Islam Ke Dharmik Aayam
Author:
Zafar RazaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Religion-spirituality0 Reviews
Price: ₹ 476
₹
595
Available
इस्लाम के धार्मिक आयाम का समुचित संज्ञान हुसैनी क्रान्ति के परिप्रेक्ष्य में ही</p>
<p>सम्भव है, जिसके नायक इस्लामी पैग़म्बर के सगे नाती हज़रत इमाम हुसैन थे, जिन्होंने सत्य एवं न्याय की प्रतिरक्षा में जिहाद किया और अपने सहयोगियों तथा परिवारजनों सहित कर्बला में शहीद हुए। इमाम हुसैन की शहादत के सर्वव्यापी प्रभाव का अनुमान इससे किया जा सकता है कि हज़रत ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी ने इमाम हुसैन के व्यक्तित्व को ही वास्तविक इस्लाम माना है—“दीन अस्त हुसैन व दीनपनाह अस्त हुसैन।”</p>
<p>हुसैनी क्रान्ति के अनेक आयाम हैं—धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक आदि। इस महत्त्वपूर्ण विषय पर हिन्दी भाषा में किसी पुस्तक का नितान्त अभाव रहा है। प्रस्तुत ग्रन्थ इस कमी</p>
<p>को पूरा ही नहीं करता, वरन् इस महत्त्वपूर्ण विषय पर यह एक प्रामाणिक दस्तावेज़ है। विद्वान लेखक प्रो. जाफ़र रज़ा ने जिस प्रकार हुसैनी क्रान्ति के उद्देश्यों, घटनाक्रमों एवं निष्कर्षों का वस्तुनिष्ठ एवं निष्पक्ष भाव से विश्लेषण किया है, वह अत्यन्त सराहनीय है। संवेदनशील विषयों पर उनका दृष्टिकोण सन्तुलित, सहज एवं उदार रहा है। जो बात भी कही है, वह ठोस आधार पर प्रामाणिक है। इस्लाम विषयक उनकी विशिष्ट कृतियों के अध्ययन से लगता है कि यही उनका अस्ल मैदान है। इस्लामी इतिहास, धर्म एवं संस्कृति पर उन्हें पूर्ण अधिकार प्राप्त है।</p>
<p>हुसैनी क्रान्ति विषयक पुस्तकों में प्रस्तुत ग्रन्थ शोधपरक वैज्ञानिक दृष्टि के आधार पर अद्वितीय है। उर्दू ही नहीं, फ़ारसी, अरबी या अंग्रेज़ी में भी ऐसी कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं है। विश्वास है कि हिन्दी-</p>
<p>जगत् प्रस्तुत ग्रन्थ का स्वागत करेगा।</p>
<p>—प्रो. वहाब अशरफ़ी; 16 फरवरी, 2011
ISBN: 9788180315985
Pages: 485
Avg Reading Time: 16 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Divine Spiritual Mala
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Divine Spiritual Mala is a book written by author and spiritual coach, Dr.Sanjay Rout. The book offers an in-depth exploration of the power of mala beads as a tool for meditation and spiritual growth. In it, she explains how to use malas to open up your consciousness and connect with the divine energy within you. She also provides practical guidance on how to create your own personal mala or purchase one that fits with your individual needs. Dr.Sanjay Rout has been teaching spirituality since 1966 when she founded her organization, Ananda Marga Yoga Ashram in Canada’s British Columbia province where she still resides today. She has traveled extensively throughout India giving lectures on yoga philosophy while continuing her work as an internationally recognized teacher of Eastern spirituality practices including mantra chanting, kirtan (devotional singing) as well as japa (repetition) meditations using sacred mantras such as Om Namah Shivaya or Hare Krishna Mahamantra . In Divine Spiritual Mala Dr.Sanjay guides readers through each step necessary for creating their own personalized mala experience – from selecting appropriate materials like wood or gemstones; stringing them together into meaningful patterns; learning techniques such asspacing out prayer beads along its length ;and finally connecting spiritually with words , prayers ,or affirmations during meditation sessions . By following these steps readers can discover greater peace within themselves by tapping into the healing power found at their very core .
Aaydakki Marayya-Aaydakki Lakkamma
- Author Name:
Kashinath Ambalge
- Book Type:

-
Description:
अहंकार की भक्ति से धन का नाश
क्रियाहीन बातों से ज्ञान का नाश
दान दिए बिना दानी कहलाना केश बिना शृंगार जैसा
दृढ़ताहीन भक्ति तलहीन कुंभ में पूजा जल भरने जैसी
मारय्यप्रिय अमरेश्वरलिंग को यह न छूनेवाली भक्ति है॥
कायक की कमाई समझ भक्त दान की कमाई से
दासोह कर सकते हैं कभी?
इक मन से लाकर इक मन से ही
मन बदलने से पहले ही
मारय्यप्रिय अमरेश्वरलिंग को
समर्पित करना चाहिए मारय्या॥
जो मन से शुद्ध नहीं, उसमें धन की ग़रीबी हो सकती है,
चित्त शुद्धि से कायक करनेवाले
सद्भक्तों को तो जहाँ देखो वहाँ लक्ष्मी अपने आप मिलेगी
मारय्यप्रिय अमरेश्वरलिंग की सेवा में लगे रहने तक॥
—लक्कमा
कायक में मग्न हो तो
गुरुदर्शन को भी भूलना चाहिए।
लिंग पूजा को भी भूलना चाहिए।
जंगम सामने होने पर भी उसके दाक्षिण्य में न पड़ना चाहिए।
कायक ही कैलास होने के कारण
अमरेश्वरलिंग को भी कायक करना है॥
—मारय्या
दो नयनों की भक्ति एक दृष्टि में देखने की तरह सती-पति एक भक्ति में देखने से गुहेश्वर को भक्ति स्वीकार है।
Alchemy – A Siddha Science
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Alchemy – A Siddha Science is an insightful and captivating exploration of the ancient science of Alchemy, a spiritual practice and form of healing that has been used for centuries in India and Southeast Asia. This book provides an in-depth look at the history and practices of Alchemy, as well as the application of its teachings in modern times. It includes a wide variety of topics, from the health benefits of Alchemy to its spiritual and metaphysical aspects, as well as practical advice on how to incorporate its teachings into your own life. Learn how to unlock the power of your inner energy, and gain skills to aid in personal transformation. Through this book, you'll discover how to unlock the hidden mysteries of the universe and find true balance and harmony. Unlock the secrets of the Siddha Science, and discover a world of wellness, wisdom, and transformation.
Rigved : Mandal-1 Purvardh
- Author Name:
Govind Chandra Pandey
- Book Type:

-
Description:
वेद सनातनविद्या के काव्यात्मक प्रतिपादन हैं। ऋग्वेद संहिता के अनुवाद एवं व्याख्या का प्रयास अनेक भाषाओं में समय-समय पर होता रहा है, किन्तु अभी तक उपलब्ध सभी अनुवादों में काव्यपक्ष की उपेक्षा अथवा पद्यानुवाद की प्रस्तुति के असम्भव प्रयास ही किए गए हैं जो ऋचाओं के साथ पूरा न्याय नहीं करते हैं। वेदों में भावों की सनातनता एक व्यापक ध्वनि के रूप में सूक्तों, संवादों और आख्यानों में विद्यमान है। प्रस्तुत अनुवाद में पादानुसारी किन्तु भावपरक अनुवाद पर विशेष आग्रह सोद्देश्य है ताकि ऋचाओं की काव्यात्मकता का यथासम्भव सम्प्रेषण एवं मूल की अर्थयोजना का क्रम अनुवाद में सुरक्षित रहे।
भाषान्तर में व्याख्या का सूक्ष्म प्रकार अनिवार्य होता है और वही अनुवाद का वर्तमान और अतीत के मध्य संवाद बनाकर बहुत कुछ को परम्परा में जीवित तथा प्रगतिशील रखता है। अतः ग्रन्थ में अनुवाद के लिए उपयुक्त भाषा, पुरातन ध्वनि बहुलता और समसामयिक सजीवता के संरक्षण की दृष्टि से तत्सम, तद्भव एवं देशी शब्दों के समन्वित प्रयोग किए गए हैं। साथ ही, गम्भीर और बहुमुखी अर्थों को स्पष्ट करने के लिए क्रियापदों के अनुवाद, दुरूह पदों के अर्थनिर्वचन में धातुपाठ, निरुक्त की पद्धति एवं आधुनिक तथा तुलनात्मक व्याकरण के अनुसरण से सहायता ली गई है।
वेद आर्षकाव्य के निर्देशन के साथ-साथ अध्यात्मगवेषियों के मार्गदर्शक भी हैं। अतः ऋचाओं में संश्लिष्ट आधियाज्ञिक, आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक अर्थों को उद्घाटित करने का प्रयास किया गया है। व्याख्याकारों में जहाँ विवाद की स्थिति है, वहाँ प्राचीन एवं नवीन दोनों ही मतों का विवेचन प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार काव्यात्मक पक्ष की प्रस्तुति, निगूढ़ अर्थ के आयामों का विश्लेषण और विवादित स्थलों का तुलनात्मक विवेचन इस ग्रन्थ के अनुवाद एवं व्याख्या की अभीप्सित विशेषताएँ हैं।
इस खंड में ‘ऋग्वेद’ के पहले मंडल (पूर्वार्द्ध) का व्याख्या सहित हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया गया है।
Shri Leela Ramayan
- Author Name:
Bhanushankar Mehta
- Book Type:

- Description: प्रस्तुत पुस्तक ‘श्रीलीला रामायण’ में तुलसी की रामकथा है, उनका मानस है और गद्य-पद्य में उन्हीं की पंक्तियाँ हैं। प्रत्येक प्रसंग का मानस के अनुसार स्वरूप दिया गया है। यदि लीला करनेवाले चाहें तो उनका कवित्त-छन्द रीति से शृंगार कर सकते हैं, पर ध्यान रहे अतिरेक न हो, कथा का रस भंग न हो। क्षेपक जोड़ने से कथा का विस्तार होगा और यदि समय अनुमति दे तो वैसा कर सकते हैं। इस लीला-संग्रह में कोई दुराग्रह नहीं है, कोई बाध्यता नहीं है पर जो केवल तुलसी के ‘रामचरितमानस’ को रूपायित करना चाहते हैं, उनके लिए यह उपयोगी होगा। इसका पाठ आपको ‘रामचरितमानस’ के संक्षिप्त पाठ का सुख देगा। रामजी की प्रेरणा से यह लिखा गया और उन्हीं के युगल चरणों में अर्पित है।
The Book Of Life
- Author Name:
J. Krishnamurti
- Book Type:

- Description: 'The story of mankind is in you, the vast experience, the deep-rooted fears, anxieties, sorrow, pleasure and all the beliefs that man has accommodated throughout the millennia. You are that book.' Inspired by Krishnamurti's belief that truth is found through living, The Book of Life presents 365 timeless daily meditations, developed thematically over seven days, illuminating the concepts of freedom, personal transformation, living fully awake and much more. The Book of Life is a profound collection of insights to treasure every day for those who have come to cherish the wisdom of this extraordinary spiritual sage as well as those who are discovering it for the first time.
Lohe Ki Kamarpetiyan
- Author Name:
Tapi Dharma Rao
- Book Type:

-
Description:
स्वर्गीय तापी धर्माराव के लेखन का फ़ोकस मुख्यत: समाज सुधार रहा है। तेलगू में इनकी पुस्तकें लोकप्रियता के शिखर पर रही हैं। इस पुस्तक में विख्यात लेखक ने कमरपेटियों की परम्परा और इतिहास को अपना विषय बनाया है।
कमरपेटियाँ हमारी परम्परा में जड़ी यौन–वर्जनाओं, पुरुष–वर्चस्व और शुद्धतावादी नैतिक आग्रहों की चरम और सर्वाधिक नृशंस अभिव्यक्ति हैं। इस पुस्तक में कमरपेटियों के इतिहास, उनके समाज–नीतिशास्त्र और वर्तमान में उनके लोक–प्रचलित अवशेषों का सरल, जनसाधारण की भाषा में विवरण दिया गया है। लेखक बताते हैं कि मरुगुबिल्लाओं (लाज–रक्षक पदक) के रूप में आज आन्ध्र में जो आभूषण प्रचलित है, वह कमरपेटियों का ही इमिटेशन है। उसके अलावा पुरातात्त्विक सर्वेक्षणों और खुदाइयों में मिली कमरपेटियों, उनके प्रकारों और उनसे जुड़ी किंवदन्तियों के बारे में प्रामाणिक जानकारी इस पुस्तक में है।
Rigved : Mandal-6 & 7
- Author Name:
Govind Chandra Pandey
- Book Type:

-
Description:
वेद सनातनविद्या के काव्यात्मक प्रतिपादन हैं। ऋग्वेद संहिता के अनुवाद एवं व्याख्या का प्रयास अनेक भाषाओं में समय-समय पर होता रहा है, किन्तु अभी तक उपलब्ध सभी अनुवादों में काव्यपक्ष की उपेक्षा अथवा पद्यानुवाद की प्रस्तुति के असम्भव प्रयास ही किए गए हैं जो ऋचाओं के साथ पूरा न्याय नहीं करते हैं। वेदों में भावों की सनातनता एक व्यापक ध्वनि के रूप में सूक्तों, संवादों और आख्यानों में विद्यमान है। प्रस्तुत अनुवाद में पादानुसारी किन्तु भावपरक अनुवाद पर विशेष आग्रह सोद्देश्य है ताकि ऋचाओं की काव्यात्मकता का यथासम्भव सम्प्रेषण एवं मूल की अर्थयोजना का क्रम अनुवाद में सुरक्षित रहे।
भाषान्तर में व्याख्या का सूक्ष्म प्रकार अनिवार्य होता है और वही अनुवाद का वर्तमान और अतीत के मध्य संवाद बनाकर बहुत कुछ को परम्परा में जीवित तथा प्रगतिशील रखता है। अतः ग्रन्थ में अनुवाद के लिए उपयुक्त भाषा, पुरातन ध्वनि बहुलता और समसामयिक सजीवता के संरक्षण की दृष्टि से तत्सम, तद्भव एवं देशी शब्दों के समन्वित प्रयोग किए गए हैं। साथ ही, गम्भीर और बहुमुखी अर्थों को स्पष्ट करने के लिए क्रियापदों के अनुवाद, दुरूह पदों के अर्थनिर्वचन में धातुपाठ, निरुक्त की पद्धति एवं आधुनिक तथा तुलनात्मक व्याकरण के अनुसरण से सहायता ली गई है।
वेद आर्षकाव्य के निर्देशन के साथ-साथ अध्यात्मगवेषियों के मार्गदर्शक भी हैं। अतः ऋचाओं में संश्लिष्ट आधियाज्ञिक, आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक अर्थों को उद्घाटित करने का प्रयास किया गया है। व्याख्याकारों में जहाँ विवाद की स्थिति है, वहाँ प्राचीन एवं नवीन दोनों ही मतों का विवेचन प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार काव्यात्मक पक्ष की प्रस्तुति, निगूढ़ अर्थ के आयामों का विश्लेषण और विवादित स्थलों का तुलनात्मक विवेचन इस ग्रन्थ के अनुवाद एवं व्याख्या की अभीप्सित विशेषताएँ हैं।
इस खंड में ‘ऋग्वेद’ के छठे एवं सातवें मंडल का व्याख्या सहित हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया गया है।
Baseshwar
- Author Name:
Kashinath Ambalge
- Book Type:

-
Description:
निर्बलों की सहायता करना ही सबलों का कर्तव्य है। उसी से सुखी समाज की स्थापना हो सकती है। सभी धर्मों के मूल में दया की भावना ही प्रमुख है। बसवेश्वर के एक वचन का यही भाव है—दया के बिना धर्म कहाँ? सभी प्राणियों के प्रति दया चाहिए। दया ही धर्म का मूल है, दया-धर्म के पथ पर जो नहीं चलता कूडलसंगमदेव को वह नहीं भाता।
बसवेश्वर की वचन रचना का उद्देश्य ही सुखी समाज की स्थापना था। चोरी, असत्य, अप्रामाणिकता, दिखावा, आडम्बर एवं अहंरहित समाज की स्थापना बसव का परम उद्देश्य था, जो निम्न एक वचन से स्पष्ट होता है—चोरी न करो, हत्या न करो, झूठ मत बोलो, क्रोध न करो, दूसरों से घृणा न करो, स्वप्रशंसा न करो, सम्मुख ताड़ना न करो, यही भीतरी शुद्धि है और यही बाहरी शुद्धि है, यही मात्र हमारे कूडलसंगमदेव को प्रसन्न करने का सही मार्ग है। हठ चाहिए शरण को पर-धन नहीं चाहने का, हठ चाहिए शरण को पर-सती नहीं चाहने का, हठ चाहिए शरण को अन्य देव को नहीं चाहने का, हठ चाहिए शरण को लिंग-जंगम को एक कहने का, हठ चाहिए शरण को प्रसाद को सत्य कहने का, हठहीन जनों से कूडलसंगमदेव कभी प्रसन्न नहीं होंगे।
Srikrishna, Buddha, Yeshu Aur Muhammed "श्रीकृष्ण, बुद्ध, ईसा और मुहम्मद" | Enlightening Insights Into The Life | Swami Vivekananda Book in Hindi
- Author Name:
Swami Vivekanand
- Book Type:

- Description: "स्वामी विवेकानंद ने भारत में उस समय अवतार लिया, जब यहाँ हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मँडरा रहे थे। पंडित-पुरोहितों ने हिंदू धर्म को घोर आडंबरवादी और अंधविश्वासपूर्ण बना दिया था। ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म को एक पूर्ण पहचान प्रदान की | इसके पहले हिंदू धर्म विभिन छोटे-छोटे संप्रदायों में बँटा हुआ था। तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो, अमेरिका में विश्व धर्म संसद् में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और इसे सार्वभौमिक पहचान दिलवाई। स्वामीजी का विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है। यहाँ बड़े-बड़े महात्माओं तथा ऋषियों का जन्म हुआ; यह संन्यास एवं त्याग की भूमि है तथा यहीं, केवल यहीं आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिए जीवन के सर्वोच्च आदर्श एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक 'कृष्ण, बुद्ध, ईसा और मुहम्मद ' में स्वामीजी ने सरल शब्दों में देवत्व प्राप्त इन स्तुत्य महापुरुषों के व्यक्तितत और उनकी शिक्षाओं की अनिर्वचनीय व्याख्या की है। एक अत्यंत प्रेरक्त और ओजपूर्ण पुस्तक, जो जीवन में दैविक आशा का संचार करती है।"
Gyan Ka Marg "ज्ञान का मार्ग" | Spiritual & Enlightenment | Swami Vivekananda Book in Hindi
- Author Name:
Swami Vivekanand
- Book Type:

- Description: "स्वामी विवेकानंद ने भारत में उस समय अवतार लिया, जब यहाँ हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मँडरा रहे थे। पंडित-पुरोहितों ने हिंदू धर्म को घोर आडंबरवादी और अंधविश्वासी बना दिया था। ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म को एक पूर्ण पहचान प्रदान की । इसके पहले हिंदू धर्म विभिन्न छोटे-छोटे संप्रदायों में बँटा हुआ था। तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो (अमरीका) में विश्व धर्म-संसद में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और भारत को विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित किया। वे केवल संत ही नहीं थे, बल्कि एक धर्मरक्षक, संस्कृतिधर्मी, महान् देशभक्त, ओजस्वी वक्ता, प्रखर विचारक, रचनाधर्मी लेखक और करुण मानवप्रेमी भी थे । अमेरिका से लौटकर उन्होंने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा था--''नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भड़भूजे के भाड़ से, कारखाने से, हाट से, बाजार से; निकल पड़े झाड़ियों, जंगलों, पहाड़ों, पर्वतों से । प्रस्तुत पुस्तक में स्वामीजी ने भारत सहित देश-विदेश में वेदांत धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु देश भर के युवकों का आह्वान किया है। उन्होंने भारतीय समाज में गहरे पैठी असमानता की भावना के प्रति लोगों को सचेत किया है। अनेक सवालों और जिज्ञासाओं की प्रतिपूर्ति करनेवाली एक प्रेरक, ज्ञानवर्धक व संग्रहणीय पुस्तक ।"
Amazing Astro Science
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Amazing Astro Science is the must-read book for anyone interested in space exploration and the latest developments in astronomy. Written by renowned astrophysicist Dr. Sanjay, this comprehensive guide provides readers with an in-depth look into the fascinating world of space science. From the history of astronomy to the latest discoveries in star formation and black holes, this book covers it all. Readers will gain an understanding of the fundamentals of astrophysics and the technology used to explore the outer reaches of the universe. With its easy-to-understand explanation of complex topics and its stunning visuals, Amazing Astro Science is both a captivating and educational read. Whether you’re a student of astronomy, a casual hobbyist, or just curious about the universe, this book will provide readers with a wealth of knowledge and insight.
Sriramcharit Manas : Pancham Sopan Sundarkand
- Author Name:
Yogendra Pratap Singh
- Book Type:

-
Description:
तुलसी कृत सुन्दरकांड के कथा नायक हनुमान हैं, परन्तु वह लगते नहीं। कवि सुन्दरकांड के माध्यम से श्रीराम के माहात्म्य, उनके प्रति भक्ति तथा प्रपत्ति एवं शरणागति भाव को व्यंजित करना चाहता है। इस दृष्टि से, सुन्दरकांड में आए हनुमान, सीता, रावण एवं विभीषण के चरित्रों का तुलनात्मक अध्ययन करें तो विभीषण का स्थान सर्वोपरि है। सुन्दरकांड के इस विभीषण का चरित्र ऐतिहासिक नहीं, स्वयं तुलसीदास का अपना निजी भोगा हुआ उपेक्षित व्यक्तित्व है। विभीषण एवं तुलसी दोनों श्रीराम की शरणागति में ही जीवन की सार्थकता प्राप्त करते हैं। यदि और स्पष्ट ढंग से कहना चाहें तो यह भी कह सकते हैं कि इस विभीषण का पर्याय तुलसीयुगीन सम्पूर्ण निराश्रित जनसमूह है।
तुलसी सुन्दरकांड में विभीषण का विद्रावक तथा संवेदनशील व्यक्तित्व निर्मित करके इस कथा का मुख ग़रीब एवं असहाय जनता की ओर मोड़ देते हैं। इसीलिए, इस सुन्दरकांड में कवि अपनी सम्पूर्ण रचनात्मक ऊर्जा न हनुमान की शक्ति एवं बल से सम्बद्ध करता है, न रावण के प्रति अन्याय और आक्रोश में लगाता है, साथ ही, उसे न वह श्रीराम की प्राणप्रिया सीता की विरह पीड़ा से ही जोड़ता है; वह पूरी तरह से सजग तथा संवेदनशील होकर आश्रयविहीन विभीषण को अपना भावात्मक समर्पण देकर उसे सार्थक बनाने की चेष्टा करता है। इस सुन्दरकांड के कवि तथा उसकी कविता की यही भव्यता है।
Main Kaun Hoon? "मैं कौन हूँ" | Spiritual & Enlightenment Book | Swami Vivekananda Book in Hindi
- Author Name:
Swami Vivekanand
- Book Type:

- Description: "स्वामी विवेकानंद भारत में उस समय अवतार लिया, जब यहाँ हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मँडरा रहे थे। पंडित-पुरोहितों ने हिंदू धर्म को घोर आडंबरवादी और अंधविश्वासी बना दिया था ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने हिन्दू धर्म को पहचान दी । इसके पहले हिंदू धर्म विभिन्न छोटे-छोटे संप्रदायों में बँटा हुआ था। तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो (अमरीका) की विश्व धर्म-संसद् में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और इसे सार्वभौमिक पहचान दिलवाई। उनतालीस वर्ष के संक्षिप्त जीवनकाल में स्वामी विवेकानंद जो काम कर गए, वे आनेवाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। प्रस्तुत पुस्तक ‘मैं कौन हूँ?’ में स्वामीजी ने सरल शब्दों में एक आम आदमी के उन सवालों के उत्तर दिए हैं, उन जिज्ञासाओं को शांत करने का प्रयास किया है, जिनमें वह अकसर उलझकर रह जाता है कि आखिर वह है कौन ? ये आत्मा-परमात्मा कौन हैं ? स्वयं को कैसे जाना जा सकता है ? हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है ? धर्म का जीवन में क्या महत्त्व है ? जीवन की सार्थकता क्या है? ऐसे ही करनेवाली विख्यात आध्यात्मिक विभूति स्वामी विवेकानंद की एक प्रेरक और ज्ञानवर्धक पुस्तक |"
AMAZING ALLOY HEALING
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: This is the book that you need. It is a must read for anyone who is interested in Healing and Health. They can make this book your source of information about how to heal themselves physically and mentally."
Nanak Vani
- Author Name:
Jairam Mishra
- Book Type:

-
Description:
नानक वाणी में धार्मिक, लौकिक और लौकिक-धार्मिक काव्य का सहज समन्वय है। इसमें कर्ममार्ग, योगमार्ग, भक्तिमार्ग और ज्ञानमार्ग का विशद निरूपण है। नानक वाणी में शान्त, शृंगार, करुण, वीर, हास्य आदि रसों का अद्भुत परिपाक है। उनका प्रकृति चित्रण अत्यन्त मोहक और आकर्षक है। उनकी भाषा पूर्वी पंजाबी है, परन्तु उसमें ब्रजभाषा और खड़ी बोली का भी पुट है। मुहावरों और कहावतों का प्रचुर प्रयोग है। नानक के अनुसार परमात्मा एक है वह कर्तार है, वह भय से रहित है, बैर से रहित है, मूर्तिमान है, काल से रहित है, योनि के अन्तर्गत नहीं आता। नानक वाणी में जहाँ एक ओर गुरु गाम्भीर्य और ज्ञान-वैराग्य भक्ति का अमृत मन्थन है वहाँ उनकी भाषा में अद्भुत ओज और भक्ति है। उनकी रचना-शैली में काव्य का लालित्य, माधुर्य, विचार सम्पन्नता सब कुछ है। नानक वाणी हृदय और मस्तिष्क को स्पर्श ही नहीं करती प्रत्युत उन्हें अनुप्राणित भी करती है।
नानक वाणी में उन्नीस राग प्रयुक्त हुए हैं : राग श्री, माझ, गौरी, आसा, गुजरी, वडहंस, सोरठि, धनासिरी, तिलंग, सूही, बिलावल, रामकली, मारू, दुखारी, भैरउ, बसंत, सागर, मलार तथा प्रभाती। नानक वाणी संगीतमय है, विचारोत्तेजक है। नानक वाणी का यह संस्करण अपनी विशद् सारगर्भित भूमिका के कारण अधिक सुबोध और उपयोगी हो गया है। श्रीगुरु नानक देव की सम्पूर्ण वाणी का यह मूल्यवान संग्रह उनके सभी भक्तों और प्रेमियों के पास अवश्य होना चाहिए।
Vinay Patrika
- Author Name:
Tulsidas
- Book Type:

-
Description:
आत्म निवेदन का सीधा सम्बन्ध अन्तःकरण के आयतन से है। इस तरह की रचनाओं में आत्म-संवाद झलकता है। सम्पूर्ण हिन्दी साहित्य के इतिहास में तुलसीदास की ‘विनय पत्रिका’ और निराला की ‘अणिमा’ से लेकर ‘सांध्यकाकली’ तक की रचनाओं में यह स्वर विशेष रूप से सुनाई पड़ता है। अन्तर्मुखी होकर किया गया आत्मविश्लेषण, अन्तर्द्वन्द्वों की गहराई, निर्भय होकर की गई आत्म-समीक्षा और सामाजिकता इन रचनाओं को अपने युग का प्रतिनिधित्व प्रदान करती हैं।
तुलसीदास के ‘हौं’ और निराला के ‘मैं’ की प्रकृति, घनत्व और आत्मविस्तार का धरातल उन्हें भिन्न कालखंडों में भी समानधर्मा बनाता है—‘उत्पस्यते तु मम कोऽपि समानधर्मा, कालो ह्यं निरवधिर्विपुला च पृथ्वी’। ‘विनय पत्रिका’ और निराला की परवर्ती रचनाओं में अभिव्यक्त विनय-भावना कपोल कल्पना या आत्म-प्रवंचना नहीं है। यह दोनों कवियों के जीवन की गाढ़ी कमाई और सर्जनात्मक उपलब्धि है। दार्शनिक स्तर पर जीवन-जगत के प्रति द्वन्द्वात्मक अन्तर्दृष्टि एवं ‘अखिल कारुणिक मंगल’ के प्रसार की कामना ने भक्ति का साधारणीकरण कर दिया है। तुलसीदास का ‘हौं’ एवं निराला का ‘मैं’, अपने समाज से अन्तःक्रिया करते हुए बना है। आत्म-मुक्ति आत्म-प्रसार की भावना से अविच्छिन्न है। दोनों की विनय भावना का अन्त न तो भाग्यवाद में होता है और न ही निराशा में। इस दृष्टि से ‘विनय पत्रिका’ का अन्तिम पद और निराला की अन्तिम रचना सहज तुलनीय है।
Islam Ka Janam Aur Vikas
- Author Name:
Asghar Ali Engineer
- Book Type:

- Description: आरम्भिक काल में इस्लामी आन्दोलन समाज के कमज़ोर और पीड़ित व्यक्तियों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता था। इसलिए यह जाँच–परख दिलचस्पी से ख़ाली नहीं होगी कि उसके आरम्भिक समर्थक कौन से लोग थे। अब्दुल–मुतअल–अस्सईदी नाम के एक मिस्री लेखक ने इस पर शोधकार्य किया है। वे कहते हैं कि नवस्थापित इस्लाम मूलत: युवकों का आन्दोलन था। जिन लोगों की उम्रें दर्ज मिलती हैं, उनमें एक बड़ा बहुमत हिजरत के समय 40 से कम उम्र का था। इन लोगों ने उससे कम–से–कम 8 या 10 साल पहले इस्लाम अपनाया था। पैग़म्बर मुहम्मद ने मक्का के अमीरों की जो तम्बीह की थी कि वे ज़ख़ीराबाज़ी न करें और अपनी दौलत पर न इठलाएँ, वह कुचले हुए लोगों, ग़ुलामों और यतीमों आदि को आकर्षक लगती थी। फिर भी उनके समर्थक सिर्फ़ इन्हीं वर्गों से नहीं आए। वे सभी ख़ाली हाथ लोग या ज़ोरदार क़बीलाई सम्बद्धताओं से वंचित तलछटिए लोग नहीं थे। वास्तव में उनमें से बहुत से लोग अग्रणी क़बीलों के थे। जिस तरह हमारे अपने वक़्त में सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं के प्रति जागरूक मगर वंचित होने के अहसास से भरे मध्यवर्गीय बुद्धिजीवी सामाजिक रूपान्तरण में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उसी तरह पैग़म्बर मुहम्मद के अनुयायियों ने भी निभाई। ये लोग भी मक्का के समाज के मध्यवर्ती स्तरों से ताल्लुक़ रखते थे जहाँ एक ख़ासी बड़ी सीमा तक शत्रुतापूर्ण वर्गीय सम्बन्ध पैदा हो चुके थे।
Temples Tour: East, West, North, South India
- Author Name:
Rajiv Aggarwal
- Book Type:

- Description: Temples Tour is a book of compilation of major Temples in India and it is compiled with the help of official website of 739 districts of the country (till March 2020), website of Ministry of Tourism of Government of India and all states, website of Archaeological Survey of India, Wikipedia, official website of Temples, other religious websites, Facebook, Twitter, many books and articles. In this compilation, I have covered Temples from Andaman to Ajmer, Bodhgaya to Sarnath, Jagannath Puri to Kedarnath, Kanyakumari to Ksheer Bhavani, Koteshwar to Kamakhya, Lakshadweep to Leh, Sammedshikhar to Shravanbelgola and Somnath to Kashi Vishwanath. There are various types of Temples such as Ashtavinayak Temples, Buddhist Temples, Char Dham, Chota Char Dham, Eight Mahakshetras of Lord Vishnu, Hot/Perennial Sulphur Springs, ISKCON Temples, Jain Temples, Jyotilinga, Nag Devta Temples, Nava Narasimhas, Nava Thirupathi, Panch Badri, Panch Dwarka, Panch Kannan Kshetrams, Panch Kedar, Panch Prayag, Pancha Narasimha Kshetras, Pancharama Kshetras, Pancha Bhoota Sthalam, Panch Sabhai Temples, Sapta Puris, Seven Baithaks of Pushtimarg (Thakurji), Seven Thakurji of Vrindavan, Shakti Peetha, Shani Parihara Temples, Sindhi Temple, Six Abodes of Lord Murugan, Sun Temples, Trilinga Kshetras and other Temples, ponds/lakes, trees, saints and statues of more than 50 foot height.
Hindutva
- Author Name:
Vinayak Damodar Savarkar
- Book Type:

- Description: Hindutva is a geo-cultural concept that embodies respect, a sense of place, and the feeling of coexistence for everyone. This synchronicity-oriented cultural consciousness has made it quite liberal, tolerant, and flexible. The situation deteriorated when external invaders took advantage of the liberality of this overly tolerant culture and started to cut at its very roots. The excessive permissiveness of Hindutva was misinterpreted as cowardice, leading to a concerted effort to destroy all its fundamental elements. Even today, various conspiracies are being devised with a similar aim. Forbearance has rendered the supporters and followers of ‘Hindutva’, or ‘Indianness’, indifferent, impotent, and fatalistic. The common-good-oriented philosophy of self-righteousness does not imply that, in this world and in our behavior, we should forget our duty to ourselves and neglect self-defense. The policy of abandonment in the face of invaders has nothing to do with the philosophy and principle of coexistence and tolerance. Every time Hindutva failed to confront invading enemies, its supporters not only suffered humiliation but also lived under subjugation. Hindutva is so devoted to the pursuit of truth that it does not compromise on any account. For Hindutva, the existence of this world is not the ultimate truth; rather, it is an illusion. In other words, what exists in reality is simply a manifestation of an eternal and true non-dual Brahman. —From this book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...