Kachhue
Author:
Intizar HussainPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
ुए’—यह इंतिज़ार साहब का बहुचर्चित कहानी-संग्रह है जिसमें ‘कछुए’ के अलावा दो और ऐसी कहानियाँ (पत्ते वापस) शामिल हैं जो भाषा, शिल्प और कथ्य, गरज़ कि हर पहलू से उस कहानी से अलग हैं जिसे हम प्रेमचन्द के ज़माने से आज तक पढ़ते आए हैं। वह कहानी अपने यथार्थवाद के लिए जानी गई और, समय-समय पर प्रयोग के तौर पर होनेवाले थोड़े-बहुत फेरबदल के साथ, उसका ज़ोर यथार्थ के यथासम्भव प्रामाणिक चित्रण पर ही रहा। इस संग्रह की ये चार, और इससे बाहर की इसी ढंग की कई अन्य कहानियाँ यथार्थ के दृश्य वैभव से बाहर की कहानियाँ हैं, वे समय और स्थान की निर्धारित सीमाओं को लाँघकर हमें एक ज़्यादा व्यापक अनुभव तक ले जाती हैं। इंतिज़ार हुसैन ख़ुद (अगर इनको किसी ख़ाने में रखना ही हो तो) इन कहानियों को ‘जातक कहानी’ नाम देते हैं। ‘मैं जातक कहानी लिखता हूँ। ये नई है या पुरानी, पता नहीं। इतना पता है कि सन् ’36 की हक़ीक़तनिगारी वाली कहानी से इसका कोई नाता नहीं हो सकता कि जातक कहानी हक़ीक़त के उस महदूद तसव्वुर की नफ़ी है जिस पर हक़ीक़तनिगारी की इमारत खड़ी है और उस इनसान दोस्ती की जो उस अफ़साने का ताज समझी जाती है। जातक कहानियाँ पढ़ने के बाद सन् ’36 की इनसान दोस्ती मुझे फ़िरक़ापरस्ती नज़र आती है। जातकों में आदमी कोई अलग फ़िरक़ा नहीं है। सब जीव-जन्तु एक बिरादरी हैं।’ (इसी संग्रह में शामिल ‘नए अफ़सानानिगार के नाम’ से) इनके अलावा बाक़ी की ज़्यादातर कहानियों (‘किश्ती’, ‘दीवार’, ‘रात’, ‘ख़्वाब’ और ‘तक़दीर’) में भी यह जातक-तत्त्व भरपूर ढंग से ज़ाहिर है, हालाँकि इनकी पृष्ठभूमि दूसरी है।
शेष कहानियों (‘क़दामत पसंद लड़की’, 31 मार्च, ‘नींद’, ‘असीर’, ‘शोर’ आदि) में भी यथार्थवादी और आधुनिक आग्रहों के अन्तर्विरोधों को रेखांकित करते हुए उनके हास्यास्पद बौनेपन को उकेरा गया है। ‘बेसबब’, ‘सुबह के ख़ुशनसीब’, ‘फ़रामोश’ और ‘बादल’ कुछ खेलती हुई-सी कहानियाँ हैं जो अपने विषय के साथ, बिना कोई जटिल मुद्रा बनाए, एक बेहद सहज और मानवीय विस्मय के साथ पेश आती
हैं।
निःसन्देह, इंतिज़ार हुसैन की जानी-पहचानी चुटीली-चटकीली कहन तो हर कहानी का हिस्सा है ही।
ISBN: 9788183611855
Pages: 132
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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