Tot Batot
Author:
Sufi TabassumPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
सूफ़ी तबस्सुम या पूरा नाम लिखें तो ग़ुलाम मुस्तफा तबस्सुम को कौन नहीं जानता। फ़ारसी के माने हुए आलिम (विद्वान), उम्दा शायर और शायरों के उस्ताद (कहा जाता है कि जब तक मुमकिन हो सका फ़ैज़ साहब अपना ताज़ा कलाम शाया होने के पहले सूफ़ी साहब को ज़रूर दिखा लेते थे) और फिर बच्चों के शायर, टूट बटूट की नज़्मों का सिलसिला लिखकर सूफ़ी साहब ने बच्चों ही नहीं बूढ़ों के दिलों में भी घर बना लिया था।</p>
<p>सूफ़ी तबस्सुम की नज़्में सिर्फ़ बच्चों की नज़्में हैं, उनमें उस्तादाना या मुरब्बियाना (उपदेशात्मक) रवैया नहीं इख़्तियार किया गया है बल्कि बच्चों की इन्फरादी हैसियत (व्यक्तिगत स्वतन्त्रता) को बरक़रार रखा गया है। उनमें अख्लाकी दर्स (नैतिकता की शिक्षा) तो क्या इस बात पर भी कुछ ज़ोर नहीं कि ये नज़्में बामानी हों। ये नज़्में हैं, दिल को बहलाने के लिए, ज़ुबान का लुत्फ लेने के लिए, बच्चों को ख़ुश करने के लिए।</p>
<p>—शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी
ISBN: 9789389577679
Pages: 102
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: भगवत रावत का काव्य-संसार विविधवर्णी और बहुआयामी है। वे हिन्दी के ऐसे कवि हैं जिन्होंने अपने आत्मीय देसी मुहावरे में कविता को सम्भव किया। छोटी कविताओं से लेकर अनेक लम्बी और प्रयोगमूलक कविताओं तक फैला हुआ उनका काव्य-फलक अत्यन्त व्यापक है। उनकी कविताओं का संसार हमारे समाज के निम्नवर्ग से लेकर मध्यवर्ग तक के उन अति साधारण लोगों की जीवन छवियों का ऐसा रचनात्मक दस्तावेज है जो दुनिया में बची हुई मनुष्यता का जीवन्त साक्ष्य है। यथार्थ की ठोस जमीन पर खड़ी उनकी कविता न तो किसी छद्म क्रान्ति का शंखनाद है, न सबकुछ के नष्ट हो जाने की उदासी और अवसाद। उनमें करुणा की ऐसी ऊर्जा है जिसमें जीवन की महक और उसकी खनक छिपी हुई है। भगवत रावत की कविता रूप और कथ्य के अनेक स्तरों से गुज़रती हुई अपना संसार रचती है। इस दृष्टि से उनकी लम्बी कविताएँ विशेष रूप से द्रष्टव्य हैं। इन कविताओं में उन्होंने बौद्धिकता और आधुनिक जीवन की जटिलताओं को आत्मसात् कर जो सहजता और आत्मीयता अर्जित की है, वह समकालीन हिन्दी कविता की विरल उपलब्धि है। ‘अम्मा से बातें’, ‘नकद उधार’, ‘जो भी पढ़ रहा या सुन रहा है इस समय’, ‘लड़का अजूबा’ से लेकर ‘सुनो हिरामन’ और ‘अथ रूपकुमार कथा’ आदि कविताएँ अपनी तरह के अकेले उदाहरण हैं। उनकी लम्बी कविता ‘कहते हैं कि दिल्ली की है कुछ आबोहवा और’ ने भी न सिर्फ़ साहित्यिक समाज बल्कि व्यापक पाठक समुदाय को आन्दोलित किया है। इन कविताओं को जाने-समझे बिना भगवत रावत के कवि स्वभाव को सम्पूर्णता में पहचानना शायद सम्भव नहीं होगा। यह संग्रह इस दृष्टि से भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
Agnirekha
- Author Name:
Mahadevi Verma
- Book Type:

- Description: ‘अग्निरेखा’ में महादेवी जी की अन्तिम दिनों में रची गई कविताएँ संगृहीत हैं, जो पाठकों को अभिभूत भी करेंगी और आश्चर्यचकित भी। आश्चर्यचकित इस अर्थ में कि महादेवी-काव्य में ओतप्रोत वेदना और करुणा का वह स्वर, जो कब से उनकी पहचान बन चुका है, यहाँ एकदम अनुपस्थित है। अपने आपको ‘नीरभरी दु:ख की बदली’ कहनेवाली महादेवी अब जहाँ ‘ज्वाला के पर्व’ की बात करती हैं, वहीं ‘आँधी की राह’ चलने का आह्वान भी। ‘वंशी’ का स्वर अब ‘पाञ्चजन्य’ के स्वर में बदल गया है और ‘हर ध्वंस-लहर में जीवन लहराता’ दिखाई देता है। अपनी काव्य-यात्रा के पहले महत्त्वपूर्ण दौर का समापन करते हुए महादेवी जी ने कहा था—‘देखकर निज कल्पना साकार होते; और उसमें प्राण का संचार होते। सो गया रख तूलिका दीपक-चितेरा।’ इन पंक्तियों में जीवन-प्रभात की जो अनुभूति है, वही प्रस्तुत कविताओं में ज्वाला बनकर फूट निकली है। अकारण नहीं कि वे गा उठी हैं—‘इन साँसों को आज जला मैं/लपटों की माला करती हूँ।’ कहना न होगा कि महादेवीजी के इस काव्यताप को अनुभव करते हुए हिन्दी का पाठक-जगत उसके पीछे छुपी उनकी युगीन संवेदना से निश्चय ही अभिभूत होगा।
Sampurna Soorsagar : Vols. 1-5
- Author Name:
Soordas
- Book Type:

- Description: अष्टछाप वाले प्रसिद्ध सूरदास, महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्य थे। यह जन्मान्ध थे जो दिल्ली और मथुरा के बीच जनमेजय के नागयज्ञ स्थल पर सीही में पैदा हुए थे। इनका जीवन-काल सम्भवत: सं. 1535 से 1640 वि. है। यह परसौली में रहते थे और गोवर्धनगिरि पर स्थापित श्रीनाथ जी के मन्दिर में कीर्तन किया करते थे। यह स्वयं 'सूरसागर' कहे जाते थे और इनके कीर्तन पदों का संग्रह भी 'सूरसागर' कहलाया। इसमें केवल 'कृष्णलीला' के पद हैं। यह कृष्ण लीलात्मक ‘सूरसागर’ है। इसके प्रथम खंड में विनय के पद, गोकुल लीला एवं वृंदावन लीला के कुल 1100 पद हैं। डॉ. के इस महा कार्य ने सूर सम्बन्धी समय-समय पर उठी सभी समस्याओं का समाधान कर दिया है। एक अनुपम और अद्वितीय टीका के साथ बेहद महत्त्वपूर्ण कृति।
Aapai Aapan Paar
- Author Name:
Anamika
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- Description: हूँ न मैं हूँ धीरे-से इतना बस / थकी हुई चिड़िया से कहता है / पानी में फूला हुआ दाना।अनुभूति के बहुस्तरीय सच को कविता में पूरा-पूरा कह सकने वाली, हमारे समय की समर्थ कवि अनामिका की प्रेम कविताओं का यह संग्रह ‘आपै आपन पार’ प्रेम का जैसे एक सम्पूर्ण पाठ है। ‘लरिकाई को प्रेम’ से चलकर ‘वार्धक्य में प्रेम की दस्तक’ और घनानंद से लेकर आज के तकनीक-समृद्ध समय तक फैला प्रेम का यह आख्यान प्रेम के अनेक पड़ावों से गुज़रता है और जीवन के इस आधारभूत तत्त्व को हिंसाओं और अतिक्रमणों की दलदल से निथारकर हमारे सामने मूर्त करता है, जिस दलदल और जिस शोर को हमने शायद प्रेम की चुनौती से भागने के लिए ही रचा है। प्रेम जो अगर बुलाता है, तो परीक्षा भी लेता है, कसौटी भी बनता है प्रेमी के समर्पण की, उसकी; सीमाओं को बताते हुए, कहते हुए कि और बड़े होकर आओ; और परिष्कृत, और ज्यादा मनुष्य। वह चाहता है कि मनुष्य विभाजनों से ऊपर उठे, समाज के भी और मन के भी। इन कविताओं में प्रेम की पीड़ा भी है, आकांक्षा भी है, लोक और साहित्य में रची-बसी प्रेम की छवियाँ भी हैं, परम्परा और आधुनिकता के बीच जो पुल प्रेम बनाता है, वह भी है। कहना अतिशयोक्ति न होगी कि ‘आपै आपन पार’ से गुज़रना प्रेम के एक समूचे अनुभव से गुज़रना है और उसके विमर्श से भी। कविताओं के साथ इस पुस्तक में प्रेम-कविता को लेकर एक ‘उपरान्त कथन’ भी है जो हिन्दी और विश्व-साहित्य में प्रेम की अभिव्यक्ति पर विहगावलोकन करते हुए प्रेम के सूक्ष्म का अन्वेषण समय और भूगोल के एक बड़े वृत्त में करता है|
Sadi Patthron Ki
- Author Name:
Narendra Maurya
- Book Type:

- Description: Book
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