Apurna Aur Anya Kavitayein
Author:
K. SatchidanandanPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 396
₹
495
Unavailable
अपूर्ण और अन्य कविताएँ के. सच्चिदानन्दन की कविताओं के हिन्दी अनुवाद का एक महत्त्वपूर्ण संकलन है। इसके पहले उनकी कविताओं के दो हिन्दी संकलन ‘के. सच्चिदानन्दन की कविताएँ’ और ‘वह जिसे सब याद था’ प्रकाशित हो चुके हैं।
प्रस्तुत संकलन में मुख्यत: वे कविताएँ संगृहीत हैं जो यात्रानुभवों और प्रेम से सम्बद्ध हैं। एक लम्बी कविता ‘अपूर्ण’ इन दो विषयों को अनुस्यूत करती हैं : यह कविता स्टॉकहोम, दिल्ली और पेरिस में लिखी गई थी। 'उत्तरकांड' चीन पर लिखी कविताओं की शृंखला है—और यह ध्यान पर एकाग्र है। अध्यात्म, प्रेम, प्रकृति, राजनीति और कविताएँ सभी कविता के पाठ में शामिल हैं। ‘उत्कल’ और ‘हम्पी में शामें’—केवल स्थान विशेष का विवरण मात्र नहीं, बल्कि स्मृति और कल्पना से संघनित हैं। कवि की प्रेम कविताओं में जहाँ असाधारण तीव्रता है वहाँ समय की निरन्तर उपस्थिति को लक्ष्य किया जा सकता है। —संग्रह की अधिकांश कविताएँ हमारे समय के आक्रोश, बिखराव और विद्रोह को व्यक्त करती हैं। ये कविताएँ अपनी कल्पना-शक्ति, प्रखर अनुभूति, ध्यानपरकता और व्यंग्य-भाव के लिए जानी जाएँगी।
ISBN: 9788126701858
Pages: 114
Avg Reading Time: 4 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Description:
सौन्दर्य, संवेदना और प्रतिरोध के अद्वितीय कवि हैं रामधारी सिंह ‘दिनकर’, और इस बात को उनके आरम्भिक आत्ममंथन युग की रचना ‘रसवन्ती’ में भी लक्षित किया जा सकता है। इस संग्रह में प्रकृति या ऋतुओं का सौन्दर्य हो; स्त्री-पुरुष का प्रेम हो, पीड़ा का आरोह हो; संघर्ष-सरोकारों की छटपटाहट हो, सामाजिक मूल्य-ह्रास या आगत की रहस्यमयता हो—दिनकर एक साधक के रूप में सभी को निम्नतम से उच्चतम स्तर तक बग़ैर किसी दृष्टिबन्ध के साधते दृष्टिगत होते हैं। यह राष्ट्रकवि की उदात्त अन्तश्चेतना ही है कि वे अपनी परम्परा से विलग नहीं होते और कालिदास के जीवन को साक्षात् करते अपने रचना-लोक में उन्हें ‘कविगुरु’ कहते हैं।
उल्लेखनीय है कि ‘गीत-शिशु’, ‘रसवन्ती’, ‘बालिका से वधू’, ‘प्रीति’, ‘दाह की कोयल’, ‘नारी’, ‘अगुरु-धूम’, ‘पुरुष-प्रिया’, ‘पावस-गीत’, ‘कत्तिन का गीत’, ‘कालिदास’, ‘सावन में’, ‘भ्रमरी’, ‘रहस्य’, ‘शेष गान’ आदि रचनाएँ अपनी प्रांजल प्रवाहमयी भाषा, उच्चकोटि के छन्द विधान और सहज भाव-सम्प्रेषण के कारण इस संग्रह के प्राण-तत्त्व की तरह हैं, जो पढ़नेवाले की स्मृति में रच-बस जाती हैं।
वस्तुत: ‘रसवन्ती’ दिनकर के अन्वेषी मन की विशिष्ट और अविस्मरणीय कृति है।
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