Ek Bataa Ek
Author:
ShankarPublisher:
Antika Prakashan Pvt. Ltd.Language:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Ratings
Price: ₹ 246
₹
300
Available
Collection of Short Stories
ISBN: 9789391925000
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Ek Plate Sailab
- Author Name:
Mannu Bhandari
- Book Type:

-
Description:
साहस और बेबाकबयानी के कारण मन्नू भंडारी ने हिन्दी कथा-जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। नैतिक-अनैतिक से परे यथार्थ को निर्द्वन्द्व निगाहों से देखना उनके कथ्य और उनकी कहन को हमेशा नया और आधुनिक बनाता है।
‘मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘यही सच है’ और ‘त्रिशंकु’ संग्रहों की कहानियाँ उनकी सतत जागरूक, सक्रिय विकासशीलता को रेखांकित करती हैं।
आलोचकों और पाठकों ने मन्नू जी की जिन विशेषताओं को स्वीकार किया है, वे हैं उनकी सीधी-साफ़ भाषा, शैली का सरल और आत्मीय अन्दाज़, सधा-सुथरा शिल्प और कहानी के माध्यम से जीवन के किसी स्पन्दित क्षण को पकड़ना।
कहना न होगा कि इस संग्रह में शामिल सभी कहानियाँ इन विशेषताओं का निर्वाह करती हैं। ‘एक प्लेट सैलाब’, ‘बन्द दराजों के साथ’, ‘सज़ा’, ‘नई नौकरी’—ये सभी कहानियाँ अक्सर चर्चा में रही हैं और इनमें मन्नू जी की कला निश्चय ही एक नया मोड़ लेती है—जटिल और गहरी सच्चाइयों के साहसपूर्ण साक्षात्कार का प्रयत्न करती है।
Ghar Bahar Ghar
- Author Name:
Harimohan
- Book Type:

-
Description:
सुपरिचित कथाकार हरिमोहन की कहानियों का यह संग्रह अपनी काव्यात्मक भाषा और सरल-सहज शिल्प के कारण अनायास ही आकर्षित करता है।
व्यक्ति के निजत्व की तलाश, प्रेम में चाँद को छूने की आकांक्षा, समसामयिक राजनीति की विद्रूपताओं व विडम्बनाओं, साम्प्रदायिक डायनासोर के आतंक, रिश्तों की रागात्मकता, प्रेम की मीठी व सुलगती हुई आँच, उपभोक्तावादी जीवन-शैली का एकाकीपन, दफ़्तरी जीवन का छल-छद्म आदि की काली-उजली छायाओं और गतिशील बिम्बों का मोहक कोलाज हैं ये कहानियाँ। भाषा की ताज़गी और कथ्य व विचारों की मौलिकता हरिमोहन की कहानियों की अनूठी विशेषता है।
सुचिंचित सरोकार वाली कथावस्तु, प्रवाहमय भाषा और संवेदनात्मक शिल्प के कारण ये कहानियाँ पाठकों को एक रचनात्मक लोक में ले जाने में सक्षम हैं।
Pratiroop
- Author Name:
Manoj Kumar Pandey
- Book Type:

-
Description:
प्रतिरूप मनोज कुमार पांडेय का पाँचवाँ कहानी-संग्रह है। इस संकलन में मौजूद सभी कहानियाँ अपने आपको अलग-अलग ढंग से कहती हैं। स्मृति, स्वप्न, फंतासी, स्वगत, एकालाप, इन सभी विधियों से उन्होंने जीवन के कुछ विशिष्ट क्षणों को पकड़ा है। बचपन का चित्रण इस संग्रह की एकाधिक कहानियों में हुआ है; और वह सचमुच ही हम सबकी स्मृतियों के इस मूल्यवान खंड को आलोकित कर जाता है। ‘खेल’ और ‘बिच्छू’ इस लिहाज से बेहद सशक्त कहानियाँ हैं।
प्रेम को महसूस करने और एक रचनाकार की हैसियत से उसे शब्द देने की कला उनके पास अनुपम है। इस संग्रह में शामिल ‘पुरइन की ख़ुशबू’ जितनी कहानी है, उससे ज्यादा कविता है जो गन्ध की तरह हमारे अनुभव का हिस्सा हो जाती है। इसी तरह ‘पैर’ शीर्षक कहानी भी, जो प्रेम के एहसास को संवेदना के एक अपेक्षाकृत वयस्क इलाक़े में लेकर जाती है। दरअसल, कवि-कथाकार मनोज पांडेय ने कविता और कहानी दोनों ही विधाओं में अपनी एक निजी भाषा विकसित की है। कहानी की बात करें तो भाषा के साथ विभिन्न कथा-प्रविधियों में काम लेने की भी उनमें अद्भुत क्षमता है।
‘जेबकतरे का बयान’ और ‘तितलियाँ’ भी ग़ैर-पारम्परिक इलाकों में देखने की उनकी ललक को दर्शाती हैं जिनमें उन्होंने सभ्य समाज की निगाह में अपराधी माने जाने वाले लोगों के मन में झाँकने की कोशिश की है। समकालीन समय की राजनीतिक, सामाजिक और पेशागत कई चुनौतियों को सम्बोधित कहानियाँ भी इस संग्रह में शामिल हैं जो हमारे समय की भयावहताओं को अलग-अलग ढंग से रेखांकित करती हैं।
एक पठनीय कथा-संग्रह!
Lapata Ladaki
- Author Name:
Arvind jain
- Book Type:

-
Description:
वह निस्संग है, आखेटित है, लापता है। वही यहाँ है। परम्पराएँ उसे लापता करती हैं। बाज़ार उसे निस्संग और उसका आखेट करता है। हर धर्म, हर जाति उसके संग ऐसा ही सलूक करती है।
ये कहानियाँ इसी स्त्री या लिंग संवेदनशीलता से शुरू होती हैं और इस लापता कर दी गई स्त्री की खोज का आवेशमय विमर्श बन जाती हैं। ये औरत को किसी घटना या क़िस्से के ब्योरे में नहीं दिखातीं, उसे खोजती हैं, बनाती हैं और जितना बनाती हैं, पाठक को उतना ही सताती हैं।
स्त्री-लेखन स्त्री ही कर सकती है, यह सच है लेकिन ‘स्त्रीवादी’ लेखन पुरुष भी कर सकता है—यह भी सच है। यह तभी सम्भव है, जब वह लिंग भेद के प्रति आवश्यक संवेदनशील हो, क्योंकि वह पितृसत्ता की नस-नस बेहतर जानता है। मर्दवादी चालें! मर्दों की दुनिया में औरत एक जिस्म, एक योनि, एक कोख भर है और मर्दों के बिछाए बाज़ार में वह बहुत सारे ब्रांडों में बन्द एक विखंडित इकाई है।
अरविन्द, जो बहुत कम कहानी लिखते हैं, इस औरत को हर तरह से, हर जगह पूरी तदाकारिता से खोजते हैं। अरविन्द कहीं पजैसिव हैं, कहीं कारुणिक हैं, लेकिन प्रायः बहुत बेचैन हैं। यहाँ स्त्री के अभिशाप हैं जिनसे हम गुज़रते हैं। मर्दों की दुनिया द्वारा गढ़े गए अभिशाप, आज़ादी चाहकर भी औरत को कहीं आज़ाद होने दिया जाता है?
अरविन्द की इन वस्तुतः छोटी कहानियों में मर्दों की दुनिया के भीतर, औरत के अनन्त आखेटों के इशारे हैं। यह ‘रसमय’ जगत नहीं, मर्दों की निर्मित स्त्री का ‘विषमय’ जगत है। अरविन्द की कहानी इशारों की नई भाषा है। उनकी संज्ञाएँ, सर्वनाम, विशेषण सब सांकेतिक बनते जाते हैं। वे विवरणों, घटनाओं में न जाकर संकेतों, व्यंजकों में जाते हैं और औरत की ओर से एक ज़बर्दस्त जिरह खड़ी करते हैं। स्त्री को हिन्दी कथा में किसी भी पुरुष लेखक ने इतनी तदाकारिता से नहीं पढ़ा जितना अरविन्द ने।
इन कहानियों को पढ़ने के बाद पुरुष पाठकर्ता सन्तप्त होगा एवं तदाकारिता की ओर बढ़ेगा और स्त्री पाठकर्ता अपने पक्ष में नई क़लम को पाएगी—वहाँ भी, जहाँ स्त्री सीधा विषय नहीं है।
अरविन्द जैन का यह कथा-संग्रह बताता है कि हिन्दी कहानी में निर्णायक ढंग से फिर बहुत कुछ बदल गया है।
—सुधीश पचौरी
Whatsappia Romance
- Author Name:
Sameer Yadav
- Book Type:

- Description: प्रेम के नये रूप का प्रस्तुत करती हुई इन कहानियों के लेखक हैं Sameer Yadav । इन कहानियों में नये युग का प्रेम है। नाम 'व्हाट्स-एपिया रोमांस' व्हाट्स अप पर जन्म लेनी वाली प्रेम कहानियाँ। लेकिन इन कहानियों में भी वही बेकरारी है, वही इंतज़ार है जो प्रेम में हमेशा से रहता है। पुस्तक में शामिल कहानियाँ 1) समझे बस वो... 2) एबाउट टू डाय 3) बट लीव इट 4) व्हाट्स-एपिया परवाने 5) पुरजा-पुरजा प्रेम पर्चियाँ 6) क्या यही प्यार है 7) WiFi Zone में लौट आओ 8) ग्रैंड सेल्यूट.. 9) इंद्रधनुषी और इंस्टेंट 10) आर यू देअर ? 11) दो काली टिक 12) मुहब्बत वाली जगह 13) आज मिल न.. 14) आख़िरी कश 15) नो स्टेटस 16) न सूखने देती हो, न भीगने 17) पिछली सदी का मैसेज 18) दोनों टिक नीली 19) गोल्डन रिट्रीवर 20) तारीख़ 21) उसे भी मालूम है .. 22) चपटी तिकोने वाली प्लेट 23) तुम बेवजह याद रहती भी कहाँ हो 24) इसमें मैं कहाँ ... 25) जा कुलच्छनी...... सब बरी हो गए
Shapgrasta
- Author Name:
Akhilesh
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी कहानी की चर्चा पर अखिलेश की कहानियाँ याद न आएँ, असम्भव है। वह ऐसे लेखक हैं जो बौद्धिकों और सामान्य पाठकों के बीच एक साथ स्वीकृत हैं।
अखिलेश का ज़िक्र समर्थ कथाकार के रूप में किया जाता है तो इसमें सबसे अधिक योगदान ‘शापग्रस्त’ संग्रह में शामिल कहानियों का है। इस किताब की समस्त कहानियाँ अपनी संश्लिष्ट वास्तविकता, कलात्मकता और अद्वितीय गद्य के ज़रिए लगातार हिन्दी पाठक को मुग्ध, गर्वित और हैरान करती रही हैं। इसीलिए ‘शापग्रस्त’ को यदि कहानियों के संग्रह की जगह श्रेष्ठ कहानियों का संग्रह कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी। इसमें उपस्थित ‘चिट्ठी’, ‘ऊसर’, ‘बायोडाटा’, ‘शापग्रस्त’ तथा ‘जलडमरूमध्य’ हिन्दी की बेहतरीन कहानियाँ हैं। साथ ही ‘अगली शताब्दी के प्यार का रिहर्सल’ एवं ‘पाताल’ भी अनेक चर्चित कहानियों की तुलना में बेहतर और पठनीय हैं।
‘शापग्रस्त’ की कहानियाँ इस अर्थ में विस्फोटक हैं कि सभी की सभी देश के नए सच से मुठभेड़ करती हैं। मनुष्य, समाज, परिवार, संस्कृति, राजनीति, प्रेम और आत्मा पर आघात कर रहे उपभोक्तावादी-बाज़ार व्यवस्था की सर्जनात्मक साक्ष्य हैं ये कहानियाँ। मौजूदा समय स्वातंत्र्योत्तर भारत का सबसे ज़्यादा हिंसक तथा आक्रान्ता समय है, और इसी को ‘शापग्रस्त’ की कहानियों में घेरा गया है।
अखिलेश के यहाँ ख़ास रंग के जीवन्त, हँसमुख और शरारती गद्य के ज़रिए सत्य को ढूँढ़ा, परखा, प्रकट किया गया है। और, इस अर्थ में तो अखिलेश की भाषा का मिज़ाज अभिनव है कि वह एक तरफ़ व्यंग्य-विनोद की छटा बिखेरती है तो दूसरी तरफ़ करुणा की अन्तःसलिला भी प्रवाहित करती है। शायद इसी वजह से ‘शापग्रस्त’ की कहानियाँ ग़ज़ब की वाग्विदग्ध होने के बावजूद अपने परिणाम में हमें बेचैन, उदास और आन्दोलित करती हैं।
ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि अखिलेश का यह संग्रह लम्बे समय तक हलचल पैदा करता रहेगा।
O Bhairvi
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है।
‘ओ भैरवी!’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘ओ भैरवी!’, ‘वर्दी’, ‘नकारा’, ‘सामन्ती कृपा’, ‘देवी की लीला’, ‘गौ माता’, ‘महाराजा का इलाज’, ‘मूर्ख क्रोध’, ‘सब की इज़्ज़त’, ‘न्याय और दंड’, ‘मन की पुकार’ और ‘देखा-सुना आदमी’।
Gulara Ke Baba
- Author Name:
Markandey
- Book Type:

-
Description:
‘गुलरा के बाबा’ संग्रह की कहानियों का समय आज़ादी के ठीक बाद का है। सामाजिक सन्दर्भों का वास्तविक चित्रण कहानियों का प्रमुख तत्त्व है। जीवन का सुख-दु:ख ही कहानियों का विषय है। भारत के नए निर्माताओं के सामने देश की वास्तविक तस्वीर कहानियों में प्रस्तुत की गई है।
कहानियों में कोमल संवेदनाएँ, लुभावनी भाषा के साथ आक्रोश से भरी तीखी सामाजिक दृष्टि भी है। गाँव के जीवन का नया धरातल इस संग्रह का प्राण है। यहाँ जीवन की वास्तविकता के साथ उसमें परिवर्तन की आकांक्षा साथ-साथ है।
Pratinidhi Kahaniyan : Asghar Wajahat
- Author Name:
Asghar Wajahat
- Book Type:

- Description: असग़र वजाहत बेचैन लेखक हैं। लगातार प्रयोग करना और नएपन की तलाश करना उन्हें प्रिय है। कहानी में उन्होंने जोख़िम की हद तक प्रयोग किए हैं। लघुकथाओं के विन्यास से लगाकर संवाद और एकालाप जैसी प्रचलित-अप्रचलित नई-नई प्रविधियों में लिखना उन्हें आवश्यक लगता है। भाषा पर उनका जबरदस्त अधिकार, बारीक़ व्यंग्य और भीतरी करुणा का सहकार इन कहानियों को आकार देता है। साम्प्रदायिकता जैसी समस्या हो या मध्य वर्ग का पाखंड, एक ऐसे लेखक के लिए जो विचारधारा को साहित्य के लिए ज़रूरी समझता है, मनुष्यता के पक्ष में आशा का दामन कभी नहीं छोड़ सकता। प्रगतिशील जनवादी लेखन की समझ रही है कि मध्यवर्ग का काईंयापन और पाखण्ड मनुष्य समाज के विकास में बड़ा अवरोध है। असग़र वजाहत के यहाँ इस पाखण्ड के उद्घाटन के अनेक चित्र हैं जो बदलते समय के साथ प्रभावी होते गए हैं। आपातकाल के दौर में प्रतीकों में लिखी गई उनकी लघुकथाओं सरीख़ी कहानियाँ हों या हालिया दौर में असहिष्णुता से बजबजाते कारनामे सुनाती नई प्रविधि की कथाएँ, वे मनुष्यता के पक्ष में अपना स्वर कभी धीमा नहीं होने देते।
ANUBHAV KE BOL
- Author Name:
Ramji Bhai
- Book Type:

- Description: परिवार और समाज प्रबोधन में कथाओं का विशेष महत्त्व है। अनेक गुण एवं जीवन-मूल्य कहानियों के माध्यम से समाज और व्यक्तियों के जीवन में उतरते हैं। महापुरुष, संत या समाज के प्रभावी लोगों की कथाओं की एक विस्तृत-विलक्षण धारा भारत में है, किंतु कभी-कभी सहज, सरल, निरक्षर या कभी-कभी तो बालकों की कहानियाँ भी बड़ी प्रेरणादायक और दिशा-दर्शक होती हैं, ऐसा सभी का व्यापक अनुभव है। वेद और उपनिषदों में उल्लिखित अनेक महत्त्व के तत्त्व एवं सत्य को सामान्य लोगों तक पहुँचाने के उद्देश्य से अपने यहाँ पुराणों की रचना की गई है। संत, महात्मा या कथाकार द्वारा रोचक कहानियों के माध्यम से वेद और उपनिषदों में निहित गहन तत्त्व जनसामान्य तक पहुँचाने की परंपरा आज भी चल रही है। ‘अनुभव के बोल’ संग्रह की कहानियाँ परिवार-प्रबोधन और लोक-प्रबोधन की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगी। अनेक कहानियाँ पढ़ते समय हृदय को झकझोरती हैं, छू जाती हैं, आँखें नम कर जाती हैं। जिन महान् जीवन-मूल्यों के कारण मानवता समृद्ध होती है, ऐसे चिरकाल तक चलनेवाले समयातीत मूल्यों की शिक्षा सहज ही इन कहानियों को पढ़ने से होगी।
Kuchh Bhi To Rumani Nahi
- Author Name:
Manisha Kulshreshtha
- Book Type:

- Description: Short Stories
Tufan
- Author Name:
Sarita Kumari
- Book Type:

- Description: सभ्यता की यात्रा पहियों से अधिक कहानियों के दम पर हुई है। यही बात मनुष्य के जीवन पर भी लागू है। जीवन कहानियों के सुनने, सुनाने और रचने की अटूट यात्रा है। खाली से खाली प्रतीत होता दिन भी एक कहानी होता है। हम कहानियों के बगैर जी नहीं सकते और जब मरते हैं तो एक नयी कहानी का श्रीगणेश कर जाते हैं। सरिता कुमारी की कहानियों से गुज़रते हुए इस निरंतरता और घटनाओं के पूर्वापर सम्बन्ध पर बारहां ध्यान जाता है। इन कहानियों में वही जीवन है जो हम अपने जीवन में देखते हैं। रचनाकार का कौशल घटनाओं और प्रसंगों के चयन में दिखता है। यहाँ वे हर कहानी में एक $खास बात कहती नज़र आती हैं, ऐसी बात जो या तो कुछ बताए या चेताए। यह एक नेक काम है जो किसी दर्शन या सैद्धान्तिकी या विमर्श के पचड़े में पड़े बगैर हो सकता है। सरिता कुमारी का यह संग्रह ऐसी ही नेकियों का गुलदस्ता है। उदाहरण के तौर पर मैं तीन कहानियों का जि़क्र करना चाहूँगा। पहली कहानी है—साइलेंट किलर। यह कहानी बड़ी सादगी से प्रसवोत्तर अवसाद की घातकता और उसके समाधान का मार्ग बताती है। चूँकि मैं एक मनोचिकित्सक भी हूँ इसलिए मुझे यह कहानी बड़ी उपयोगी लगी। दूसरी कहानी है—तूफान। यह तूफान के बहाने आकस्मिक क्षति और उससे होने वाले चिंता रोग की दास्तान है। मनोचिकित्सकीय भाषा में कहूँ तो यह पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर की कथा है जिसमें कथाकार ने तूफान की आशंका और उसके घटित होने के बाद की यातना को बखूबी चित्रित किया है, मगर एक संयोग-निर्मित समाधान की छतरी के नीचे। तीसरी कहानी है—पहचान। यह एक रोचक कहानी है जो बुजुर्गों के लिए काउन्सलिंग की तरह है। कुल मिलाकर 'तूफान एक परिवार के भीतर पढ़े जाने योग्य कहानी-संग्रह है। —विनय कुमार
Pratidin
- Author Name:
Mamta Kaliya
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी की सुपरिचित लेखिका ममता कालिया की कहानियों के इस संग्रह में शिक्षित मध्यवर्गीय नारी की आशाओं, आकांक्षाओं, संघर्षों और स्वप्नों का यथार्थपरक अंकन हुआ है। ममता कालिया हिन्दी के उन कथाकारों में उल्लेखनीय हैं, जिन्होंने मध्यवर्गीय भाव-बोध को अपनी कहानियों का विषय बनाते हुए भी उसकी सीमाओं का अतिक्रमण किया है। मध्यवर्गीय भाव-बोध के प्रति तीखी व्यंग्य-दृष्टि का सहज और तार्किक विकास उनकी जीवन-दृष्टि की गतिशीलता का प्रमाण है। नारी के प्रति परम्परागत भारतीय दृष्टिकोण को नकारते हुए वे किन्हीं पतनशील जीवन-मूल्यों को स्वीकार नहीं करतीं, बल्कि समाज के स्वस्थ जीवन-मूल्यों को आत्मसात् करती हुई, उन्हें नई सामाजिक अर्थवत्ता प्रदान करती हैं।
घर की चारदीवारी में क़ैद नारी की मुक्ति-आकांक्षा और उसका संघर्ष ममता कालिया को अधिकांश कहानियों का प्रस्थान बिन्दु है, जिसके आसपास वे समूचे कथानक को बुनती हैं। इन कहानियों के पात्रों से लेखिका का सम्बन्ध इतना सीधा और आत्मीय है कि वे हमारी आँखों के सामने गतिशील होने लगते हैं। कहना न होगा कि इस संग्रह की कहानियाँ भारतीय नारी के संघर्ष और उसकी छटपटाहट को मार्मिक प्रसंगों के माध्यम से उद्घाटित करती हैं।
Aayenge Achche Din Bhi
- Author Name:
Swayam Prakash
- Book Type:

-
Description:
कथाकार स्वयं प्रकाश के पास वर्तमान भारतीय समाज—खासकर मध्यवर्ग—को आर-पार देखने वाली दृष्टि तो है ही, अर्थपूर्ण कथा-स्थितियों के चयन और भाषा के सृजनात्मक उपयोग के लिए भी उनका लेखन अलग से पहचाना जाता है। आकस्मिक नहीं कि पाठक स्वयं उनकी कहानी में शामिल हो जाता है अथवा उनके कथा-चरित्र उससे सीधे संवाद करने लगते हैं।
‘आएँगे अच्छे दिन भी’ संग्रह में लेखक की ग्यारह कहानियाँ संगृहीत हैं। इनमें ‘पार्टीशन’ और ‘आलेख’ जैसी मूल्यवान कहानियाँ यदि धर्मांधता और साम्प्रदायिक घृणा को बढ़ाने वाली ताकतों के अमानवीय क्रिया-कलाप को उघाड़ती हैं तो ‘बेमकान’ शीर्षक कहानी हमारे जीवन-व्यवहार में जड़ीभूत सामन्ती संस्कारों पर प्रहार करती है। ‘अफसर की मौत’ अफसरशाही पर चढ़ी चिकनाई और आभिजात्य की धज्जियाँ उड़ाती है तो ‘गुमशुदा’ भी प्रायः उसी जमीन पर एक गहरी विडम्बना को उजागर करती है। ‘संहारकर्ता’ और ‘चोर की माँ’ शीर्षक कहानियाँ पाठक को एक नैतिक समस्या के रू-ब-रू ला खड़ा करती हैं। ‘नैनसी का धूड़ा’ हमारे अपने दैन्य और दुर्भाग्य की अविस्मरणीय दास्तान है और ‘अशोक और रेनु की असली कहनी’ मेल शॉवनिज्म की बारीकियों पर विचार करते हुए एक सजग व्यक्ति के चेतना-सम्पन्न व्यक्ति में बदलने के आत्मसंघर्ष को रेखांकित करती है। ‘झक्की’ में वृद्धावस्था की ऊब और एकरसता की दिलचस्प प्रस्तुति है तो ‘मरनेवाले की जगह’ रोजगार से जुड़ी त्रासद जीवन-स्थितियों पर व्यंग्य करती है ।
संक्षेप में कहा जाए तो स्वयं प्रकाश की इन कहानियों ने अपने समय और समाज को जैसी रचनात्मक ईमानदारी, लोकोन्मुख दृष्टिमयता और कलात्मक सहजता से प्रस्तुत किया है, समकालीन हिन्दी कहानी इससे अनेक स्तरों पर समृद्ध हुई है।
'Badchalan' Beevion Ka Dweep
- Author Name:
Krishna Baldev Vaid
- Book Type:

-
Description:
यह कृष्ण बलदेव वैद सरीखे अलबेले और हठी कथाकार से ही मुमकिन था कि पुरानी, बहुत पुरानी, कहानी का भी नए-नवेले, अनूठे और समसामयिक अन्दाज़ में एक बार फिर बयान सम्भव हो सके, जैसा सोमदेव रचित ‘कथासरित्सागर’ की कुछ संस्कृत कहानियों के साथ उन्होंने इस संग्रह में सफलतापूर्वक कर दिखलाया है।
यह उद्यम इस मायने में मौलिक और रचनाधर्मी है कि पारम्परिक कथाओं का रूप विन्यास करते हुए ‘पुनर्लेखक’ न जाने कितनी जगह कथा काया में एक सजग लेखक की तरह प्रवेश करता है : न सिर्फ़ प्रवेश ही, बल्कि अपनी चुटीली, चटपटी टिप्पणियों से कहानी की रसात्मकता को समसामयिक जीवन सज्जा में ढालने की सुविचारित चेष्टा भी। यही असल में परम्परा का नवीनीकरण है : एक सच्ची और सचमुच पुनर्रचना।
कथा की क्लासिकल, पर भाषा और शैली अभी और आज की। पात्र वही पुराने, पर उन्हें देखने, आँकने, टाँकने का अन्दाज़ ‘कृष्णबलदेवी’। घटनाएँ वही पुरानी, पर उन्हें बयान करते हुए उन्हें समकालिक जीवन-छवियों से जोड़ने का सपना नया। अगर कहानीकार का सरोकार, कहानी के सन्देश, पाठ या शिक्षा से कम और ख़ुद कहानी से ज़्यादा है, तो यह वैद जी जैसे कहानीकार के लिए निहायत स्वाभाविक बात है, जिसकी बुनियादी दिलचस्पी का सबब कहानी ही है : कहानी का निहितार्थ नहीं।
कृष्ण बलदेव वैद हमारे समय के ऐसे इने-गिने मूल्यवान और महत्त्वपूर्ण लेखकों में अग्रगण्य हैं, कथा कहने और अपनी शर्तों पर कहने की जिनकी उमंग न थकी है, न चुकी। कथित आलोचकों के सामने झुकी तो वह ज़रा भी नहीं है। प्रयोग और नएपन के प्रति उनका स्वाभाविक उल्लास और अनुराग हिन्दी की याद रखने लायक़ घटना हैं, वह इसलिए भी कि हर दफ़ा अपने ही ढब-ढंग का कुछ अलग, कुछ नया रचना, उनकी लेखकीय फ़ितरत में कुछ उसी तरह शरीक है जैसे इधर कम से कमतर होते जा रहे ‘प्रयोगशील’ हिन्दी गल्प में ख़ुद कृष्ण बलदेव वैद।
‘कथासरित्सागर’ की कुछ प्रसिद्ध कहानियों का यह रोचक ‘विचलन’ एक दफ़ा फिर वैद जी के नवाचारी मन-मस्तिष्क की रोमांचक उड़ान का असन्दिग्ध साक्ष्य है।
Shreshtha Bal Kahaniyan part 4
- Author Name:
Prakash Manu
- Book Type:

- Description: A Collection of Hindi short stories for children, compiled and edited by Prakash Manu.
Dharmayudh
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है।
‘धर्मयुद्ध’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘धर्मयुद्ध’, ‘मनु की लगाम’, ‘विश्वास की बात’, ‘जनगणमन अधिनायक जय हे...’, ‘खतडुआ’, ‘मतिराम की बहादुरी’, ‘420’, ‘आत्मिक प्रेम’, ‘मंगला और डॉक्टर’।
Contemporary Indian Short Stories Series I
- Author Name:
Humayun Kabir
- Rating:
- Book Type:

- Description: This sheaf of fifteen short stories represents a cross-section of contemporary Indian Literature. Fourteen of them are translations. One each from fourteen modern languages of India and one is a specimen of Indian creative writing in English. Selected by the Sahitya Akademi's Advisory Boards of various languages, these stories provide fascinating glimpses into the panorama of Indian life, with its baffling variety, its rich contrast of the simple and sophisticated, the ancient and the modern. Here is evidence, if such were needed, that Indian literature is one of a stale uniformity but of a rich variety. This is the first volume of Sahitya Akademi's series of such representative anthologies in English of contemporary indian short stories. Second, third and fourth volume of stories written by different authors have also been published. Prof.Humayun Kabir has farwarded this volume.
Dus Numainda Kahaniya
- Author Name:
Pankaj Subeer
- Book Type:

- Description: collection of seven brilliant stories
Khachchar Aur Admi
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन: किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर ख़रा जीवन—ये कुछ मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है।
‘खच्चर और आदमी’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘वैष्णवी’, ‘मक्खी या मकड़ी’, ‘उपदेश’, ‘कलाकार की आत्महत्या आदमी या पैसा?’ ‘जीव दया’, ‘चोरी और चोरी’, ‘अश्लील!’, ‘सत्य का द्वन्द्व तथा खच्चर और आदमी’।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...