Kali Kitab
Author:
Abid SurtiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
शैतान का दावा है कि मेरा रास्ता ही सर्वोपरि कल्याणकारी है। उसका कहना है कि जो जितना ही ईश्वर-भक्त है—सत्य, ज्ञान, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलनेवाला—वह उतना ही दुखी, पीड़ित, त्रस्त और दरिद्र है; लेकिन जो जितना ही मेरे रास्ते पर चलने वाला है, वह उतना ही सुखी और समृद्ध!...और अब, जबकि हर व्यक्ति सुख-समृद्धि के लिए पगलाया घूम रहा है, क्या हमें शैतान की राह पर ही चलना होगा?</p>
<p>सुप्रसिद्ध लेखक, कार्टूनिस्ट और चित्रकार आबिद सुरती की यह बहुचर्चित व्यंग्य-कृति, जिसे</p>
<p>उन्होंने शैतान की रचना कहा है, बहुत ही अनूठे तरीक़े से हमारी आज की दुनिया पर शैतानी गिरफ़्त का प्रमाण पेश करती है। इससे गुज़रते हुए हम न सिर्फ़ मानव-सभ्यता के पुराकालीन जीवनादर्शों के छद्म को उजागर होता हुआ देखते हैं, बल्कि अपने नग्न और मूल्यहीन वर्तमान को भी आश्चर्यजनक ढंग से पहचान जाते हैं। वस्तुतः यह किताब ‘काली’ ही इसलिए है कि इसका हर पन्ना हमारी परम्परागत दृष्टि को अपनी उज्ज्वल चमक से चौंधियाने की ताक़त रखता है।
ISBN: 9788171780662
Pages: 88
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Bhagwaticharan Verma
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- Description: चित्रलेखा’ न केवल भगवतीचरण वर्मा को एक उपन्यासकार के रूप में प्रतिष्ठा दिलानेवाला पहला उपन्यास है, बल्कि हिन्दी के उन विरले उपन्यासों में भी गणनीय है, जिनकी लोकप्रियता बराबर काल की सीमा को लाँघती रही है। ‘चित्रलेखा’ की कथा पाप और पुण्य की समस्या पर आधारित है। पाप क्या है? उसका निवास कहाँ है? —इन प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए महाप्रभु रत्नाम्बर के दो शिष्य, श्वेतांक और विशालदेव, क्रमशः सामन्त बीजगुप्त और योगी कुमारगिरि की शरण में जाते हैं। इनके साथ रहते हुए श्वेतांक और विशालदेव नितान्त भिन्न जीवनानुभवों से गुज़रते हैं। और उनके निष्कर्षों पर महाप्रभु रत्नाम्बर की टिप्पणी है, "संसार में पाप कुछ भी नहीं है, यह केवल मनुष्य के दृष्टिकोण की विषमता का दूसरा नाम है। हम न पाप करते हैं और न पुण्य करते हैं, हम केवल वह करते हैं जो हमें करना पड़ता है।
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