
Mahan Vaigyanik Mahilaye
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
84
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
168 mins
Book Description
प्राचीनकाल से नारी को सर्जनात्मक शक्ति का प्रतीक माना जाता रहा है। सम्भवतः इसीलिए प्रकृति की कल्पना भी नारी रूप में ही की गई है। स्त्री का सहजबोध, उसकी जिजीविषा और रचनात्मकता उसे पुरुष से श्रेष्ठ नहीं तो उसके बराबर तो बना ही देती है।</p> <p>फिर भी यह आश्चर्यजनक है कि प्राचीनकाल में रानियाँ हुईं, वीरांगनाएँ हुईं, सन्त और कवयित्रियाँ हुईं, लेकिन एक लम्बे कालखंड तक किसी महिला वैज्ञानिक के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती। पहली महिला वैज्ञानिक के रूप में हमें चौथी सदी में सिकन्दरिया के यूनानी विद्या केन्द्र में हाइपेशिया का पता चलता है।</p> <p>लेकिन आधुनिक युग में जैसे-जैसे शिक्षा और समानता-आधारित लोकतंत्र का विकास हुआ, हमें अनेक महिला वैज्ञानिकों की जानकारी मिलती है जिन्हें समय-समय पर नोबेल पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया और विज्ञान के क्षेत्र में जिनका योगदान किसी पुरुष वैज्ञानिक से कम नहीं है।</p> <p>यह पुस्तक हाइपेशिया से लेकर आधुनिक युग तक की ऐसी ही दस महिला वैज्ञानिकों और उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों का परिचय देती है। कहने की आवश्यकता नहीं कि इस पुस्तक से विज्ञान में रुचि रखनेवाले पाठकों को कई स्तरों पर लाभ होगा।