रष्टता, उच्चाकांक्षा तो दूसरी ओर ईमानदारी, स्नेह और औदार्य से परिचित होंगे।
Kunjgali Nahin Sankri
- Author Name:
Anita Gopesh
- Book Type:

- Description: कुंज़गली’ उपन्यास सूरजभान से शुरू होता है और उसके ममेरे बडे भाई बृजभान की पत्नी कल्याणी के प्रेम से गुज़रता हुआ सूरजभान के शवदाह पर ख़त्म। 'मणिकर्णिका’ जीवन की अन्तिम मंज़िल है और ‘कुँज़गली’ की भी। कहानी इन्हीं दोनों परिवारों के बीच बहती है, चलती नहीं। उसमें वेग है, प्रवाह है, धारा है। धारा में उतरिए और बहते चले जाइए। इस धारा से टकराते, जूझते, लड़ते पार लगने की जद्दोज़हद में है कल्याणी जो उपन्यास का केन्द्रीय पात्र है। वह अपने मानसिक, दैहिक संघर्षों में 'त्यागपत्र' के 'मृणाल' की याद दिलाती है। कुल मिलाकर उपन्यास दिलचस्प और पठनीय है। कथानक कसा हुआ और सुगठित है। भाषा में जगह-जगह बनारसीपन की छौंक है, लेकिन सधी हुई। —काशीनाथ सिंह
Rekha
- Author Name:
Bhagwaticharan Verma
- Book Type:

- Description: व्यक्ति के गुह्यतम मनोवैज्ञानिक चरित्र-चित्रण के लिए सिद्धहस्त प्रख्यात लेखक भगवतीचरण वर्मा ने इस उपन्यास में शरीर की भूख से पीड़ित एक आधुनिक, लेकिन एक ऐसी असहाय नारी की करुण कहानी कही है जो अपने अन्तर के संघर्षों में दुनिया के सहारे सब गँवा बैठी। रेखा ने श्रद्धातिरेक से अपनी उम्र से कहीं बड़े उस व्यक्ति से विवाह कर लिया जिसे वह अपनी आत्मा तो समर्पित कर सकी, लेकिन जिसके प्रति उसका शरीर निष्ठावान नहीं रह सका। शरीर के सतरंगी नागपाश और आत्मा के उत्तरदायी संयम के बीच हिलोरें खाती हुई रेखा एक दुर्घटना की तरह है, जिसके लिए एक ओर यदि उसका भावुक मन ज़िम्मेदार है, तो दूसरी और पुरुष की वह अक्षम्य 'कमज़ोरी' भी जिसे समाज 'स्वाभाविक' कहकर बचना चाहता है। वस्तुतः रेखा जैसे युवती के बहाने आधुनिक भारतीय नारी की यह दारुण कथा पाठकों के मन को गहरे तक झकझोर जाती है।
Operation Yoddha
- Author Name:
Sushant Saini
- Book Type:

- Description: अर्जुन एक होनहार लड़का है, जो सेना में जाने के सपने देखता है। लेकिन आई.आई.टी. प्रवेश परीक्षा में अचानक ही मिली सफलता उसे दुविधा में डाल देती है। हमेशा साथ निभानेवाला उसका परिवार उसे इस उलझन से निकालता है और उसके सपनों को पूरा करने में मदद करता है। नेशनल डिफेंस एकेडमी में उसकी दोस्ती तीन अन्य प्रशिक्षुओं से होती है और ये दोस्ती जीवन भर के लिए हो जाती है। आखिरकार, उसे भारतीय सेना की सबसे गुप्त और घातक टीम ‘टीम-ए’ का हिस्सा बनने का मौका दिया जाता है। अर्जुन अपना जीवन देश के प्रति समर्पित कर देता है और कई प्राणघातक अभियानों को पूरा करता है। लेकिन एक खतरनाक आतंकवादी हमला अर्जुन को उन सारी बातों पर सवाल करने के लिए मजबूर कर देता है, जिन्हें उसने सीखा और जिन्हें वह पसंद करता था। अपने देशवासियों के कदमों से उसे घोर निराशा होती है और वह अपना वतन छोड़ने का फैसला करता है। लेकिन इससे पहले कि वह अपना सामान बाँधता और देश को अलविदा कहता, 200 से अधिक यात्रियों वाले एक विमान को एक अज्ञात गिरोह हाईजैक कर लेता है। सिर्फ वही उन्हें बचा सकता है। पर क्या कड़वाहट से भर चुका अर्जुन अपनी और अपनी टीम के लोगों की जान एक बार फिर जोखिम में डालेगा? भारतीय सेना के जाँबाज वीरों के पराक्रम, समर्पण और राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत प्रेरणाप्रद पठनीय पुस्तक।
Diya (Illustrated)
- Author Name:
Yogita Warde
- Book Type:

- Description: दीया अब आपके सामने दूसरे संस्करण में उपलब्ध है। पहले संस्करण में दीया को लिटफेस्ट 2020 ऑथर ऑफ़ द ईयर अवॉर्ड और टैगोर कमेम्रटिव ऑनरेरी अवॉर्ड 2021 मिल चुका है। दीया की कहानी एक सच्ची घटना से प्रेरित है। यह कहानी समाज के उन सभी रीति-रिवाजों का खुलासा करती है, जिनका हम बिना किसी आपत्ति के आँखें बंदकर पालन करते आ रहे हैं। इस कहानी में दीया ने अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा। वह सब कुछ सहती रही और खुद से नफरत करती रही। वह क्यों चुप थी? क्या समाज के कारण या परिवार के कारण? क्या वह अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को रोक पाती है? क्या होता है आगे? क्या वह अपने पति और समाज के खिलाफ आवाज उठा पाती है? क्या हुआ होगा दीया की ज़िंदगी में? उसके जीवन में कितने मोड़ आए? सभी सवालों के जवाबों के लिए जुड़िये इस सफर में दीया के साथ।
Water For The Roots
- Author Name:
Pattu M.Bhoopathi
- Rating:
- Book Type:

- Description: Translation into English by Pattu M Bhoopathi of Sahitya Akademi Award winning Tamil Novel by Rajan Krishnan entitled Verukku Neer.
Nirthak
- Author Name:
Dr. Ramakant Sharma
- Book Type:

- Description: Description Awaited
Ek Patni Ke Notes
- Author Name:
Mamta Kaliya
- Book Type:

- Description: ‘एक पत्नी के नोट्स’ दाम्पत्य की विरूपता की मर्मान्तक कथा है। पति-पत्नी का एक रिश्ता जो सरल प्रेमपगी काव्य पंक्तियों की तरह शुरू हुआ, दाम्पत्य में बदलते ही जैसे नागफनी हो गया। संदीप जो एक सम्पूर्ण और सुरुचिपूर्ण पुरुष के रूप में कविता को मिला, पति बनते ही एक विकृत, क्रुकंड व्यक्ति में बदल गया। यह उपन्यास विवाह नामक संस्था के उन पक्षों को दिखाता है जहाँ स्त्री एक असहाय-निरुपाय इकाई और पुरुष, अगर वह संदीप की तरह अपने जीवन में सफल और उच्च पदासीन हो तो केवल एक अधिकारवादी विकृत पति। सबके सामने आदर्श दम्पती के रूप में प्रशंसित संदीप और कविता की यह कहानी स्त्री-पुरुष सम्बन्ध को सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक स्तर पर लाकर देखती है। साहित्य का व्यापक और गहन अध्ययन भी संदीप को उस मानसिक हिंसा से नहीं रोक पाता, जिसे वह रोज़ अपनी पत्नी के ऊपर आजमाता है, कभी सन्देह से, कभी सीधे अपमान से वह अकसर उसे प्रताड़ित करता है। साथ ही इतना पजेसिव भी कि कविता की कोई तारीफ़ भी कर दे तो भभक उठे। कविता समझ ही नहीं पाती, कि वह कितनी सुखी है, कितनी दुखी। दूर से साधारण दिखनेवाले हम लोगों के भीतर कैसे-कैसे विद्रूप छिपे होते हैं और अगर एक संस्था का आवरण मिल जाए तो किस-किस तरह के प्रकट होते हैं, यह भी इस उपन्यास को पढ़ते हुए बराबर महसूस होता है।
Ek Romanchak Kahani Coronakaal Ki
- Author Name:
Ajay Mohan Jain
- Book Type:

- Description: "“एक रोमांचक कहानी कोरोनाकाल की” अत्यंत रोमांचकारी कथा है। ...हम आशा करते हैं कि प्रत्येक पाठक इस कहानी से संबंध स्थापित करने में सक्षम होगा एवं इसे एक रोचक एवं ग्राह्य पाठ्य के रूप में याद रखेगा। —अभय करंदीकर, डायरेक्टर IIT कानपुर कैंब्रिज शोधकर्ता जेम्स वर्तमान महामारी के बारे में काफी चिंतित है जब एक साथी शोधकर्ता रमेश उसे यह कहते हुए आशन्वित करता है कि मानव इतिहास में पहली बार ऐसी घटना नहीं हो रही है। अपनी बात पर प्रकाश डालते हुए, रमेश सुदूर अतीत की, लगभग 4500 वर्ष पहले की एक कहानी सुनाता है कि कैसे मानव जाति अतीत में सारी विपदाओं को पार करके बची रही है और आगे बढ़ती रही है। आगे रमेश जेम्स को वर्तमान काल की दास्तान बताकर ढाढस बढ़ाता है कि कैसे मानव जाति कोरोना महामारी के कठिन दौर में उससे दो-चार करते हुए, अपने को नई परिस्थितियों में ढाल कर आगे बढ़ती जा रही है। वास्तविक मीटिंगों के बजाय वर्चुअल गेट-टूगेदर करने लगी है।...रमेश जेम्स को विश्वास दिलाता है कि हम अवश्य कामयाब होंगे और आगे बढ़ते रहेंगे। लचीलापन, आशावाद और मानव जाति की अदम्य इच्छाशक्ति एवं अद्भुत जिजीविषा की कहानी, यह आज के समय के लिए एकदम खरी उतरती है जिसमें हम जी रहे हैं। आज के कोरोनाकाल की परिस्थितियों की सिंधु घाटी सभ्यता के समय की आपदाओं से तुलना करता हुआ मानव जाति की अदम्य भावना को दरशाता यह रोचक, प्रेरणादायक लघु उपन्यास।"
Sah-Saa
- Author Name:
Geetanjali Shree
- Book Type:

- Description: ‘सह-सा’ छोटे-छोटे अकस्मातों में बनती व्यापक मानव नियति की कहानी है। रोज़मर्रा के अनाटकीय प्रसंगों की टकराहटों से बड़े सवालों के खुले में आ जाने की कहानी। न्यायमूर्ति भूलेराम मिसिर अवकाश-प्राप्ति के बाद पत्नी प्रेमिला, बेटी चिया, और अपाहिज अम्मा के साथ रह रहे हैं। पत्नी व बेटी नौकरी पर निकल जाती हैं और घर की ज़िम्मेदारियाँ खुशी खुशी उन्होंने अपने ऊपर ले ली हैं। माँ अपनी शोर करती पटरागाड़ी पर बैठ घर भर का मुआयना करती रहती हैं। भूलेराम का बेटा, श्रवण, दूसरे शहर में है। दो नौकर हैं, शम्भु और उसकी जिज्जी। सब साथ भी हैं, अलग-थलग भी। घरों के जाने पहचाने शीतयुद्ध में रत, जिसे भूलेराम खुला युद्ध नहीं बनने देते। हँसते-खेलते सब पर आदतन चिल्लाते हैं, और बिना डींग-दावे के सबका ध्यान रखते हैं। सहसा एक दिन वे बेआराम हो जाते हैं। प्यार से बनाये उनके वन-प्रांगण में एक गौरैया उनकी बाँह पर आ बैठती है। वे मुस्कुराते हैं कि बाँह को डाल समझ रही है पर तभी मन में संदेह कौंधता है कि उन्हें देख ही नहीं रही शायद। ‘मैं क्या अदृश्य? हवा? प्रेत? भूत सा फिरता अपने घर में।’ यह संदेह यादों की लंबी कड़ी से जुड़ता है। वे जर्जराने लगते हैं और अचानक बीमारी के एक झटके में दम तोड़ देते हैं। जीते जी अदृश्य होने लगे भूले मृत्योपरांत चारों ओर छा जाते हैं। प्रकट कथा के पीछे, उसके अनकहे में, एक और कथा भी चलती है जो दिखाती है कि इस वाचाल समय में हम वही देखते सुनते हैं जो ढिंढोरा है, भड़कीला है, उसके पीछे हो रहे को नहीं। बात चाहे परिजनों की हो या नेताओं की या मेहनतकश मज़दूरों की, हम चुपचाप के अच्छे और बुरे दोनों को मिस कर देते हैं। भूले द्वारा चुपचाप किया गया अच्छा और चूहों द्वारा चुपचाप किया गया संहार इसीलिए छिपा रहता है। इस कृति में भी गीतांजलि श्री की भाषा और शैली का अपना वैभव है। बदलती स्थितियों, मनःस्थितियों को उजागर करती कभी चुटीली, नुकीली, कभी प्रशांत, उदास और दार्शनिक। हमेशा बहुअर्थी। और इसमें है उस प्रकृति का अद्भुत वात्सल्य जिसे हम बेगाना बना बैठे हैं। ‘सह-सा’ एक अनूठी प्रेम गाथा है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...