Shambook
Author:
Jagdish GuptPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
‘पद्मपुराण’ के सृष्टिखंड और उत्तरखंड, ‘महाभारत’ के शान्तिपर्व तथा ‘आनन्द रामायण’ के भी अनेक अध्यायों में शम्बूक की कथा समाहित है जिससे इसकी प्राचीनता और परम्परागत मान्यता दोनों ही बातें सिद्ध हो जाती हैं। इस पुस्तक में शम्बूक को भूमिपुत्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है। शम्बूक की तर्कशीलता जीवन के उस पहलू को उद्घाटित करती है जिसकी उपेक्षा करने से राम का ब्रह्मतत्त्व एवं उनकी विराटता अपनी अर्थवत्ता खो देती है। आधुनिक युग की प्रजातांत्रिक समाजवादी विचारधारा इसी बिन्दु पर प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक परम्परा से मेल खा जाती है।
ISBN: 9788180316777
Pages: 104
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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अपने परिवेश के प्रति अगाध प्रेम और सम्बद्धता शायद ही इधर प्रकाशित दूसरे कवियों की कविताओं में मिले। ख़ास बात यह है कि राजेश जोशी अपने अनुभव को कविता में सिरजते वक़्त शोकगीत की लयात्मकता नहीं छोड़ते। लय उनकी कविताओं में अत्यन्त सहज भाव से आती है, जैसे कोई कुशल सरोदवादक धीमी गति में आलाप द्वारा भोपाल राग का विस्तार कर रहा हो। इस दृष्टि से राजेश जोशी के शिल्प को एक सांगीतिक संरचना कहा जा सकता है। वे स्थानीयता के रंग में डूबकर भी कविता के सार्वजनिक प्रयोजनों को रेखांकित करते हैं।
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यह संग्रह इस अर्थ में अनूठा है कि इसकी प्रायः सभी कविताएँ किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति को विश्लेषित करती, ठोस वस्तुस्थिति की कविताएँ हैं। भावनाओं की अमूर्त्त दुनिया भी है, लेकिन परदे के पीछे। इहलौकिकता के साथ यतीन्द्र मिश्र की कविता की दूसरी विशेषता है इसकी स्मृति-सम्पन्नता। वैसे तो ‘नमक’ जैसी एकाध कविता में अतीत के संघर्ष की स्मृति भी मिलती है, लेकिन आमतौर पर यतीन्द्र के यहाँ मिटती हुई अथवा हाशिये पर जाती हुई मूल्यवान चीज़ों की स्मृति बार-बार आती है। लोक और संगीत प्रायः इसके माध्यम बनते हैं।
‘बारामासा’, ‘लोकगीत’ और ‘क़िस्से-कहानियों की स्मृतियाँ’ ऐसी कविताएँ हैं, जिनमें यथार्थ और स्वप्न के सन्दर्भ में लोकजीवन की स्मृति को सहेजा गया है। ‘आदमी बने रहने की कोशिश’ तथा ‘अष्टपदी’ जैसी कविताओं में यह चिन्ता संगीत के माध्यम से हमारे सामने आती है, जबकि हाशिये पर पहुँच चुके लोग अपनी शक्ति के साथ ‘तकियाकलाम’, ‘मिरासिनें’ तथा ‘कछुआ और खरगोश’ में उपस्थित होते हैं। वैसे तो यतीन्द्र का काव्य-संसार शुरू से आख़िर तक ऐन्द्रिक संवेदनों का संसार है, लेकिन रंगों का जादू उन्हें ख़ासतौर पर सम्मोहित करता है। रंग और संगीत की परस्पर अन्तःक्रिया से निर्मित प्रेम का यह बिम्ब देखें—‘मैं नदी जितना साँवला/तुम सूर्योदय जितनी उज्ज्वल/हमारा प्रेम/कभी बसन्त/ कभी जोगिया में/एक अतिविलम्बित बढ़त’ (हमारा प्रेम)। तेज़ी से भागते समय को रंगों के आकर्षण में रोक रखना कवि को सम्भव जान पड़ता है। लिखना, पढ़ना और रँगना यहाँ परस्पर समानार्थक क्रियाएँ बनकर उभरती हैं। सम्भवतः इसीलिए अपने देशकाल का सबसे सार्थक आख्यान वे ‘सुनो रंगरेज’ जैसी कविता में कर पाते हैं। इस दृष्टि से ‘समय को रँगते हुए पढ़ना’, ‘सहजता के लिए जगह’ और ‘कजरी’ जैसी कविताएँ उल्लेखनीय बन पड़ी हैं।
कवि की यही प्रवृत्तियाँ तानसेन, तुकाराम, उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ और ग़ालिब तक उसे ले जाती हैं और उनके होने का मतलब, उनका सारतत्त्व तलाशती हैं। इसी तलाश में यतीन्द्र अक्सर उन जगहों पर भी पहुँचते हैं, जहाँ जीवन की साधारण परिस्थितियाँ अपनी विशिष्टता में मौजूद हैं। यहाँ उनके साथ कवि का सौहार्दपूर्ण रिश्ता हमें ज़्यादा बड़े आशयों की ओर ले जाता है और इस प्रक्रिया में ‘रफ़ू’, ‘लंगड़ा आम’, ‘सुबह’ व ‘ढोल’ जैसी महत्त्वपूर्ण कविताओं से हमारा सामना होता है। इन कविताओं को पढ़कर कोई भी पाठक मामूली चीज़ों से कविता बना देने की कवि की प्रतिभा को महसूस किए बिना नहीं रहेगा।
यह संग्रह हिन्दी की युवा कविता की सम्भावना, शक्ति और दिशा को प्रकट करनेवाला एक प्रतिनिधि संग्रह है।
—कृष्णमोहन
Bichhdal Kono Pireet Jakan
- Author Name:
Vidyanand Jha
- Book Type:

- Description: Collection of Maithili Poems. मनुष्य केँ आ जीवनक आन सब रूप केँ जे गछाडऩे अछि आपदा ओ विपदा सभ तकर संताप समाएल अछि एहि संग्रहक अनेक कविता मे। निरंतर आभासी होइत जाइत एहि समय मे यथार्थक ठोस ऐन्द्रिक बोध खिया रहल अछि आ ताहि सँ जीवन मे कएक तरहक मारूक कमी ओ दिक्कत सभ आबि रहल अछि। जीवन ओ जगतक ठोस विवरण सभ सँ भरल-पुरल एहि संग्रहक कविता सभ थोड़बहुत काट करैत अछि एहि बातक। आ संगहि जगजियार होइत जाइत अछि एहि सँ जीवनक त्रासद विसंगति ओ विडम्बना सभ; शोषण ओ अन्यायक मर्मांतक रूप सभ; आ इतिहासक दारूण संत्रास सभ। जे किछु शुभ ओ सुंदर बचल अछि जीवनक व्यापक ओ गझिन तानीभरनी मे ताहि मे सँ किछु अनूप जोगाओल गेल अछि एहि संग्रह मे। आ बीच-बीच मे छिटकैत चलैत अछि अस्तित्वक स्वरूपक अबंचक कि रोमांचित कर’वला सूक्ष्म बात सभ सेहो। प्रकृति ओ मनुष्य, अपन संगिनी ओ रूपसी मिथिला, तथा भाषा ओ कलाक विभिन्न रूप सँ जे 'पिरीत’ छनि कवि केँ ताहि सँ डगडग करैत कविता सभ ही केँ जुड़ा दैत अछि, जीवन मे आस्था केँ टेक दैत अछि आ संघर्षक लेल संबल सेहो। दनुफक फूल जकाँ सादा, साफ, हल्लुकओ खलसैत भाषा ओ शिल्प मे रचल गेल एहि संग्रहक कविता सभ सहजहि जीवनक पिरितिया बना दैत अछि। गहन शुभाशंसाक संग हम हलसि क’ एकर स्वागत करैत छी। उत्सवक घड़ी थिक ई मैथिली कविताक लेल। —हरेकृष्ण झा
Saare Sukhan Humare
- Author Name:
Faiz Ahmed 'Faiz'
- Book Type:

- Description: ‘सारे स़ुखन हमारे’ के रूप में समकालीन उर्दू शाइरी के अजीमुश्शान शाइर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की तमाम ग़ज़लों, नज़्मों, गीतों और क़तआ’त को हिन्दी में पहली बार एक साथ प्रस्तुत किया गया है। इसमें उनका आख़िरी कलाम तक शामिल है। उर्दू शाइरी में फ़ैज़ को ग़ालिब और इक़बाल के पाये का शाइर माना गया है, लेकिन उनकी प्रतिबद्ध प्रगतिशील जीवन-दृष्टि सम्पूर्ण उर्दू शाइरी में उन्हें एक नई बुलन्दी सौंप जाती है। फूलों की रंगो-बू से सराबोर शाइरी से अगर आँच भी आ रही हो तो मान लेना चाहिए कि फ़ैज़ वहाँ पूरी तरह मौजूद हैं। यही उनकी शाइरी की ख़ास पहचान है, यानी रोमानी तेवर में ख़ालिस इन्क़लाबी बात। उनकी तमाम रचनाओं में जैसे एक अर्थपूर्ण उदासी, दर्द और कराह छुपी हुई है, इसके बावजूद वह हमें अद्भुत रूप से अपनी पस्तहिम्मती के ख़िलाफ़ खड़ा करने में समर्थ हैं। कारण, रचनात्मकता के साथ चलनेवाले उनके जीवन-संघर्ष। उन्हीं में उनकी शाइरी का जन्म हुआ और उन्हीं के चलते वह पली-बढ़ी। वे उसे अपने लहू की आग में तपाकर अवाम के दिलो-दिमाग़ तक ले गए और कुछ इस अन्दाज़ में कि वह दुनिया के तमाम मजलूमों की आवाज़ बन गई। वस्तुत: फ़ैज़ की शाइरी हमारे समय की गहन मानवी, समाजी और सियासी सच्चाइयों का पर्याय है। वह हर पल असलियत के साथ है और भाषाई दीवारों को लाँघकर बोलती है। कहना न होगा कि उर्दू के इस महान शाइर की सम्पूर्ण कविताओं का यह एकज़िल्द मज्मूआ हिन्दी में चाव के साथ पढ़ा और सहेजा जाएगा।
Main Boond Swayam, Khud Sagar Hoon
- Author Name:
Ashutosh Agnihotri
- Book Type:

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Description:
‘मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूँ’ कवि आशुतोष अग्निहोत्री का चौथा कविता-संग्रह है। इस कविता-पुस्तक में उन्होंने अपनी जिन कविताओं को प्रस्तुत किया है, वे एक सजग, संवेदनशील और संवादधर्मी सामाजिक मनुष्य के सम्पूर्ण संसार को प्रतिबिम्बित करती है। प्रकृति, ईश्वर, समाज, परिवार और देश ने कवि को जो दिया, यह संकलन उसका कृतज्ञता ज्ञापन है, कोई भी पाठक जिसे पढ़ते हुए अपने ही भावोद्गार समझेगा।
‘स्नेह’, ‘प्रेम’, ‘धर्म’, ‘देश’, ‘दर्शन’ और ‘प्रेरणा’—इन छह उपशीर्षकों के तहत कवि ने यहाँ उन तमाम स्रोतों को अपने भाव समर्पित किए हैं जो मनुष्य मात्र के जीवन का आधार हैं, जहाँ से वह जीने की, सिरजने की, आगे बढ़ने और स्वयं को सार्थक करने की प्रेरणा ग्रहण करता है।
ये कविताएँ हमें हमारी उन अनुभूतियों को व्यक्त करने का बहाना बनती हैं, जिन्हें हम अपने भीतर तो रखते हैं लेकिन उचित शब्दावली और सम्यक लय के साथ व्यक्त नहीं कर पाते। इसीलिए ये कविताएँ सबकी हैं—उनकी भी जो काव्य-आस्वाद के अनुभवी लोग हैं, और उनकी भी जो पहली बार इन्हें पढ़ेंगे, और सदैव के लिए अपने अन्तस में सँजो लेंगे। एक भाव सम्पन्न कविता-संग्रह जिसकी कविताओं का पाठ आप अपनों के बीच बैठकर बार-बार करना चाहेंगे।
Bagule Pakad Rahi Hai Meen
- Author Name:
Rameshraaj
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- Description: दुहरे तुकांत में तेवरियाँ
Purple Orchids
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Ashish
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- Description: Embark on a poignant journey through the transformative relationship that shaped the author’s life. This heartfelt memoir recounts the joys and laughter that once flourished, finding solace in each other’s company. Yet, unspoken words and unresolved issues weigh heavily, casting shadows on their love. The book delves into unexpressed emotions,unsaid conversations, and the lingering sense of loss.It becomes a powerful outlet for the author’s feelings, offering a testament to the impact of our actions on cherished relationships. Amidst love, regret, and personal growth, this book is a touching tribute to a person who forever changed their life, exploring the beauty and challenges of deep connections while embracingforgivenes and understanding.
Dukh Koi Chidiya To Nahi
- Author Name:
Amit Manoj
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- Description: Poems
ANDHERE SE ADAWAT
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- Description: Poems
The Unspoken Scars
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Crrystal Agravat
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- Book Type:

- Description: Painful, bold, and raw. In her first collection, Crrystal Agravat exhibits pieces of naked and real emotions enclosed in a poetry book. The book revolves around a teenage girl who saw the world as black and dark but overcame the pain inflicted on her with her resilience and power, evolving into a strong woman. This book gives the reader an insight into the real hardships, the unbearable pain, and the shattered heart of a human being. Once you delve into the book, you shall form a superficial connection with her. Jump into this ocean of unmatched pain, struggle, and a ray of hope.
Sath Chalte Hue (Rowing Together)
- Author Name:
Sukrita Paul Kumar
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Description:
सहज प्रवाह में कई बार तो हवाओं के विरुद्ध भी, आगे बढ़ते, हम दोनों याद करते हैं कि इस संकलन की कविताओं को आकार देते हुए हमारा साथ कैसा रहा। लेकिन इस स्थिति से पहले हम अनुभव और भाषा की निजी धाराओं से भी गुज़रे। एक-दूसरे की कविताओं के अनुवाद की प्रक्रिया हमारे लिए जितनी प्रीतिकर श्रम थी, उतनी ही नैसर्गिक भी। किसी के मन में यह जिज्ञासा हो सकती है कि हमने अपने रचनात्मक लेखन के बजाय अनुवाद करने की बात क्यों सोची ? उसका उत्तर तनिक भी मुश्किल नहीं है। भाषा की सरहदें गलने-पिघलने लगती हैं जब कविता का अनुभव आसानी से एक-दूसरे तक पहुँच रहा हो। हमारी कविताओं ने यह भी तय किया कि वे एक-दूसरे की हो लें और एक अन्य भाषा में ख़ुद को कहें। हमने सिर्फ़ उनकी एक कामना को सुना, शायद यह देखने-जानने के लिए भी, कि किस तरह अनूदित कविताएँ एक बार फिर ‘मौलिक’ हो जाती हैं, कुछ खोकर या शायद कुछ हासिल करके भिन्नता पाती हुईं।
—सुकृता
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