Chalo Tuk Mir Ko Sunne
Author:
Meer Taqi MeerPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 799.2
₹
999
Available
मीर की शायरी इश्क़-ओ-मोहब्बत, ज़िन्दगी के रंज-ओ-ग़म, जीवन के दर्शन, इसके उतार-चढ़ाव, सामाजिक चेतना, समाज में धर्म का स्थान, बादशाहों का बनना-बिगड़ना, मानव मूल्य और उनके आपसी सम्बन्ध आदि अनेक पहलू अपने अन्दर समेटे हुए है। जब हम मीर के शे’र पढ़ते हैं तो हर शे’र में कोई नसीहत, कोई दर्शन, कोई सन्देश, कोई अनुभव छुपा रहता है। लेकिन मीर की शायरी की अस्ल बुनियाद इश्क़ है। मीर के पिता एक सूफ़ी थे और पिता ने मीर को बचपन से ही इश्क़ का पाठ पढ़ाया। बाप की इश्क़ की शिक्षा का मीर पर ऐसा असर पड़ा कि उनकी शायरी से इश्क़ का कोई पहलू अछूता न रहा। उनकी ग़ज़लों, मस्नवियों, रुबाइयों—सभी में इसी इश्क़ के तमाम नमूने भरे पड़े हैं जो पिछले ढाई सौ-तीन सौ वर्षों से हमारी शायरी का आधार हैं।</p>
<p>दाग़-ए-दिल-ए-ख़राब शबों को जले है ‘मीर’</p>
<p>इश्क़ इस ख़राबे में भी चराग़ इक जला गया
ISBN: 9789360864910
Pages: 688
Avg Reading Time: 23 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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सुनील गंगोपाध्याय के देहावसान के बाद विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने एक कविता लिखी—‘पत्र जिसे पढ़नेवाला चला गया’। इसकी पंक्तियाँ हैं—‘कौन जाने नीरा का पत्र हो जिसके लिए लिखता रहा वह कविताएँ और कविताएँ और कविताएँ।’
सुनील गंगोपाध्याय की रचनाशीलता में 'नीरा' का एक विचित्र स्थान है। एक साथ ऐन्द्रिक और अतीन्द्रिय। 'नीरा के लिए' कविता-संग्रह में इसका अनुभव किया जा सकता है। प्रस्तुत कविता-संग्रह की भूमिका में सुनील गंगोपाध्याय स्वीकारते हैं, “...तमाम बीते बरसों में नीरा बार-बार घूम-फिरकर आती रही मेरी कविता में। मेरी उम्र ढल रही है पर नीरा आज भी किसी स्थिर चित्र की तरह ‘नव-यौवना’ है। मैं उसे रक्त-मांस की मानवी बनाकर रखना चाहता हूँ पर कभी-कभी अचानक से वह प्रवेश कर जाती है शिल्प की सीमाओं के भीतर।
मैं उसे फिर वापस ले आना चाहता हूँ, उसके पाँव में काँटे चुभ जाते हैं, उसकी आँखों में अश्रु झिलमिलाने लगते हैं। यह दूरी, साथ ही यह आलिंगन की निकटता, नीरा के साथ यह खेल चलता ही रहा है जीवन-भर।”
मूलत: बांग्ला में लिखी इन कविताओं का सोमा बंद्योपाध्याय द्वारा किया गया यह अनुवाद मौलिक आस्वाद प्रदान करता है। आसक्ति व अनासक्ति के बीच विचरण करती अद्भुत कविताओं का प्रीतिकर संग्रह।
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