Bhawaniprasad Mishra Sanchayita
Author:
Prabhat TripathiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 1160
₹
1450
Available
Bhawaniprasad Mishra Sanchayita
ISBN: 9788126706600
Pages: 543
Avg Reading Time: 18 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
प्रस्तुत पुस्तक अनुवाद को विशुद्ध भाषा संवाद मानने की प्रचलित मान्यता से प्रस्थान का विमर्श है। यह अनुवाद को दो भाषाभाषी समाजों और सभ्यताओं में भाषिक अपरिचय के बरअक्स परिचय एवं संवाद का सेतु मानने, विकास की दौड़ में पिछड़े समाजों की आवाज़ मानने और सभ्यता संवाद मानने का तार्किक घोषणापत्र है। इसमें अनुवाद को किसी भाषा रचना की दूसरी भाषा में पुनर्रचना मानने और इस तरह उसे रचना का अनश्वर उद्यम मानने की मुकम्मल तर्क-रचना भी है। इस विमर्श में अनुवाद को सृजन का अनुसृजन बनाने की संस्तुति और तर्क का ताप यत्र-तत्र-सर्वत्र है। इस पुस्तक को पढ़ना समय के संघात से रू-बरू होना और अनुवाद के वैभव को समग्रता में समझना है। साथ ही भूमंडलीकरण, सूचना विस्फोट और बाज़ारवाद के दौर में मानवीय आकांक्षा, भाषा एवं राजनीति के रिश्ते तथा सरोकार को समझना और अपनी पक्षधरता को बेबाक व तलस्पर्शी बनाना भी है।
प्रशासनिक तथा तकनीकी अनुवाद को सरल, सहज एवं सर्जनात्मक बनाने के लिए जिरह करती यह पुस्तक, अपने तर्क एवं विमर्श से अनुवादवेत्ताओं, विशेषज्ञों और सुधि अध्येताओं के बीच समान रूप से समादृत होगी।
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