
Shree Ramcharitmanas
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
743
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
1486 mins
Book Description
v class="gmail_default">‘<span lang="HI">रामचरितमानस</span>’ <span lang="HI">एक चरित-काव्य है</span>, <span lang="HI">जिसमें राम का सम्पूर्ण जीवन वर्णित हुआ है। इसमें </span>‘<span lang="HI">चरित</span>' <span lang="HI">और </span>‘<span lang="HI">काव्य</span>' <span lang="HI">दोनों के गुण समान रूप से मिलते हैं। इस काव्य के चरितनायक कवि के आराध्य भी हैं</span>, <span lang="HI">इसलिए यह ‘चरित</span>' <span lang="HI">और ‘काव्य</span>' <span lang="HI">होने के साथ-साथ कवि की भक्ति का प्रतीक भी है। रचना के इन तीनों रूपों में नीचे उसका संक्षिप्त विवेचन किया जा रहा है।</span></div> <p><span lang="HI">‘चरित’ की दृष्टि से यह रचना पर्याप्त सफल हुई है। इसमें राम के जीवन की समस्त घटनाएँ आवश्यक विस्तार के साथ एक सुसम्बद्ध रूप में कही गई हैं। रावण के पूर्वभव तथा राम के पूर्वाकार की कथाओं से लेकर राम के राज्य-वर्णन तक कवि ने कोई भी प्रासंगिक कथा रचना में नहीं आने दी है। इस सम्बन्ध में यदि वाल्मीकीय तथा अन्य अधिकतर राम कथा ग्रन्थों से </span>'<span lang="HI">रामचरितमानस</span>' <span lang="HI">की तुलना की जाए तो तुलसीदास की विशेषता प्रमाणित होगी।</span></p> <p>'<span lang="HI">काव्य</span>' <span lang="HI">की दृष्टि से </span>'<span lang="HI">रामचरितमानस</span>' <span lang="HI">एक अति उत्कृष्ट महाकाव्य है। भारतीय साहित्य-शास्त्र में ‘महाकाव्य’ के जितने लक्षण दिए गए हैं</span>, <span lang="HI">वे इसमें पूर्ण रूप से पाए जाते हैं।</span></p> <p><span lang="HI">तुलसीदास की ‘भक्ति’ की अभिव्यक्ति भी इसमें अत्यन्त विशद रूप में हुई है। अपने आराध्य के सम्बन्ध में उन्होंने </span>'<span lang="HI">रामचरितमानस</span>' <span lang="HI">और </span>'<span lang="HI">विनय-पत्रिका</span>' <span lang="HI">में अनेक बार कहा है कि उनके राम का चरित्र ही ऐसा है कि जो एक बार उसे सुन लेता है</span>, <span lang="HI">वह अनायास उनका भक्त हो जाता है। वास्तव में तुलसीदास ने अपने आराध्य के चरित्र की ऐसी ही कल्पना की है।</span>