Yogeshwar
Author:
Shakuntala MishraPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 480
₹
600
Unavailable
योगेश्वर अर्थात श्रीकृष्ण के अनेक रूप जनमानस में अंकित हैं—माखन-चोर से लेकर गीता-उपदेशक तक जिन्हें भारतवासियों ने कई कोणों से देखा और प्रेम किया। यह आख्यान उन्हीं श्रीकृष्ण को एक समग्र व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करने का कथात्मक प्रयास है। उनके वंश-इतिहास और जीवन की हर घटना के साथ। कथाकार का मानना है कि कृष्ण के चरित्र को पूरी तरह समझने के लिए हमें चमत्कारों और भावुकता की मन:स्थिति से निकलकर उन्हें एक ऐसे युगपुरुष के रूप में देखना होगा जिसके जीवन का हर क्षण मानवता के लिए एक बहुमूल्य सन्देश है। यह कथा कृष्ण के माता-पिता और उनके भी पूर्वजों की पृष्ठभूमि के वर्णन से आरम्भ होती है जिसमें देवकी और वसुदेव के तप, उनके सुदीर्घ कष्ट और कंस द्वारा उनके छह पुत्रों की हत्या के लोमहर्षक विवरण हमें देखने को मिलते हैं। कृष्ण के बाल्यकाल और छात्र-जीवन को भी कथाकार ने विभिन्न स्रोतों के आधार पर यहाँ पुनर्सृजित किया है। कृष्ण के जीवन में आए विभिन्न पात्रों के माध्यम से चलती यह कथा भगवान श्रीकृष्ण को एक सम्पूर्ण मनुष्य के रूप में स्थापित करती है—एक ऐसा मनुष्य जो एक समय इस पृथ्वी पर अपने दुर्लभ और असाधारण गुणों के साथ उपस्थित था।
ISBN: 9789391950866
Pages: 414
Avg Reading Time: 14 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Best Manager
- Author Name:
Arjun Thiagaraj
- Book Type:

- Description: If you consider the past as one's Eligibility, every one of us sitting here is good for nothing" When it comes to relationships, which quality do you look for?? Beauty? Wealth? Fame? Being together, thinking of your partner each moment, late night chat, spying on them, sex, conflict with your parents, that courageous decision to leave your respective houses... Love may not always be about the usual scenes mentioned above... Love can wait, love can accept the faults, passion can uphold your morale and moral values in your life, and love can change even the custom in a society... The story of Sree Venugopal and veena started during a competition ’best manager' and extended to the most significant competition human have ever played... The life. Were they the best managers???.
Sone Ka Quila
- Author Name:
Satyajit Ray
- Book Type:

-
Description:
सत्यजित राय ने इस उपन्यास में अपने किशोर पाठकों को बंगाल से राजस्थान तक की यात्रा कराई है—कलकत्ता से जैसलमेर तक की यात्रा। यह उपन्यास एक ऐसे किशोर बालक मुकुल की कथा है जिसे पूर्व जन्म की बातें याद रहती हैं। साथ ही यह एक ऐसे जासूस की कथा है जिसे इस प्रकार के सारे रहस्य खोज निकालने का शौक़ है। अपनी इस विद्या में वह पूरी तरह निपुण है। ये जासूस फेलूदा हैं जिनका पूरा नाम है प्रदोष मित्तिर।
मुकुल के पूर्व जन्म की बातों की खोज करने निकले फेलूदा। मुकुल के पूर्व जन्म में एक सोने का क़िला था, एक जगह कहीं गड़ा ख़ज़ाना और उसके घर के पास ही कहीं लड़ाई चल रही थी। फेलूदा यह सब खोजते-खोजते कलकत्ता से जैसलमेर पहुँच गए। सोने का क़िला व गड़ा ख़ज़ाना कइयों को ललचा गया था। गड़ा ख़ज़ाना कौन खोज निकाले और कौन उस पर क़ब्ज़ा करे, इस पर दूसरी दौड़ भी शुरू हो गई थी। फेलूदा जानते थे कि लोग उनका पीछा करेंगे। वे सतर्क थे। पीछा करनेवाले बदमाशों ने बड़ा जाल रचा, मगर फेलूदा मात खानेवाले नहीं थे। पक्के जासूस थे।
सत्यजित राय का यह किशोर उपन्यास पाठकों को ख़ूब मज़े से राजस्थान के कई शहर किसनगढ़, बीकानेर, जोधपुर, पोखरण, रामदेवरा और फिर जैसलमेर दिखाता है।
‘सोने का क़िला’ सत्यजित राय के चार किशोर उपन्यासों में से एक है। इस उपन्यास के चित्र भी उन्होंने स्वयं बनाए हैं।
Tirohit
- Author Name:
Geetanjali Shree
- Book Type:

-
Description:
गीतांजलि श्री के लेखन में अमूमन, और ‘तिरोहित’ में ख़ास तौर से, सब कुछ ऐसे अप्रकट ढंग से घटता है कि पाठक ठहर–से जाते हैं। जो कुछ मार्के का है, जीवन को बदल देनेवाला है, उपन्यास के फ्रेम के बाहर होता है। ज़िन्दगियाँ चलती–बदलती हैं, नए–नए राग–द्वेष उभरते हैं, प्रतिदान और प्रतिशोध होते हैं, पर चुपके–चुपके। व्यक्त से अधिक मुखर होता है अनकहा। घटनाक्रम के बजाय केन्द्र में रहती हैं चरित्र–चित्रण व पात्रों के आपसी रिश्तों की बारीकियाँ।
पैनी तराशी हुई गद्य शैली, विलक्षण बिम्बसृष्टि और दो चरित्रों—ललना और भतीजा—के परस्पर टकराते स्मृति प्रवाह के सहारे उद्घाटित होते हैं ‘तिरोहित’ के पात्र : उनकी मनोगत इच्छाएँ, वासनाएँ व जीवन से किए गए किन्तु रीते रह गए उनके दावे।
अन्दर–बाहर की अदला–बदली को चरितार्थ करती यहाँ तिरती रहती है एक रहस्यमयी छत। मुहल्ले के तमाम घरों को जोड़ती यह विशाल खुली सार्वजनिक जगह बार–बार भर जाती है चच्चो और ललना के अन्तर्मन के घेरों से। इसी से बनता है कथानक का रूप। जो हमें दिखाता है चच्चो/बहन जी और ललना की इच्छाओं और उनके जीवन की परिस्थितियों के बीच की न पट सकनेवाली दूरी। वैसी ही दूरी रहती है इन स्त्रियों के स्वयं भोगे यथार्थ और समाज द्वारा देखी गई उनकी असलियत में।
निरन्तर तिरोहित होती रहती हैं वे समाज के देखे जाने में। किन्तु चच्चो/बहन जी और ललना अपने अन्तर्द्वन्द्वों और संघर्षों का सामना भी करती हैं। उस अपार सीधे–सच्चे साहस से जो सामान्य ज़िन्दगियों का स्वभाव बन जाता है। गीतांजलि श्री ने इन स्त्रियों के घरेलू जीवन की अनुभूतियों—रोज़मर्रा के स्वाद, स्पर्श, महक, दृश्य—को बड़ी बारीकी से उनकी पूरी सैन्सुअलिटी में उकेरा है।
मौत के तले चलते यादों के सिलसिले में छाया रहता है निविड़ दु:ख। अतीत चूँकि बीतता नहीं, यादों के सहारे अपने जीवन का अर्थ पानेवाले ‘तिरोहित’ के चरित्र—ललना और भतीजा—अविभाज्य हो जाते हैं दिवंगत चच्चो से। और चच्चो स्वयं रूप लेती हैं इन्हीं यादों में।
Hemant Ka Panchhi
- Author Name:
Suchitra Bhattacharya
- Book Type:

-
Description:
क़ामयाब पति, दो-दो बुद्धिमान बेटे और अपनी घर-गृहस्थी में डूबी अदिति, उम्र के चालीसवें के मध्य तक पहुँचते-पहुँचते अचानक महसूस करती है कि वह भयंकर अकेली है। पति अपनी नौकरी में व्यस्त है, दोनों बेटे भी अपने-अपने आकाश में पंख फैलाए उड़ने लगे हैं। अकेली अदिति अब अपने दिन या तो अपने आपसे या पिंजरे की मैना से बातें करती हुई गुज़ारती है। उन्हीं दिनों उसकी ज़िन्दगी में हेमेन मामा दाख़िल होते हैं, उन्हीं की प्रेरणा से जाग उठती है—एक नई अदिति धीरे-धीरे वह अपनी रची-गढ़ी दुनिया में मग्न हो जाती है। ब्याह से पहले वह लेखन के क, ख, ग से परिचित हो चुकी थी। अब वह दुबारा लिखना शुरू करती है। अब जब वह अपने पति, सन्तान और गृहस्थी को नई निगाह से तौलना-परखना शुरू कर देती है, तो शुरू होता है—ज़बर्दस्त टकराव। भयंकर दर्द के काले बादल घिर आते हैं।
अदिति क्या सिर्फ़ सुप्रतिम की पत्नी-भर है? मात्रा बच्चों की माँ है? वह क्या सिर्फ़ ख़ून-मांस की मशीन-भर है, जिससे सिर्फ़ यह अपेक्षित है कि बेहद सहज-स्वाभाविक तरीक़े से गृहस्थी की गाड़ी आगे बढ़ाती रहे? इस दायरे से बाहर क्या अदिति का कोई अस्तित्व नहीं?
सुचित्रा भट्टाचार्य की सशक्त क़लम ने ‘हेमन्त का पंछी’ में औरत के इसी सच की बेचैन तलाश को उकेरा है।
Tantya
- Author Name:
Baba Bhand
- Book Type:

-
Description:
टंट्या भील मध्यभारत में उन्नीसवीं सदी के महान आदिवासी जननायक के रूप में जाना जाता है। बचपन तथा युवावस्था में टंट्या को असहनीय यातनाओं से गुज़रना पड़ा। टंट्या की समझ में नहीं आ रहा था कि उसे, उसके परिवार और समाज को बदहाली, अन्याय और शोषण का शिकार क्यों होना पड़ा। धीरे-धीरे वह सोचने लगा, इसी सोच ने उसे अन्याय और शोषण के विरुद्ध संघर्ष की प्रेरणा दी। उसने सामन्ती व्यवस्था तथा उस व्यवस्था की रक्षा करनेवाली ब्रिटिश राजसत्ता को गम्भीर चुनौती दी। दलितों-शोषितों और आम आदमी ख़ासकर सर्वहारा किसानों-मज़दूरों का पक्ष लेकर उन्हें इस महासंग्राम में शामिल करने के लिए टंट्या ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी। प्रचलित नीतिमूल्यों को नज़रअन्दाज़ कर गहरे मानवीय मूल्यों पर उसने अपने संघर्ष की नींव रखी। सरकार की नज़र में वह डकैतों का सम्राट था, लेकिन लोकमानस में वह ईश्वरीय अंश धारण करनेवाला जननायक माना गया। वह आज भी लोकमानस में मिथक के रूप में अमर है।
टंट्या जैसे अलौकिक जननायक पर उपन्यास लिखने का प्रयास कठिन कर्म है। टंट्या की जीवनगाथा मिथकों और लोककथाओं में इस क़दर घुल-मिल गई है कि रहस्य तथा चमत्कार को यथार्थ से अलग करना असम्भव-सा था, लेकिन उपन्यासकार ने अपने प्रामाणिक शोध के ज़रिए और रचनात्मकता के सहारे जीवन-चरित्र के यथार्थ को उजागर करने का प्रयास किया है। यह ग़ौरतलब है कि लोकप्रिय या सरलीकृत वर्णन की फिसलन इस उपन्यास में नहीं दिखती। अनावश्यक भावुकता से बचाव, चिन्तनशीलता, संयत भाषिक अभिव्यक्ति, गहन मानवीय अन्तर्दृष्टि, इतिहास और समकालीनता के बीच जटिल अन्तर्सम्बन्धों का अहसास आदि कई विशेषताओं के कारण यह उपन्यास सर्जन के सहारे इतिहास की पुनर्रचना का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ बन गया है। उपन्यासों के भारतीय परिदृश्य में बाबा भांड की यह कृति निस्सन्देह महत्त्वपूर्ण है तथा प्रो. निशिकान्त ठकार जैसे अनुवादक के हाथों से हुआ इस कृति का अनुवाद पाठकों के लिए मूल्यवान उपलब्धि है।
—प्रो. चन्द्रकान्त पाटील
Ahasas-E-Ishtiyara
- Author Name:
Tanuj Kumar
- Book Type:

- Description: इस काव्य-संकलन के माध्यम से रचनाकार तनुज कुमार ने जीवन के भिन्न-भिन्न आयामों को शायरी, गजलों एवं कविताओं द्वारा अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। रचनाकार ने अहसासों एवं हालातों को कलम के जरिए मूर्त रूप दिया है, ताकि इसे पढक़र आम जनमानस अपने अंदर छिपी हुई भावनाओं को स्वत: अनुभव कर सके। रचनाकार ने भाषाई सीमाओं को लाँघते हुए हिंदी, उर्दू, अरबी, फारसी एवं अंग्रेजी के शब्दों का न्यायोचित उपयोग करते हुए अपनी रचनाओं को प्रभावशाली एवं दिल को छूने वाली बनाया है। इस कविता-संग्रह के माध्यम से रचनाकार ने अपने निजी अनुभवों को सर्वमान्य बनाने का प्रयास किया है। पुस्तक ‘अहसास-ए-इश्तियारा’—जैसा नाम से विदित है—में रचनाकार ने इनसानी अहसासों को रूपक के माध्यम से रेखांकित किया है, जिसमें जीवन के कटु अनुभवों, सामाजिक व्यवस्थाओं एवं प्रेमानुकूल भावनाओं का यथासंभव चित्रण किया है। इस पुस्तक की कई रचनाएँ एक तरफ जहाँ हमें भाव-विभोर करती हैं, वहीं दूसरी तरफ आत्मचिंतन को भी विवश कर देती हैं। सुधी पाठकगण जब लेखक की रचनाओं का पठन करेंगे तो निश्चित तौर पर कोई अपने बिछड़े प्रेम को याद करेगा तो कोई अपने साथ हुए अन्याय को याद करेगा तो किसी के अंदर नई ऊर्जा का प्रादुर्भाव होगा।
Chhal
- Author Name:
Achala Nagar
- Book Type:

-
Description:
रेडियो नाटक, फ़िल्मों और धारावाहिक आदि माध्यमों की विख्यात सृजनकर्मी अचला नागर का यह पहला उपन्यास है। इस उपन्यास में उन्होंने परिवार और व्यवसाय की एक सहयोगी संरचना को आधार बनाते हुए एक ओर पीढ़ियों के संघर्ष को रेखांकित किया है, तो दूसरी तरफ़ विश्वास और भरोसे पर जीवित शाश्वत मूल्यों को प्रतिष्ठित किया है।
कथा के केन्द्र में एक व्यवसायी परिवार है जिसने व्यवसाय का एक सहयोग-आधारित ढाँचा खड़ा किया है, जहाँ व्यवसाय के सब फ़ैसले सहयोगियों की राय से लिए जाते हैं, लेकिन नई पीढ़ी के कुछ लोगों को यह तरीक़ा बहुत रास नहीं आता जिसका परिणाम परस्पर छल, अविश्वास और पारिवारिक मूल्यों के विघटन में होता है। लेकिन जल्दी ही उन्हें अपनी भूल का अहसास होता है, और परिवार तथा परस्पर सौहार्द के जिस ढाँचे पर ग्रहण लगने लगा था, वह वापस अपनी आभा पा लेता है।
उपन्यास की विशेषता इसका कथा-रस है जो इधर के उपन्यासों में अक्सर देखने को नहीं मिलता। बिना किसी चमत्कारी प्रयोग के कथाकार ने सरल ढंग से अपनी कहानी कहते हुए अपने यथार्थ पात्रों को साकार और जीवित कर दिया है।
Aadividrohi
- Author Name:
Howard Fast
- Book Type:

-
Description:
ईसा पूर्व 73 के आसपास रोम में हुए ग़ुलाम-विद्रोह की यह महागाथा ‘आदिविद्रोही’ स्वतंत्रता, प्रेम, उम्मीद और जिजीविषा की अपूर्व कथा है। इस विद्रोह का नेतृत्व ग़ुलामों के परिवार में ही जन्मे स्पार्टकस ने किया था। यह वह दौर था जब ग़ुलामी की प्रथा अपने शिखर पर थी और मनुष्यता का विशाल हिस्सा मुट्ठीभर उच्च वर्ग की सेवा और मनोरंजन का साधन भी था। तत्कालीन रोम के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक जीवन में ग़ुलामी की यह प्रथा कैसे काम करती थी, इसका अनुमान तो इस ऐतिहासिक उपन्यास से होता ही है; ग़ुलामों का अपना जीवन कैसा था; ग़ुलाम पुरुषों और स्त्रियों को पराधीनता की मानसिक यंत्रणा के अलावा शारीरिक तौर पर भी क्या कुछ झेलना पड़ता था, यह भी इससे समझा जा सकता है।
लेकिन उपन्यास का केन्द्रीय पात्र स्पार्टकस ही है जिसे कापुआ के अमीर लानिस्ता लेन्टुलस बाटियाटस ने ग्लैडिएटर के रूप में तैयार किया और जिसने आगे जाकर अपनी और अपने साथी ग़ुलामों की आज़ादी के लिए एक ऐतिहासिक विद्रोह को अंजाम दिया। स्वाधीनता, समानता और मुक्त विवेक के पैरोकार हावर्ड फ़ास्ट ने अपनी कृतियों में हमेशा ही साधारण जन की अन्तर्निहित शक्ति को पहचानते हुए ऐसी कथाओं की रचना की जो मानवता के भविष्य को लेकर उम्मीद पैदा करती है।
1951 में लिखे गए इस उपन्यास के विषय में यह जानना भी रोचक होगा कि तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों के चलते उस समय अमेरिका के किसी प्रकाशक ने इसे छापने का साहस नहीं दिखाया था, लेखक ने इसे अपने परिचितों और पाठकों की सहायता से स्वयं प्रकाशित किया था। बाद में यह फ़िल्मों और टीवी धारावाहिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना।
Main Aur Wah
- Author Name:
Asha Prabhat
- Book Type:

- Description: प्रभात का यह उपन्यास एक औरत का ख़ुद को पहचानने और अपनी ख़ुदी को बरकरार रखने की अद्भुत संघर्ष-गाथा है। इसमें बाहरी और अंदरूनी स्तर पर घटनाएँ कुछ इस कदर शाइस्तगी से घटती हैं कि पाठक चौंकता है और ठहरकर सोचने पर विवश हो जाता है। इस उपन्यास में सदियों से प्रतीक्षारत इस सवाल का उत्तर तलाशने की एक पुरज़ोर कोशिश की गई है कि पति, पत्नी और वह के प्रेम त्रिकोण वाले सम्बन्धों में सबसे कमज़ोर स्थिति किसकी होती है? अपने स्वत्व की तलाश में जुटी स्त्रियों के भटकाव की परिणति से अवगत कराता यह उपन्यास स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की बारीकी से पड़ताल करता है। लेखिका ने औरत से व्यक्ति बन जाने की जद्दोजहद को बहुत ही सहज भाषा में अभिव्यक्त करने का उपक्रम किया है। कथा-प्रवाह और पठनीयता की दृष्टि से भी यह एक उल्लेखनीय कृति ह
Dastan-E-Laapata
- Author Name:
Manzoor Ehtesham
- Book Type:

-
Description:
किसी भी व्यक्ति के निजी और आत्मीय संसार में उसके समय की राजनीति और हालात किस तरह सेंध लगा सकते हैं, इसका एक बेचैन कर देनेवाला दस्तावेज़ है, सुपरिचित कथाकार मंज़ूर एहतेशाम का बहुचर्चित उपन्यास ‘दास्तान-ए-लापता’।
दरअसल संसार लोगों का ही नहीं, ‘लापताओं’ का भी मंच है। अन्य प्रजातियों की तरह यहाँ ‘लापता’ भी जन्म लेते हैं, बड़े होते हैं और आख़िर थककर अपने अन्त को प्राप्त होते हैं।
‘दास्तान-ए-लापता’ दास्तान है ज़मीर अहमद ख़ान की, जिसने ज़िन्दगी की शुरुआत में बहुत विश्वास से कहा था, ‘‘मुझे सच्चा प्यार चाहिए, बस।’’ और यह भी कि ‘‘मैं उसे हासिल करके दिखाऊँगा!’’ ‘दास्तान-ए-लापता’ इस क्रूर दुनिया में उसके बड़े होने का दस्तावेज़ है। ‘दास्तान-ए-लापता’ ज़मीर अहमद ख़ान सहित उन सब लोगों की कहानी है जो जाने-अनजाने किसी परिवार या व्यवस्था की परिधि से छूट जाते हैं। ‘दास्तान-ए-लापता’ उन लोगों की कथा है जो चाहते हुए भी अन्धी दौड़ का हिस्सा नहीं बन पाते, जो हर बार अपने अन्तर्विरोधों के साथ सिर्फ़ अपने भीतरी तहख़ानों में उतर पाते हैं। यह उन लोगों की कथा है जो ज़िन्दगी की हर असफलता में अतीत के शाप सुनते हैं, जो अपनी छोटी-छोटी बेईमानियों को आत्मा में पैबन्द की तरह लगाकर चलते हैं और एक दिन सबके देखते-देखते अपने भीतर लापता हो जाते हैं।
कथानक में पीड़ा की एक धुँधली लकीर बराबर चलती है। अपने देश-काल से असुविधाजनक सवाल पूछते-पूछते यह लकीर मंज़ूर एहतेशाम के पिछले उपन्यास ‘सूखा बरगद’ से ‘दास्तान-ए-लापता’ तक अनायास खिंच आई है। हालाँकि यहाँ पाठक को भ्रमित करने के लिए सांसारिक घटनाक्रम है, परिवारों और व्यक्तियों का सनकीपन है, फिर भी लेखक का कोई भी शिल्पगत प्रयोग इस लकीर को पूरी तरह ढक नहीं पाता।
एक तरह से ‘दास्तान-ए-लापता’ मंज़ूर एहतेशाम के पिछले उपन्यास ‘सूखा बरगद से’ प्रस्थान है। जहाँ इससे पहले लेखक का सरोकार एक अल्पसंख्यक समाज था, वहाँ इस बार अल्प या बहुसंख्यक की परिभाषा को बेमानी करता एक अकेला आदमी है, जो परिधि से बाहर की ओर चल निकला है, एक क्रमशः अदृश्य होता आदमी, जो लोप होने से पहले इस कथानक के परिदृश्य में अपने पदचिह्न छोड़ता है, अपनी सुप्त पीड़ा के साथ, शायद आख़िरी बार...
His Flawless Love
- Author Name:
Pragna Rao
- Book Type:

- Description: Marriage! Is it a tradition? A legal agreement? A biological need? Or something besides all these? Tragedy strikes Isha’s life when she loses her fiancée to destiny. But happiness comes back into her life in the form of a good man who becomes her husband. However, the struggles of her memories and present situation go on, taking a toll on her new married life. Unable to carry on, she separates from her husband. And yet, the distance between them reminds her of her husband's unconditional love. She understands the significance of the marital vows and returns to be his best companion. Though destiny unceasingly challenges her, it also makes her stronger. Who wins the battle ultimately? Destiny or love?
Mithila
- Author Name:
Amrit Tripathi
- Book Type:

- Description: मिथिला और कुसुमाकर के अधूरे प्रेम की कहानी है। उनमें भी मिथिला की ज़्यादा, कुसुमाकर की कम। एक पारम्परिक, संस्कारी परिवार की संगीत-प्रेमी मिथिला अन्तत: इस संसार से उस प्रेम के बिना ही विदा हो गई जिस प्रेम की प्यास उसकी आत्मा तक भरी हुई थी। संगीत में गहरी रुचि का धनी कुसुमाकर जीवन की आवश्यकताओं के मद्देनज़र पहले उससे दूर चला जाता है, उसे ख़्याल भी नहीं आता कि जिस मिथिला को वह अपने ऑटोग्राफ़ देकर चला आया है, वही एक दिन उसके जीवन में लौटेगी। वह लौटी और उसकी अतृप्त रूह का एकमात्र आसरा बन गई, पर तब तक वह किसी और की हो चुकी थी। कोई ऐसा व्यक्ति उसके जीवन का कर्णधार हो गया था जो उसके मन को नहीं समझता था। लेकिन जो उसे आपादमस्तक समझता-जानता था, क्या वह उसका हो सकता था? नहीं। अन्तत: वही हुआ। मृत्यु-शैया पर लेटी हुई मिथिला ने उसे अपना अन्तिम पत्र लिखा, और उसके प्रति अपनी आत्मा में बसे प्यार को स्वीकार करते हुए बताया कि वह जा रही है, उस अज्ञात की ओर जहाँ हो सकता है वे कभी मिलें, या हो सकता है कभी नहीं मिलें। गहरे प्रेम से पगी इस प्रेम-कथा को पढ़ना अधूरी और अतृप्त रूहों से भरे हमारे वर्तमान को एक राहत देता है, और हमें सोचने पर भी विवश करता ह
Flamingos Beyond Pink
- Author Name:
Kanika Israni Karda
- Rating:
- Book Type:

- Description: What would you do if your new beginning seems to be the end of something precious, if you lose the only person you’ve ever had as family, if the cost of the love you seek is compromising on who you are? Kavya On some days in your life, you don’t get a say in what happens to your dreams, you just have to swallow the lump in your throat and the pain in your heart and just let life lead you to the place it’s meant to. Maahi The most basic thing about tragedy is, that it stuns you into the kind of grief, that your entire life, the things that mattered to you, the things that used to upset you, concern you or made you happy seem like a huge bunch of lies. Ananya I believe there is a certain point in a person’s life, where they sincerely, almost desperately wish for a magic wand or a mystical creature to shed some light on what went wrong. A state where your entire world is overshadowed by the fact that you failed. And while, no one openly blurts it out on your face, you can feel it by the way people look at you. On a sudden trip to Srinagar, they find each other. Will they be able to find themselves? Flamingos Beyond PINK is a striking tale of self-discovery, heartbreak, longing, friendship and courage. The courage it takes to become who you are.
Pret Aur Chhaya
- Author Name:
Ilachandra Joshi
- Book Type:

- Description: अज्ञात चेतना का मनोविज्ञान अभी तक शैशव अवस्था से आगे नहीं बढ़ पाया है। यूरोप के मनोवैज्ञानिकों ने इस ओर क़दम बढ़ाया है, पर अभी तक वे प्रारम्भिक सीढ़ी भी तय नहीं कर पाए हैं। मेरे मन में यह दृढ़ विश्वास है कि यह सब विद्वानों का मूलगत विज्ञान भारतीय क्षेत्र में ही चरम उन्नति प्राप्त कर सकेगा। अन्तश्चेतना की रहस्यमयता की ओर भारतीय दार्शनिकों का झुकाव उपनिषदों के युग से लेकर आज तक बराबर जारी रहा है। उपनिषदों के युग में हमने उस अगाध रहस्यमयता का महान आभास पाया है। अब उसी रहस्योन्मुखता की प्रवृत्ति को नया रूप देकर अन्तर्दृष्टि और विवेक से पूर्ण समन्वय से हम भारतीयों को इस तथ्य के अनुसन्धान में जुट जाना होगा कि अज्ञात चेतना के पाताललोक में स्थित अतल नरक के विश्लेषण द्वारा बाह्य-जीवन-तत्त्वों के साथ उन नारकीय (किन्तु मूल) जीवन-तत्त्वों का समुचित समन्वय स्थापित करके मानव-जगत में किन उपायों से आपेक्षिक स्वर्ग की स्थापना की जा सकती है। इस ओर का कोई भी प्रयास, चाहे वह कैसा ही क्षीणतम और असंख्य दोषों से पूर्ण क्यों न हो, उपेक्षणीय नहीं होना चाहिए—स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्।
Wah Samay Yah Samay
- Author Name:
Krishna Sobti
- Book Type:

-
Description:
‘वह समय’—कृष्णा जी ने इस टुकड़े को यही नाम दिया था, जिसे ‘ज़िन्दगीनामा’ के दूसरे भाग का हिस्सा होना था। सम्बन्धों के सामाजिक तर्कों और नैतिक आग्रहों के ऊपर चलती दिलों की यह कहानी शाह जी और राबयाँ की है। शाह जी अपने आधे को पार कर चुके हैं और राबयाँ जवानी की सीढ़ियाँ चढ़ रही है—तुकें मिलाती है, कवित्त लिखती है, शाह जी उसके लिखे को दुरुस्त करते हैं, उसे पढ़ाते-सिखाते हैं। इसी में उम्र, मज़हब और परिवारों की हदों से ऊपर उठ दोनों कहीं जुड़ जाते हैं...और उस दिन जब कचहरी से लौटते हुए शाह जी बाढ़ में घिर जाते हैं, राबयाँ अपनी छत से उन्हें देखती है और उन्हें बचाने पानी में कूद जाती है...दोनों को ढूँढ़ लिया जाता है, लेकिन शाह जी फिर लौट नहीं पाते, चले ही जाते हैं, और राबयाँ उनके पीछे... यह कहानी इश्क़ की है, इश्क़ की रूहानियत की, ...कृष्णा सोबती की क़लम ही इसकी पवित्रता को इतने सुच्चेपन से आँक सकती थी!
इस जिल्द में मौजूद दूसरी कृति का सम्बन्ध इस समय से है—आज की दिल्ली से। रियल एस्टेट के मगरमच्छों के हत्थे चढ़े एक युवक की यह कहानी पैसे के उथले दलदल में छपछपाते उस तबक़े के बारे में बताती है, जिसके लिए सबसे पहला और सबसे आख़िरी मूल्य पैसा ही है। यह भी कि गाँवों-क़स्बों से रोटी-रोज़गार की तलाश में आए लोगों को यह दलदल कैसी सफ़ाई से अपनी गिरफ़्त में ले लेता है!
Dukhgram
- Author Name:
Chandrakishore Jaiswal
- Book Type:

-
Description:
दुनिया में सुख भले ही सुलभ न हो, दुख खोजने कहीं जाना नहीं पड़ता। सबके अपने-अपने दुख हैं लेकिन सबसे ज्यादा दुखी हैं अमरनाथ बाबू जिनका पोता मयंक मन्दबुद्धि है, मानसिक विकलांग।
उनके लिए यह छोटी बात नहीं है। वे अपने पोते से गहरे जुड़े हैं। उनके लिए उसका ठीक होना ज़रूरी है जो सम्भव नहीं लग रहा। इसलिए वे दुस्वप्नों में रहते हैं। उन्हें हथियारबन्द हत्यारों के आगे भागते बच्चों की भीड़ दिखाई देती है। दुनिया-भर की सूचनाएँ उनके दुस्वप्नों में आकर जुड़ती जाती हैं, इतिहास के अनेक खून-सने अध्याय जहाँ विकलांग और अनचाहे बच्चों को मारा जाता है।
उनकी बेचैनी उस समय एक नई दिशा अख्तियार करती है जब वे देखते हैं कि सीरिया के एक बच्चे अयलान की सागर किनारे पड़ी निर्जीव देह का चित्र देखकर कैसे पूरा विश्व व्यथित हो उठा। तब आशंकाओं की छायाओं से निकलकर इसी दुनिया से उन्हें उम्मीद की किरणें दिखाई देने लगती हैं। वे दुनिया के दुखग्राम को सुखग्राम बनाने की ठान लेते हैं और इस मुहिम के लिए उन्हें सबसे भरोसेमन्द लगता है साहित्य, किताबें, लिखने और पढ़ने वाले। कहानीकार श्रीकान्त उनके हमराज हैं, जो इस नए सफ़र में भी उनके साथ होंगे।
वरिष्ठ कथाकार चन्द्रकिशोर जायसवाल का यह उपन्यास गहरे जुड़े दादा-पोता के बहाने दुनिया-भर में बच्चों के लिए खराब होते हालात का जायजा लेता है। भ्रूणहत्या से लेकर युद्धों तक बच्चों के लिए लगातार क्रूर होती जा रही दुनिया का हवाला देते हुए यह वस्तुत: सम्पूर्ण मनुष्यता के भविष्य की चिन्ता साझा करता है।
Bhoo-Devta
- Author Name:
Keshav Reddi
- Book Type:

- Description: तेलगू साहित्य में एक वाद के रूप में दलितवाद के स्थापित होने से पहले से ही केशव रेड्डी की कथा-रचनाओं में दलितों की समस्याओं का मार्मिक चित्रण अभिव्यक्त है। प्रस्तुत उपन्यास ‘भू-देवता’ एक किसान की मृत्यु और उसके पुनरुत्थान की गाथा है। उस किसान के प्रयत्न से लेकर उसकी विफलता तक की, असुरक्षा से उन्माद तक की और उन्माद से मृत्यु तक की यात्रा का यहाँ अंकन है। ‘भू-देवता’ का कथाकाल 1950 है। स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद जिस समय भारत नए सिरे से अपना स्वरूप गढ़ रहा था, उस समय की ये घटनाएँ हैं। लगभग 70 वर्ष पहले जिस प्रान्त में रोज़ ही अकाल तांडव करता रहता था, उस प्रान्त की दु:स्थिति का चित्रण केशव रेड्डी ने यहाँ बक्कि रेड्डी के माध्यम से किया है। ज़मीन और किसान का सम्बन्ध वही होता है जो मनुष्य और उसके प्राण का होता है। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि भूमिरहित किसान का जीवन कटी पतंग के समान होता है। भूमि को किसान से अलग करने पर हानि केवल किसान की ही नहीं होती, कृषि पर निर्भर बढ़ई, लोहार, राज-मज़दूर जैसे अनेक पेशों के लोगों की भी हानि होती है। यह समस्या भी केशव रेड्डी के इस उपन्यास में उभरकर आती है। राज्य खो गया, इस व्यथा से कोलंद रेड्डी और भूमि हाथ से छूट गई, इस व्यथा से बक्कि रेड्डी दोनों ही अन्तत: अपने प्राणत्याग करते हैं। निस्सन्देह किसानी जीवन की एक मार्मिक दास्तान है यह उपन्यास ‘भू-देवता’।
Bepanah Shaadmaani Ki Mumlikat (Urdu)
- Author Name:
Arundhati Roy
- Book Type:

-
Description:
अपार ख़ुशी का घराना’ हमें कई वर्षों की यात्रा पर ले जाता है। यह एक ऐसी कहानी है जो वर्षों पुरानी दिल्ली की तंग बस्तियों से खुलती हुई फलते-फूलते नए महानगर और उससे दूर कश्मीर की वादियों और मध्य भारत के जंगलों तक जा पहुँचती है, जहाँ युद्ध ही शान्ति है और शान्ति ही युद्ध है, और जहाँ बीच-बीच में हालात सामान्य होने का एलान होता रहता है।
अंजुम, जो पहले आफ़ताब थी, शहर के एक क़ब्रिस्तान में अपनी तार-तार कालीन बिछाती है और उसे अपना घर कहती है। एक आधी रात को फुटपाथ पर कूड़े के हिंडोले में अचानक एक बच्ची प्रकट होती है। रहस्यमय-सी। तिलोत्तमा उससे प्रेम करनेवाले तीन पुरुषों के जीवन में जितनी उपस्थित है, उतनी ही अनुपस्थित रहती है।
‘अपार ख़ुशी का घराना’ एक साथ दुखती हुई प्रेम-कथा और असंदिग्ध प्रतिरोध की अभिव्यक्ति है। उसे फुसफुसाहटों में, चीख़ों में, आँसुओं के ज़रिये और कभी-कभी हँसी-मज़ाक़ के साथ कहा गया है। उसके नायक वे लोग हैं जिन्हें उस दुनिया ने तोड़ डाला है जिसमें वे रहते हैं और फिर प्रेम और उम्मीद के बल पर बचे हुए रहते हैं। इसी वजह से वे जितने इस्पाती हैं उतने ही भंगुर भी, और वे कभी आत्म-समर्पण नहीं करते। यह सम्मोहक, शानदार किताब नए अन्दाज़ में फिर से बताती है कि एक उपन्यास क्या कर सकता है और क्या हो सकता है। अरुंधति रॉय की कहानी-कला का करिश्मा इसके हर पन्ने में दर्ज है।
Crush 2 : An Incomplete Heartbeat
- Author Name:
Samridhi Garg +1
- Book Type:

- Description: Queen of the prime-time news on Indian television. She is an innovative, stubborn, fearless young woman who prefers to be a field correspondent and report live information even from troubled and dangerous regions. For a similar assignment, she arrives in the jungles of Hungary, Chattisgarh, where an aspiring politician and an advocate of tribal rights, subhendu pal, is kidnapped by the Naxalite.
Narak Masiha
- Author Name:
Bhagwandas Morwal
- Book Type:

-
Description:
आधुनिक समाज के हाशियों की उपेक्षित उदासियों का अन्वेषण करनेवाले भगवानदास मोरवाल ने इस उपन्यास में मुख्यधारा की ख़बर ली है। वह मुख्यधारा जो क़िस्म-क़िस्म की अमानवीय और असामाजिक गतिविधियों से उस ढाँचे का निर्माण करती है जिसे हम समाज के रूप में देखते-जानते हैं।
उपन्यास का विषय ग़ैर-सरकारी संगठनों की भीतरी दुनिया है, जहाँ देश के लोगों के दुःख दुकानों पर बिक्री के लिए रखी चीज़ों की तरह बेचे-ख़रीदे जाते हैं, और सामाजिक-आर्थिक विकास की गम्भीर भंगिमाएँ पलक झपकते बैंक बैलेंस में बदल जाती हैं।
यह उपन्यास बताता है कि आज़ादी के बाद वैचारिक-सामाजिक प्रतिबद्धताओं के सत्त्व का क्षरण कितनी तेज़ी से हुआ है, और आज वह कितने समजघाती रूप में हमारे बीच सक्रिय है। कल जो लोग समाज के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने की उदात्तता से दीप्त थे, कब और कैसे पूरे समाज, उसके पवित्र विचारों, विश्वासों, प्रतीकों और अवधारणाओं को अपने हित के लिए इस्तेमाल करने लगे और वह भी इतने निर्लज्ज आत्मविश्वास के साथ, इस पहेली को खोलना शायद आज के सबसे ज़रूरी कामों में से एक है। यह उपन्यास अपने विवरणों से हमें इस ज़रूरत को और गहराई से महसूस कराता है।
उपन्यास के पात्र अपने स्वार्थों की नग्नता में जिस तरह यहाँ प्रकट हुए हैं, वह डरावना है; पैसा कमाने के तर्क को वे जहाँ तक ले जा चुके हैं, वह एक ख़ौफ़नाक जगह है—सचमुच का नरक; और जिस भविष्य का संकेत यहाँ से मिलता है, वह वीभत्स है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...