Our Dharma Between Us
Author:
Pratik SharmaPublisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
EnglishCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 201.45
₹
237
Available
Every love story has two endings, either the lovers meet or they don’t. The journey between the commencement and conclusion is different for everyone, and that’s your original story.Joy deep Singh, a Sikh in his twenty-six, starts working as teacher and does voluntary service with his dad. A day comes when he comes across Pratik, a friend from his school. They meet after 4 years in the school.Being parted for a long time, they start discussing their old days. However, the name of Meenakshi drags joy deep into some thick and thin memories of his life.Being in a live-in relationship for five years, and separating later, joy illustrates his heart-rending story to Pratik. How much does a thread of a Hindu and a turban of a Sikh matters in a marriage if love is the biggest dharma?.
ISBN: 9788193463307
Pages: 2000
Avg Reading Time: 67 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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हिन्दी के प्रख्यात रचनाकार राजकमल चौधरी की बहुचर्चित-बहुप्रशंसित कृति है ‘मछली मरी हुई’। लेखक ने अपनी इस महत्त्वाकांक्षी कृति में जहाँ महानगर कलकत्ता के उद्योग जगत की प्रामाणिक और सजीव तस्वीर प्रस्तुत की है, वहीं आनुषंगिक विषय के रूप में समलैंगिक स्त्रियों के रति-आचरण का भी इस उपन्यास में सजीव चित्रण किया है। इसमें ठनकती हुई शब्दावली और मछली के प्रतीक का ऐसा सर्जनात्मक प्रयोग किया गया है कि समलैंगिक रति-व्यापार तनिक भी फूहड़ नहीं हुआ है। इन पात्रों को लेखक की करुणा सर्वत्र सींचती रहती है।
उपन्यास का प्रमुख पात्र निर्मल पद्मावत हिन्दी उपन्यास साहित्य का अविस्मरणीय चरित्र है। हिंस्र पशुता और संवेदनशीलता का, आक्रामकता और उदासी का, सजगता और अजनबीपन का, शक्ति और दुर्बलता का ऐसा दुर्लभ मिश्रण हिन्दी के शायद ही किसी उपन्यास में मिलेगा।
‘मछली मरी हुई’ के अधिकांश पात्र मानसिक विकृतियों के शिकार हैं, पर उपन्यासकार ने उनके कारणों की तरफ़ संकेत कर अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता का परिचय दिया है। यह प्रतिबद्धता उद्योगपतियों के व्यावसायिक षड्यंत्र, भ्रष्ट आचरण आदि की विवेकपूर्ण आलोचना के रूप में भी दिखाई देती है। इस उपन्यास के केन्द्रीय पात्र निर्मल पद्मावत की कर्मठता, मज़दूरों के प्रति उदार दृष्टिकोण, छद्म आचरण के प्रति घृणा, किसी भी हालत में रिश्वत न देने की दृढ़ता, ऊपर से हिंस्र जानवर जैसा दिखने पर भी अपनी माँ, पत्नी और अन्य स्त्रियों के प्रति गहरी संवेदनशीलता—ये सारी बातें उपन्यासकार के गहरे नैतिकता-बोध के प्रमाण हैं।
‘मछली मरी हुई’ राजकमल चौधरी का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है। इस उपन्यास को स्त्री-समलैंगिकता पर केन्द्रित भी माना जाता रहा है, जिसका कारण शायद यह है कि काफ़ी शोध के बाद ही लेखक ने इस विषय को यहाँ उठाया है।
Mokshawan
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Bhagwandas Morwal
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Description:
वृन्दावन को कृष्ण की क्रीड़ा-स्थली के रूप में जाना जाता है। श्रद्धा, भक्ति और समर्पण का यह केन्द्र वर्षों से न सिर्फ़ भारत बल्कि दुनिया-भर के कृष्ण-प्रेमियों को आकर्षित करता आ रहा है।
लेकिन इस धार्मिक नगरी का एक पक्ष और है—यहाँ रहनेवाली विधवाएँ और उनका त्रासद जीवन। देश-भर से वे स्त्रियाँ जिन्हें विधवा हो जाने के बाद अपने घर या ससुराल, कहीं भी ठिकाना नहीं मिलता, वे वृन्दावन चली आती हैं। वे चाहे जिस आयु की हों।
प्रतिष्ठित कथाकार और अपने हर उपन्यास के लिए व्यापक अध्ययन करनेवाले भगवानदास मोरवाल ने ‘मोक्षवन’ में इसी विषय को उठाया है। इसके लिए उन्होंने वृन्दावन में काफ़ी समय भी बिताया और सम्बन्धित सामग्री की खोज-बीन की।
इस कथाकृति में आज के वृन्दावन, उसके मन्दिरों, परम्पराओं, गलियों-मुहल्लों, देवस्थानों आदि का एक विराट दृश्य रचते हुए, वे विधवाओं के दैनिक दुखों, जीवन-चर्या, वृन्दावन के धािर्मक वातावरण में उनकी दृश्यता का एक प्रामाणिक और मार्मिक चित्र प्रस्तुत करते हैं।
कहानी कोलकाता से आई युवा विधवा हरिदासी की है, जो मोक्ष की इस यात्रा में अत्यन्त दुख सहन करते हुए अन्तत: संसार को विदा कह देती है और भारतीय संस्कृति से जुड़े कई ऐसे सवालों को उठा जाती है जिन पर हमारा समाज अकसर मौन रहता है।
वृंदावन के साथ-साथ इस उपन्यास में बंगाल की लाल सौंधी मिट्टी की महक और कपास के सफ़ेद फूलों की कोमल बेचैनी भी रह-रहकर पाठक को उद्वेलित करती है।
Aapda Prabandhan
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Shiv Gopal Mishra
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- Description: "आपदा प्रबंधन-शिवगोपाल मिश्र ‘आपदा’ (Disaster) एक ऐसी असामान्य घटना है, जो सीमित अवधि के लिए आती है, किंतु किसी भूभाग या देश की अर्थव्यवस्था को छिन्न-छिन्न कर देती है। अव्यवस्थित तंत्र के बल पर आपदाओं का सामना नहीं किया जा सकता। पिछले कई दशकों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन के प्रयास किए जाते रहे हैं। संप्रति आपदा प्रबंधन बहुआयामी व्यवस्था बन चुकी है, जो अधुनातन प्रौद्योगिकी की सहायता लेकर कम-से-कम समय में आपदाओं की पूर्व सूचना, चेतावनी, बचाव, राहत, पुनर्वास आदि के साधन जुटाती है। वर्तमान युग में आपदा प्रबंधन की महत्ता सर्वस्वीकृत है। अब तक हिंदी में ‘आपदा प्रबंधन’ पर कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं थी, अत: चित्रों से सुसज्जित यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति है। पुस्तक को तीन खंडों में विभाजित किया गया है। प्रथम खंड में आपदा प्रबंधन की सैद्धांतिक विवेचना है। दूसरे खंड में विविध प्राकृतिक आपदाओं का विवरण तथा दृष्टांत रूप में उनके प्रबंधन का वर्णन है। तृतीय खंड में मानवकृत आपदाओं का विवरण तथा उनका प्रबंधन बताया गया है। अंत में परिशिष्ट खंड में विविध सूचनाप्रद सामग्री संगृहीत है। हिंदी पारिभाषिक शब्दों के अंग्रेजी पर्यायों की सूची भी दी गई है। आशा है, पाठकों के लिए यह पुस्तक जानकारीपरक, रोचक एवं मार्गदर्शन करने वाली सिद्ध होगी। "
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Sadiyon Ka Syanapan
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Jhool
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Description:
झूल उस दारुण परिणति का वृत्तान्त है जहाँ स्वातंत्र्योत्तर भारत की युवा पीढ़ी अपने व्यक्तिगत सपनों तथा जातीय आदर्शों और आकांक्षाओं के बीच के अन्तर को पाटने की कोशिश में पहुँची है। उपन्यास का नायक चांगदेव पाटील अपने अस्तित्व के उद्देश्य और नैतिक आदर्शों को समाज में व्याप्त संकीर्णताओं के बीच एकदम असंगत पाता है। यह अनुभव उस समय और प्रगाढ़ हो जाते हैं जब वह एक नए कॉलेज में प्रोफेसर बनकर आता है। पिछले कॉलेज के कटु अनुभव अभी भी उसके साथ हैं लेकिन जिस भावात्मक औदात्य को उसने अपनी जीवन-दृष्टि का आधार बनाया है, उसे भी उसने छोड़ा नहीं है। अपने एकाकी मन को वह समाज की बड़ी संरचना में विलय कर देना चाहता है लेकिन आसपास के जीवन और लोगों में कोई ऐसी मूल्य-चेतना उसे नहीं दिखती जो उन्हें उनकी तुच्छताओं से ऊपर उठा सके। समाज की यह असफलता उसके व्यक्ति को घोर निराशा से भर देती है। लगातार जगह बदलते हुए उसने जो पाया है, वह यही कि जीवन अन्ततः अर्थहीन ही है।
तीक्ष्ण दृष्टि और उतनी ही तीक्ष्ण शब्दावली के साथ भारतीय समाज की पड़ताल करने वाले नेमाड़े इस उपन्यास में ‘होने’ और ‘नहीं होने’ के द्वन्द्व को इतनी गहराई से अंकित करते हैं कि इस शृंखला के अन्य उपन्यासों की तरह यह उपन्यास भी कथा से अधिक एक अध्ययन हो जाता है।
झूल स्वतंत्र रूप से भी उतना ही दिलचस्प और पूर्ण पाठ है, जितना कि शृंखला की एक कड़ी के रूप में। यह एक बड़ी विशेषता है।
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