
Muhavare Ki Maut
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
160
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
320 mins
Book Description
अनुराग अनन्त की कहानियों की विशिष्टता यह है कि वह कथा के लिए किसी ‘बाहरी अन्य’ पर निर्भर नहीं हैं। अपनी निर्मिति, अपनी गति, विवरण, अपनी आख्यानात्मकता के स्थापत्य और उसके ‘इंटीरियर’ (आन्तरिकता) को बनाने के लिए सारे जरूरी पदार्थ या सामग्री वह अपने ही भीतर से जुटाती और गढ़ती हैं। ‘मुहावरे की मौत’ की कई कहानियाँ ऐसी हैं, जो कहानी के कहानी होने का ही विध्वंस करती हैं और अपनी मौलिकता के जादुई सम्मोहन से वास्तविक जीवन का सच अर्जित करने का विरल और दुष्कर प्रयत्न एक सतत विरोधाभासी सहजता के साथ करती हैं। ये कहानियाँ आज की और सम्भवतः भविष्य की कहानी को, कहानी से मुक्ति की कहानियाँ होने का आसन्न संकेत देती हैं। इस संग्रह की कोई भी एक कहानी उठाइए, मसलन पहली ही कहानी, जिसका शीर्षक है ‘त्रासदी का सिद्धान्त’ और इसके पाठ (टेक्स्ट) के किसी भी वाक्य या पैराग्राफ के किसी भी एक बिन्दु पर कलम या कर्सर रख दीजिए, फिर देखिए। एक साथ कई-कई संस्तरों, कई परतों में एक अकेले व्यक्ति के जीवन के कई प्रारूप जन्म लेने लगते हैं। स्मृति, अनुभव, सिनेमा, विभ्रम, अवसन्नता, जागृति, मूर्च्छा, नींद, कविता, कैनवास, सैरा, परिवार, समय, समाज, वर्चुअल, रियल, सत्य, असत्य, सूचना, अफवाह आदि आदि...। सब के सब एक दूसरे में घुलते-पिघलते हुए। एक अजब काइनेटिक फर्मेंटेशन। कोई हतप्रभ करता, आँखें खोलता, पीड़ित और सुखद एक साथ करता हुआ निरन्तर बदलता गतिशील विन्यास। किसी भी शहर का नाम लो, हर शहर के एक अकेले जीवन की ऐसी कहानियाँ, जिनके दिल में एक सुराख है, एक गहरा कुआँ, ऐसी कहानियाँ जिन्हें नींद नहीं आती, जो सपनों को खाती हैं और आँसुओं को पीती हैं, जो अचानक अपने गद्य को त्याग कर कविता बन जाती हैं, फिर उसे भी तजते हुए किसी चित्र या फिल्म के गतिमय दृश्य रचने लगती हैं। और यह सारा कुछ किसी ऐसे ‘ग्रांड इवेंट’ की तरह है, जिसे म्युनिसिपेलिटी के सुनसान पार्क का एक गार्ड अचानक अपना डंडा घुमाकर डाँटते हुए, पलक झपकते गायब कर देता है। —उदय प्रकाश