The Prince
Author:
Niccolo MachiavellePublisher:
Mandrake PublicationsLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 167.2
₹
209
Unavailable
वेत्तोरी को लिखे पत्र में मैकियावेली यह निष्कर्ष निकालते हैं कि ‘इस छोटी-सी किताब को जब पढ़ा गया तो यह देखा गया होगा कि मैंने इन 15 सालों के दौरान शासन कला का कितना अध्ययन किया है। मैं न कभी सोया, न कभी निष्क्रिय रहा। हर आदमी इच्छा रखता है कि दूसरों की सेवा करके अनुभव प्राप्त किये व्यक्ति को अपनी सेवा में रखे। मेरी विश्वसनीयता पर किसी को कोई शक़ नहीं होना चाहिये, क्योंकि मैंने जो विश्वास एक बार जीता, उसको हमेशा बनाए रखा, तोड़ना नहीं सीखा। मैं अपने मालिक का भरोसेमंद और ईमानदार हूँ लेकिन उसकी फ़ितरत मैं नहीं बदल सकता। मेरी ग़रीबी मेरी ईमानदारी की गवाह है।’ यद्यपि लगभग चार शताब्दियों का ध्यान ‘द प्रिंस’ पर केंद्रित रहा है परंतु इसकी कुछ समस्याएँ अभी भी बहस के योग्य और दिलचस्प हैं क्योंकि शासकों और शासितों के बीच अनंत समस्याएँ हैं। यही आचार-विचार मैक्योवली के समकालीनों के भी हैं लेकिन नहीं कहा जा सकता कि यह सब नैतिकता यूरोप की पुरानी सरकारों में भी रही होगी। हमें आदर्श बल की बजाए उपलब्ध सामग्री पर भरोसा करना चाहिए। मैक्योवली जिस तरह से सरकार और आचरण के सिद्धांतों का वर्णन करते हैं, उससे घटनाएँ और व्यक्ति दिलचस्प हो जाते हैं।
ISBN: 9788194785439
Pages: 180
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: FlyWings Classics लेकर आये हैं वर्ल्ड, क्लासिक फंतासी चिल्ड्रेन सीरीज में 'Five Children and IT by E. Nesbit (हिंदी अनुवाद- मोहम्मद अज़ीम) - - - सिरिल, रॉबर्ट, एन्थिया, जेन और हिलेरी अपने माता-पिता के साथ लंदन शहर से दूर गाँव के शांत वातावरण में बने घर में रहने के लिए आते हैं। फिर उन्हें घर के पीछे रेत के पुराने बड़े से टीले के पार खेल-खेल में मिलता है 'सैमिएड' नाम का एक विचित्र रेत-परी, जो प्रागैतिहासिक काल से लंबी नींद के बाद अब जाग उठा है... जिसके पास हैं अद्भुत जादुई शक्तियाँ, जिससे वो उनकी कोई भी इच्छा पूरी कर सकता है...उन जादुई इच्छाओं से उन बच्चों को वो सब कुछ मिलता है जो वो चाहते हैं...अतुल्य सुंदरता, असीमित धन, उड़ने की शक्ति, और भी बहुत कुछ, जिसकी अब तक उन्होंने सिर्फ कल्पनाएं ही की थीं... लेकिन साथ ही उनका नया दोस्त सैमिएड उन्हें चेतावनी भी देता है कि, "जो चाहे वो माँगो... लेकिन ज़रा संभलकर..!" क्योंकि हर जादुई इच्छा पूरी होने के साथ ही बदकिस्मती से हर बार उन्हें करना पड़ता है कई अनचाही मुसीबतों का सामना भी...कभी वो खुद अपने ही घर से बेघर कर दिए जाते हैं, कभी वो खुद को घर से कोसों दूर एक अनजान चर्च-टॉवर पर अकेला फँसा हुआ पाते हैं, कभी उनके छोटे भाई को हर कोई अगवा कर लेना चाहता है तो कभी उनका दूसरा भाई बन जाता है एक विशालकाय दानव... और अभी ये उनके अनचाहे रोमांच की बस एक शुरुआत भर है..!!
Arctic : Madhya Ratri Ke Surya Ka Kshetra
- Author Name:
Neloy Khare +1
- Book Type:

- Description: आर्कटिक ः मध्य रात्रि के सूर्य का क्षेत्र—निलय खरे, श्यामसुंदर शर्मा पृथ्वी के सुदूर उत्तरी भाग में स्थित आर्कटिक क्षेत्र अपने में एक पूरे महासागर को समेटे हुए है और वर्ष में अधिकांश समय बर्फ से ढका रहता है। यद्यपि यह इतना निर्जन प्रदेश तो नहीं है, जैसा कि एकदम दक्षिण में स्थित अंटार्कटिक, परंतु संसार के सबसे विरल आबादीवाले क्षेत्रों में से एक अवश्य है। भारत के लिए आर्कटिक महासागर का विशेष महत्त्व है। यह महासागर न सिर्फ हमारी जलवायु बल्कि मानसून पवनों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से प्रभावित करता है, इसलिए आर्कटिक का गहन अध्ययन हमारे वैज्ञानिकों के लिए समय-संगत है। प्रस्तुत पुस्तक आर्कटिक क्षेत्र की भौतिक रचना, इसकी खोज का इतिहास, जलवायु, बर्फ, खनिज, यहाँ के निवासी, यहाँ पाई जानेवाली वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं और भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों इत्यादि का रोचक वर्णन सरल भाषा में करने का प्रयास किया गया है। पुस्तक के लेखक डॉ. निलय खरे स्वयं तीन बार आर्कटिक जा चुके हैं। उनके स्वयं के अनुभवों और व्यावहारिक ज्ञान से परिपूर्ण यह पुस्तक अत्यंत प्रामाणिक और जानकारीपरक बन गई है।
HASHIYE PAR HASRAT
- Author Name:
Bhim Singh Bhavesh
- Book Type:

- Description: "‘हाशिए पर हसरत’ एक ऐसे कटु यथार्थ का दस्तावेज है, जो हमारे समाज के लिए आज भी शर्म का बायस है। भारतीय समाज की संरचना में जाति-वर्ण की विभाजक रेखा इतनी प्रतिगामी और अमानवीय साबित हुई है कि एक सभ्य समाज उससे जितनी जल्द मुक्त होगा, उसका उतना ही भला होगा। यह पुस्तक उसी परिप्रेक्ष्य में भारतीय समाज की जाति-व्यवस्था में अस्पृश्य जातियों की अंतिम पंक्ति में खड़े मुसहर जाति की स्थिति से रू-ब-रू कराने की कोशिश है। भीम सिंह भवेश की यह पुस्तक वस्तुतः समाज विज्ञान में एक शोध है। यह पुस्तक मुसहरों के जीवन, उनकी जीवन-दृष्टि, आपसी संबंधों, दशा-दिशा, भविष्य और समाज की मुख्यधारा के प्रति उनकी धारणाओं का प्रामाणिक दस्तावेज है। मुसहर-टोलों के जीवन को जिस संवेदना के साथ भवेश ने उकेरा है, उसका एहसास इसे पढ़ने पर होता है। उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, मान्यताओं और जटिलताओं को लेखक ने बहुत करीब से देखा है। ग्रामीण जीवन के अमर चितेरे फणीश्वर नाथ रेणु के जन्म शताब्दी वर्ष में ‘हाशिए पर हसरत’ का प्रकाशन ‘मैला आँचल’ के लेखक को सबसे अच्छी श्रद्धांजलि भी है। भवेश ने जानकारियाँ जुटाने में मेहनत तो की ही है, उन्हें प्रस्तुत भी रोचक शैली में किया है। इसीलिए यह शुष्क शोध नहीं, बल्कि पठनीय कथ्य के माध्यम से संवेदनशील विषय के प्रति हमारे अंदर संवेदना जगाती है। यही इस पुस्तक की विशेषता है। यह पुस्तक मुसहर जाति को समझने, उनके दारुण दुःखों को महसूस करने और उन्हें उच्च मानवीय गरिमा प्रदान करने के प्रयासों को बल देगी। —अवधेश प्रीत "
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