Coffee Cafe
Author:
Rashmi TarikaPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 152
₹
190
Available
This book has no description
ISBN: 9789387310162
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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आज अनेक कारणों से मनुष्य और समाज तथा मनुष्य और प्रकृति के बीच दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं। व्यक्ति अपनी जड़ों से दूर होकर एक बनावटी ज़िन्दगी में बन्दी-सा हो गया है। एक उचाटी शाश्वत भाव-सी बन गई है। स्मृतियाँ हैं कि बार-बार वर्तमान पर दस्तक देती हैं। वे क्षण जो बरसों पहले समय की सदी में प्रवाहित हो गए, जाने कैसे आकुलता के जल में उभर आते हैं...इस संग्रह की कविताएँ ऐसे बहुत सारे तथ्यों को नेपथ्य में महसूस करते हुए रची गई हैं। इनकी सहजता-सरलता ही इनका अलंकरण है।
Apurna Aur Anya Kavitayein
- Author Name:
K. Satchidanandan
- Book Type:

- Description: अपूर्ण और अन्य कविताएँ के. सच्चिदानन्दन की कविताओं के हिन्दी अनुवाद का एक महत्त्वपूर्ण संकलन है। इसके पहले उनकी कविताओं के दो हिन्दी संकलन ‘के. सच्चिदानन्दन की कविताएँ’ और ‘वह जिसे सब याद था’ प्रकाशित हो चुके हैं। प्रस्तुत संकलन में मुख्यत: वे कविताएँ संगृहीत हैं जो यात्रानुभवों और प्रेम से सम्बद्ध हैं। एक लम्बी कविता ‘अपूर्ण’ इन दो विषयों को अनुस्यूत करती हैं : यह कविता स्टॉकहोम, दिल्ली और पेरिस में लिखी गई थी। 'उत्तरकांड' चीन पर लिखी कविताओं की शृंखला है—और यह ध्यान पर एकाग्र है। अध्यात्म, प्रेम, प्रकृति, राजनीति और कविताएँ सभी कविता के पाठ में शामिल हैं। ‘उत्कल’ और ‘हम्पी में शामें’—केवल स्थान विशेष का विवरण मात्र नहीं, बल्कि स्मृति और कल्पना से संघनित हैं। कवि की प्रेम कविताओं में जहाँ असाधारण तीव्रता है वहाँ समय की निरन्तर उपस्थिति को लक्ष्य किया जा सकता है। —संग्रह की अधिकांश कविताएँ हमारे समय के आक्रोश, बिखराव और विद्रोह को व्यक्त करती हैं। ये कविताएँ अपनी कल्पना-शक्ति, प्रखर अनुभूति, ध्यानपरकता और व्यंग्य-भाव के लिए जानी जाएँगी।
Pratinidhi Shairy : Meeraji
- Author Name:
Meeraji
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उर्दू में तरक़्क़ीपसन्द तहरीक (प्रगतिवादी आन्दोलन) के ख़ात्मे से पहले ही उसकी प्रतिक्रियास्वरूप जिस काव्य-सम्प्रदाय ने जड़ें जमाईं, उसे जदीदियत (आधुनिकतावाद) के नाम से जाना जाता है, और कहने की ज़रूरत नहीं कि तरक़्क़ीपसन्द तहरीक दूसरी भारतीय भाषाओं के मुक़ाबिले उर्दू में जितनी मज़बूत थी, उसकी प्रतिक्रिया भी उसी क़दर तीखी हुई। मीराजी को जदीदियत नाम के इसी काव्य-सम्प्रदाय का प्रवर्तक करार दिया जाता है।
सच तो यह है कि यौन-क्रियाओं का रस ले-लेकर बयान, कुंठा, पलायन, मृत्यु का महिमामंडन, समाज के महत्त्व को कम दिखाकर व्यक्ति की सत्ता का ऐलान, पुरातन पन्थ, लुकाच के शब्दों में—‘नाकारा विद्रोह’ और ‘छद्म-विद्रोह’ मोहूम और मोहमिल शायरी, और जनता (जदीदियों की शब्दावली में ‘भीड़’) से नफ़रत वग़ैरह जो-जो विशेषताएँ ‘जदीद’ उर्दू शायरी में मौजूद हैं; वे सभी एक छोटे पैमाने पर मीराजी के जीवन और काव्य में भी देखने को मिलती हैं। अपनी नज़्मों में मीराजी ने जिस जीवन-दृष्टि को प्रस्तुत किया है, वह तरक़्क़ीपसन्द तहरीक के मुक़ाबले, उसके ख़िलाफ़ एक वैकल्पिक जीवन-दृष्टि है; वह दुनिया और दुनिया के मसाइल को देखने का एक ख़ालिस जिंसी नज़रिया है, और वह एक ऐसा नज़रिया है जिसे फ़्रायड के उन सिद्धान्तों से बहुत ही बल प्राप्त होता है जिसे बाद के मनोवैज्ञानिकों ने त्याग दिया था।
सच बात तो यह है कि मीराजी से लेकर बहुत बाद के शायरों तक, हम यही देखते हैं कि हमारा ‘जदीद’ शायद सामाजिक प्रश्नों को उठाता भी है तो उनकी ओर उसकी दृष्टि तभी जाती है जब उसकी यौन-तृप्ति की इच्छा चूर-चूर हो चुकी होती है, उससे पहले नहीं। सामाजिक और वर्गीय भेदों पर मीराजी के क्लर्क की नज़र इसी दु:ख के कारण जाती है, लेकिन इन भेदों का हल उसके नज़दीक सिर्फ़ यही है कि वह भी एक अफ़सर बन जाए। ज़ाहिर है कि ऐसे किसी नज़रिए में बुनियादी सामाजिक परिवर्तन के लिए कोई जगह हो नहीं सकती। लेकिन कब तक? एक वक़्त ऐसा भी आता है कि व्यक्ति ज़ेहनी ऐयाशियों से भी परे भाग जाना चाहता है, और इस स्थिति का गवाह मीराजी से बढ़कर भला और कौन हो सकता है।
Chalo Tuk Mir Ko Sunne
- Author Name:
Meer Taqi Meer
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मीर की शायरी इश्क़-ओ-मोहब्बत, ज़िन्दगी के रंज-ओ-ग़म, जीवन के दर्शन, इसके उतार-चढ़ाव, सामाजिक चेतना, समाज में धर्म का स्थान, बादशाहों का बनना-बिगड़ना, मानव मूल्य और उनके आपसी सम्बन्ध आदि अनेक पहलू अपने अन्दर समेटे हुए है। जब हम मीर के शे’र पढ़ते हैं तो हर शे’र में कोई नसीहत, कोई दर्शन, कोई सन्देश, कोई अनुभव छुपा रहता है। लेकिन मीर की शायरी की अस्ल बुनियाद इश्क़ है। मीर के पिता एक सूफ़ी थे और पिता ने मीर को बचपन से ही इश्क़ का पाठ पढ़ाया। बाप की इश्क़ की शिक्षा का मीर पर ऐसा असर पड़ा कि उनकी शायरी से इश्क़ का कोई पहलू अछूता न रहा। उनकी ग़ज़लों, मस्नवियों, रुबाइयों—सभी में इसी इश्क़ के तमाम नमूने भरे पड़े हैं जो पिछले ढाई सौ-तीन सौ वर्षों से हमारी शायरी का आधार हैं।
दाग़-ए-दिल-ए-ख़राब शबों को जले है ‘मीर’
इश्क़ इस ख़राबे में भी चराग़ इक जला गया
Lambi Muchon Wali Billi
- Author Name:
Rameshraaj
- Book Type:

- Description: छोटे बच्चों के लिए छोटे, सुंदर बाल गीत
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