Goa Ki Lokkathayen
Author:
Dr. Jayanti NaikPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
इस पुस्तक में गोवा की प्रसिद्ध लोककथाओं का हिंदी अनुवाद संकलित है। गोवा की जनजातियों में वाचिक परंपरा से सदियों से कही जा रहीं ये चुनी हुई लोककथाएँ हैं। इनमें राजा-रानी, राक्षस, जिन्न, जानवर, पंछी, मूर्ख, होशियार, साहसी-डरपोक आदि विषयों की लोककथाएँ हैं। गोवा की लोककथाओं की प्राचीनता एवं मूल रूप पाठकों के सामने आ जाए इस उद्देश से, आदिवासी जनजातियों और गाँव-कस्बे में रहनेवाले लोगों में प्रचलित लोककथाओं का विशेष रूप से चयन किया गया है। नीतिकथा, चातुर्यकथा, अद्भुतकथा, शौर्यकथा, हास्यकथा आदि लोककथाओं के जो प्रकार गोवा में पाए जाते हैं, उनके नमूने इसमें समाविष्ट हैं, जिससे गोवा की लोककथा की विविधता का अंदाजा मिल जाता है। गीत रूप में प्रस्तुत होनेवाली लोककथाओं के नमूने भी इस संग्रह में हैं। पुस्तक केप्रारंभ में एक विस्तृत भूमिका है जो गोवा की लोककथाओं के स्वरूप, प्रकार, प्रचार, विशेषता आदि पर प्रकाश डालने के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर, इतिहास और समाज जीवन की भी मीमांसा करती है।
ISBN: 9789355210302
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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उपेक्षा, भूख, ग़रीबी में लिपटी आरण्यमुखी आदिवासी अस्मिता में ख़लल तब नहीं पड़ती जब भूख उन्हें परेशान करती है, अभाव उन्हें तोड़ने लगता है, मौसम की मार से जीना हराम हो जाता है, इन सबके तो वे अभ्यस्त रहे हैं। ख़लल तब पड़ती है, जब विकास के नाम पर कोई उनके गहरे शान्त जीवन को गन्दला करने चला आता है।
भरसक वे कंगाल हों लेकिन उनके नीचे खनिज और वन-सम्पदा के कुबेर के ख़ज़ाने हैं। उनके जीवन, यौवन और ख़ज़ाने पर लार टपकाते दिकुओं से लेकर मल्टीनेशनल्स और उनके दलालों तक की नज़र है और वे उद्वास्त होने और लुटने को अभिशप्त हैं। पहले बिहार और अब झारखंड का ऐसा ही एक क्षेत्र है संताल परगना। संजीव ने इस उपन्यास के माध्यम से इस आदिवासी अंचल के खनन-दोहन और उसके प्रतिरोध में उठती आदिवासी चेतना, लूट की सरकारी और निजी योजनाओं के विरुद्ध ‘जनखदान’ जैसे वैकल्पिक मॉडलों की तलाश तब शुरू की थी जब इस विषवृक्ष का अंकुर मात्र फूटा था, जो आज पूरे देश के आदिवासी-अस्तित्व के लिए विकराल दानव बन चुका है। विकास के नाम पर विनाश, उद्भव के नाम पर पराभव और शौर्य की परम्परा को दलाल-परम्परा में रेड्यूस करने के विरुद्ध एक सक्षम प्रतिवाद है ‘धार’। ‘धार’ आदमी की भोथरी होती हुई ‘धार’ का सन्धान है।
‘धार’ की अतिरिक्त विशिष्टता है उपन्यास की नायिका मैना जो प्रेमचन्द के ‘गोदान’ की धनिया और एमिल जोला के ‘जर्मिनल’ की माहेदी की दुर्धर्ष नायिकाओं की परम्परा की अगली और अधुनातन कड़ी है। बाहरी और अन्दरूनी पचासों झंझावातों से जूझती, दलाल बनते जा रहे पिता, पति, पुत्री, परिजन, पुरजन और पतनशील परम्पराओं से जूझती ‘मैना’ हिन्दी का अविस्मरणीय चरित्र है।
His Flawless Love
- Author Name:
Pragna Rao
- Book Type:

- Description: Marriage! Is it a tradition? A legal agreement? A biological need? Or something besides all these? Tragedy strikes Isha’s life when she loses her fiancée to destiny. But happiness comes back into her life in the form of a good man who becomes her husband. However, the struggles of her memories and present situation go on, taking a toll on her new married life. Unable to carry on, she separates from her husband. And yet, the distance between them reminds her of her husband's unconditional love. She understands the significance of the marital vows and returns to be his best companion. Though destiny unceasingly challenges her, it also makes her stronger. Who wins the battle ultimately? Destiny or love?
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