Betarteeb - Weekend Wali Kavita
Author:
Vinod DubeyPublisher:
FlyDreams PublicationsLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 176
₹
220
Available
सुबह का वक़्त कपालभांति में गुज़ारा,
तो चाय पर पत्नी के विचार छूट गए।
कॉर्नफ़्लेक्स और फ़्रूट प्लेट में रखे,
तो आलू के परांठे और नींबू के अचार छूट गए।
न ज़िन्दगी की ये छोटी-बड़ी उलझने बदलती हैं, ना हम बदलते है। कविताएँ बस इन्हें देखने का नज़रियाँ बदल देती हैं। लाख योजनाओं के बावज़ूद जैसे हम अस्त-व्यस्त-सी ज़िन्दगी जीते हैं, ठीक उसी तरह इस संग्रह की कविताएँ भी बेतरतीब विषयों पर लिखी गयी हैं। कई बार हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी बिलकुल नीरस हो जाती है, जैसे जेठ की दुपहरी में सड़क पर लावारिस पड़ा टीन का डिब्बा।
इसी ज़िन्दगी से निकली इन कविताओं को फुर्सत के पलों में पढ़ियेगा, क्या पता उस जेठ की नीरसता को बसंत की नज़र लग जाए।
ISBN: 9789391439941
Pages: 144
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: श्रीकान्त वर्मा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी के सम्भवत: सबसे ऊर्जस्वित लेखकों में हैं। वे मूर्धन्य कवि हैं, सटीक कहानीकार हैं, और अनोखे उपन्यासकार। वे उन विरले कवियों में हैं जिन्होंने अपने भीतर से होकर बहती पिघलते लोहे-सी काव्य-धारा को पूरे धीरज से सहा और उसे बिल्कुल नए काव्य-विन्यासों में ढाला। यह भी सच है कि कई बार इस पिघले लोहे के-से काव्य-आवेग ने उन्हें धीरज बरत सकने का अवकाश नहीं दिया या शायद अपने घुमड़ते काव्य-आवेग के आगे कवि का धीरज निष्फल हो गया लेकिन तब यह काव्य-आवेग या काव्य-संवेदन उन्हीं की कविताओं के सुघड़ विन्यासों में आसपास, यहाँ-वहाँ चिनगारियों की तरह बिखर गया। शायद इसीलिए उनकी कविताएँ उनके काव्य-संयम और काव्य-असंयम का विलक्षण साक्ष्य और फलन हैं। उनके धीरज और उनकी हड़बड़ी दोनों का पारदर्शी अंकन। ऊर्जस्वित कवि होने के साथ-साथ श्रीकान्त वर्मा पक्के गद्यकार भी हैं। उनका गद्य गद्य की सारी शर्तों पर खरा उतरता गद्य है। उसमें वाक्य-सौन्दर्य है पर ‘कवितायी’ नहीं, उसमें विवरण हैं पर फिजूल ढीलापन नहीं। शायद इतना कसा हुआ गद्य बहुत कम लेखकों ने लिखा होगा। उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास, यात्रा-वृत्तान्त और निबन्ध लिखे हैं। श्रीकान्त वर्मा शायद हिन्दी में कविता के सर्वश्रेष्ठ अनुवादक भी रहे हैं। उन्होंने कई रूसी, जर्मन, जापानी, फ्रांसीसी, हंगारी और मैक्सिकन कविताओं के अनुवाद किए। इस संकलन में उनमें से कुछ अनुवादों को भी शामिल किया जा रहा है।
Divya Gandha
- Author Name:
Aadya Swaroop Pandey
- Book Type:

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Description:
जैसे पानी तत्त्वत: दो हाइड्रोजन और एक ऑक्सीजन अणु का रासायनिक संयोजन है, उसी प्रकार दो नारियाँ गंगा और सत्यवती समान रूप से दिव्य हैं—एक पारलौकिक मिथकों के आधार पर और दूसरी लौकिक इतिवृत्त के आधार पर।
( इसी पुस्तक की भूमिका से)
Aspatal Ke Bahar Telephone
- Author Name:
Pawan Karan
- Book Type:

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Description:
‘पिता की आँख में परायी औरत’, ‘उधारीलाल’, ‘स्कूटर’ और ‘मुझ नातवाँ के बारे में : पाँच प्रेम कविताएँ’ इस संग्रह में शामिल ये कुछ ही कविताएँ पवन करण के कवि की गहराई और ऊँचाई, दोनों का प्रमाण दे देती हैं। ये कविताएँ एक व्यक्ति के रूप में उनकी विस्तृत चेतना और कवि के रूप में उस चेतना को शब्दों में बाँधने, साधने और जन-मन की धारा में प्रवाहित कर देने की क्षमता की साक्षी हैं।
यह विस्मयकारी है कि अक्सर मुख्यधारा की चर्चा में बने रहनेवाले पवन करण कविता के प्रचलित मुहावरों से बिलकुल भी प्रभावित न होते हुए, जीवन के जिस भी इलाक़े में जाते हैं, एक क़तई अपनी तरह की कविता लेकर आते हैं। विषय के चुनाव में भी वे किसी रूढ़ि को आगे नहीं बढ़ाते, न ही किसी धारा का अनुकरण करते; जीवन का सब कुछ उनके लिए कविता है, और हर क्षण वे कवि हैं, हर सम्भव विषय उनके लिए कविता का विषय है। बाज़ार हो, राजनीति हो या सरकारी पाखाना-घर, चाँद हो, वकील हो या अस्पताल के बाहर लगा एक अदना-सा टेलीफ़ोन, वे हर कहीं एक लय तलाश कर लेते हैं जिसमें ये चीज़ें पुनः, और इस बार एक कविता के रूप में, हमारे सामने से गुज़रती हैं। संग्रह की लगभग प्रत्येक कविता इसका सबूत है।
ये कविताएँ उन्हीं लोगों के शब्दों और मुहावरों में बात करती हैं जिनकी ये कविताएँ हैं यानी हम और आप। यहीं हमारे सामने से शुरू होकर और हमारे देखते-ही-देखते हमारी दृष्टि-सीमा से ऊँचे, कहीं अबूझ और अपार होती व्यवस्था के प्रति हमारी प्रतिक्रिया भी इन कविताओं में है, और विषाद भी। हमारे जीने का उछाह भी इनमें है और अवसाद भी। इनमें हमारा बड़ा होना भी है और छोटा होना भी, हमारी हिंसा भी और हमारी करुणा भी।
Prem Politics
- Author Name:
Prasanna Soni
- Book Type:

- Description: Book
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