Premchand Ke Upanyason Mein Samkalinta
Author:
RajnikantPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Unavailable
प्रेमचन्द के उपन्यासों में जिन राष्ट्रीय, सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक आदि समस्याओं का चित्रण है, वे आज भी वर्तमान समाज में व्याप्त हैं। केवल उन समस्याओं के रूप या बाहरी मुखौटे मात्र बदल गए हैं, पर वास्तव में वे समस्याएँ आज भी मूल में वैसी ही हैं।</p>
<p>प्रस्तुत पुस्तक में तीन खंड हैं। पहले खंड में उपन्यास के तत्त्वों का विवेचन हुआ है। इसके अन्तर्गत प्रधानत: कथानक पर प्रकाश डाला गया है इसके पश्चात् प्रथम खंड के दूसरे भाग में ‘प्रासंगिकता’ शब्द के तात्पर्य को स्पष्ट किया गया है।</p>
<p>द्वितीय खंड में प्रेमचन्द के सभी प्रमुख उपन्यासों का विवेचन किया गया है। इसके अन्तर्गत उन सभी उपन्यासों के ‘कथानक’ एवं ‘प्रासंगिकता’ का अध्ययन किया गया है।</p>
<p>तृतीय एवं अन्तिम खंड में प्रेमचन्द के सभी उपन्यासों की प्रासंगिकता का समग्र मूल्यांकन किया गया है।
ISBN: 9788180318221
Pages: 96
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Vichar Ka Aina : Kala Sahitya Sanskriti : Ajneya
- Author Name:
Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'
- Book Type:

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Description:
विचार का आईना शृंखला के अन्तर्गत ऐसे साहित्यकारों, चिन्तकों और राजनेताओं के ‘कला साहित्य संस्कृति’ केन्द्रित चिन्तन को प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्होंने भारतीय जनमानस को गहराई से प्रभावित किया। इसके पहले चरण में हम मोहनदास करमचन्द गांधी, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, राममनोहर लोहिया, रामचन्द्र शुक्ल, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ और गजानन माधव मुक्तिबोध के विचारपरक लेखन से एक ऐसा मुकम्मल संचयन प्रस्तुत कर रहे हैं जो हर लिहाज से संग्रहणीय है।
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ऐसे लेखक हैं जो परम्परा और आधुनिकता, पूरब और पश्चिम के सन्धि-बिन्दु पर खड़े दिखाई देते हैं। लगभग मिथकीय जीवन जीनेवाले अज्ञेय क्रांतिकारी, सैनिक, अध्यापक, अधिकारी और सम्पादक का जीवन जीते हुए उसी के समानान्तर कवि, कथाकार, उपन्यासकार, अनुवादक और निबन्धकार भी रहे। जैसे उनके व्यक्तित्व में बहुत सारी तहें शामिल थीं वैसे ही उनके रचनाकार की भी बहुत सारी पर्तें रहीं और वे सभी रूपों में अद्वितीय रहे। बतौर सम्पादक उन्होंने हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता को दिशा देने का काम किया। वे व्यक्ति-स्वातंत्र्य के प्रबल पक्षधर होते हुए भी समष्टि के हामी थे। हमें उम्मीद है कि उनके कला, साहित्य और संस्कृति सम्बन्धी प्रतिनिधि निबन्धों की यह किताब अपने पाठकों को वह बौद्धिक संतुष्टि देने में सफल रहेगी जिसके लिए अज्ञेय जाने जाते हैं।
Nibandh-Maan
- Author Name:
Anjum sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Mahadevi Varma Ke Kavya Mein Saundarya-Bhavana
- Author Name:
Govind Pal Singh
- Book Type:

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Description:
छायावादी काव्य के विकास में महादेवी वर्मा का योगदान अप्रतिम है। वे अपने समय के कवियों में एक अलौकिक भावजगत का सृजन कर छायावादी काव्य-धारा को एक नई सौन्दर्य-दृष्टि प्रदान करती हैं। यही कारण है कि उन्हें छायावादी काव्य-धारा में रहस्यवादी भाव-धारा का प्रमुख कवि माना जाता है। सर्वथा नए उपमान, अमूर्तन, लाक्षणिकता, प्रतीक, बिम्ब उनके काव्य को लालित्य-योजना की दृष्टि से एक ऐसा आयाम प्रदान करते हैं जो छायावादी कवियों में उनकी अपनी अलग पहचान बनाता है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में लेखक ने महादेवी वर्मा की सौन्दर्य-दृष्टि से बचकर लेखक ने भारतीय और पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र के ज्ञान का गम्भीर उपयोग किया है। यही कारण है कि प्रस्तुत पुस्तक महादेवी वर्मा के काव्य-विवेचन में नई दृष्टि का समावेश कर सकी है। शास्त्रीय और समसामयिक काव्यालोचन में प्रस्तुत पुस्तक का सुनिश्चित योगदान है।
Samkalin Hindi Kahani : Antrang Parichay
- Author Name:
C. M. Yohannan
- Book Type:

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Description:
कहानी सदा लोकप्रिय रही है। इससे सम्बन्धित आन्दोलनों में भी पर्याप्त उछल-कूद रही है। ‘नयी कहानी’, ‘अकहानी’, ‘सहज कहानी’, ‘सक्रिय कहानी’, ‘सचेतन कहानी’, ‘समान्तर कहानी’ फिर परवर्ती ‘सहज कहानी’ आदि आन्दोलनों ने कहानी को आलोचना के केन्द्र में बनाए रखा है, परन्तु कहानी तो कहानी होती है। इतना आवश्यक है कि विधा के आकर्षण को बनाए रखने के लिए इसके कलात्मक पक्ष में बदलाव आता रहता है। प्रस्तुति में अन्तर का बदलाव कहानी को रोचक बनाता है। प्रस्तुति का द्वन्द्व ही वस्तुत: किसी भी रचना को महान बनाता है। इक्कीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में रचित कहानियाँ विषयवस्तु एवं कला की दृष्टि से तो ध्यान आकर्षित करती हैं परन्तु साथ ही बाज़ारवाद, भ्रष्टाचार, स्वार्थवाद, ढिंढोरावाद आदि प्रवृत्तियों के कारण जीवन-शैली के बदलाव को भी रेखांकित करती हैं।
प्रस्तुत पुस्तक इक्कीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक की कहानियों पर विस्तृत तथा सारगर्भित आलोचनात्मक टिप्पणी है। यह हिन्दी कहानी की दीर्घकालीन यात्रा का आलोचनात्मक सोपान है जो बिना खेमेबाज़ी के, सहज-सार्थक भाव से इक्कीसवीं सदी के प्रथम दशक के कहानीकारों एवं रचनाओं पर बेबाक, निष्पक्ष टिप्पणी करता है तथा कहानी-यात्रा के विकास को दक्षतापूर्वक सहेजता है।
Nai Kavita : Ek Sakshaya
- Author Name:
Ramswaroop Chaturvedi
- Book Type:

- Description: काव्य-आन्दोलन और कवि-व्यक्तित्व के बाद स्वतः कविताओं का अध्ययन समीक्षा-क्रम का शायद सही विकास माना जाएगा। ‘हिन्दी नव-लेखन’ (1960) तथा ‘अज्ञेय और आधुनिक रचना की समस्या’ (1968) के उपरान्त यह ‘नयी कविता : एक साक्ष्य’ (1976) आपको नए काव्यानुभव से साक्षात्कार की इसी दिशा में अग्रसर करेगा। नई कविता क्योंकि सम्पूर्ण आधुनिक साहित्यिक गतिविधि के केन्द्र में रही है इसीलिए इस अध्ययन के दौरान आप कविताओं के व्यक्तित्व में तो प्रवेश करेंगे ही—कभी-कभी उनसे टकराएँगे भी—साथ-ही-साथ इस रचना-युग की पूरी मानसिकता से भी परिचित हो सकेंगे। यहाँ समीक्षा का क्रम कवियों के अनुसार चलता है, पर उसके केन्द्र में कविताएँ हैं। तभी समझ में आता है कि कैसे रचना रचनाकार से बड़ी हो जाती है। समीक्षक को इन दोनों के बीच अपना दायित्व निभाना पड़ता है। नई कविता की चुनी हुई नौ कवियों की कविताएँ यहाँ उसके विशिष्ट समीक्षक के साक्ष्यरूप में प्रस्तुत है।
Relevance of Savarkar Today
- Author Name:
Ashok Modak
- Book Type:

- Description: Swatantryaveer Vinayak Damodar Savarkar (1883-1966) was a multidimensional personality - a freedom fighter, social reformer, writer, poet, historian, political leader and philosopher all combined into one. Savarkar's ideas of modernity, social and religious reforms, cultivation of scientific temper and embracing technological tools continue to be relevant in the 21st century. "Relevance of Savarkar Today", 25 pearls of visionary wisdom by Veer Sawarkar, is the product of deep study and research by Dr Ashok Modak. Savarkar's quotations, the author's expert comments and nearly 60 supportive comments by senior political leaders, social reformers, and intellectuals in 25 chapters illustrate the relevance of following the visionary messages of Savarkar for a new India of the 21st century. Bring out a solid, cohesive social fabric through unity Hindutva embraces the whole being of the Hindu race Brave foreign policies for the total defence of India Strong India for the real happiness of humanity.
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