Shadows of Solitude
Author:
Aryani BanerjeePublisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
EnglishCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 209.95
₹
247
Available
Twenty-nine-year-old aniya finds it extremely difficult to cope after her fiancé abhishar Sen’s untimely demise. Solitude takes her on a roller coaster ride, and she suddenly develops feelings for her Jovial reporting manager Vinod Gupta, which she believes is an infatuation created by the void abhishar’s death has left in her life. Amidst all this, she comes to know that Mohan – one of her colleagues she becomes friends, has been in love with her for a long time. Droplets of hope trickle down the moist glass of her broken heart; who will she choose?
ISBN: 9789385137808
Pages: 200
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: -
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Description:
‘दिनमान’ (5-11 अगस्त, 1984) के ‘फ़िलहाल’ स्तम्भ में, ‘परिशिष्ट’ के बारे में गिरिराज किशोर का कथन छपा था, “अनुसूचित कोई जाति नहीं, मानसिकता है। जिसे अभिजातवर्ग (जिसका वर्चस्व हो) परे ढकेल देता है, वह अनुसूचित हो जाता है।” ‘परिशिष्ट’ इसी भयानक मानसिकता को उद्घाटित करनेवाला एक महाअभियोग है। अपने बहुचर्चित उपन्यास ‘यथा प्रस्तावित’ में भी गिरिराज ने इसी वर्ग की दारुण पीड़ा को चित्रित किया था। राष्ट्रीय महत्त्व की महान शिक्षा-संस्थाओं में किसी तरह दाख़िला प्राप्त करनेवाले साधनहीन और तथाकथित जातिहीन छात्रों की त्रासदी, उबलते तेल में डाल दिए जानेवाले व्यक्ति के संत्रास की तरह होती है जो पहली बार ‘परिशिष्ट’ के रूप में सामने आई है।
राष्ट्रीय स्तर पर ऊँच-नीच और छुआछूत का विष फैला है। आरक्षणवादी नीतियों के बावजूद इनसान को जिस अमानवीय स्थिति का सामना करना पड़ता है, वह हर एक को अपने गिरहबान में मुँह डालकर झाँकने के लिए मजबूर करती है। उपन्यास से पता चलता है कि लेखक उस सबका अन्तरंग साक्षी है। अपनी मुक्ति की लड़ाई लड़नेवाला हर पात्र एक ऐसे दबाव में जीने के लिए मजबूर है जो या तो उसे मरने के लिए बाध्य करता है या फिर संघर्ष को तेज़ कर देने की ख़ामोश प्रेरणा देता है। यह उपन्यास गिरिराज किशोर की पहचान को ही गहरा नहीं करता बल्कि हिन्दी उपन्यास की परम्परा को समृद्ध भी करता है।
एक लड़ाकू जहाज़ की तरह ऊपर उठते-उठते फट पड़नेवाला, उसी वर्ग का एक पात्र रामउजागर आत्महत्या से पहले नोट लिखकर जेब में रख लेता है कि “मेरा जाना स्वेच्छा से है। गवेषणात्मक है। हालाँकि उसका प्रतिफल दूसरों को बाँट पाना सम्भव नहीं होगा।...किसी घृणा या शिकायत के कारण नहीं, एक आत्मीयता और आत्म-सन्तोष के कारण मेरा केवल यही प्रश्न है कि जब प्रकृति, जिससे हम सब कुछ पाते हैं, घृणामुक्त है, तो मनुष्य मुक्त क्यों नहीं?”... उपन्यास का नायक अनुकूल एक संकल्पशील व्यक्ति है जो सहता है, भोगता है और विचलित नहीं होता। वस्तुतः ‘परिशिष्ट’ संत्रास, संघर्ष और संकल्प की महागाथा है।
Vyasparva
- Author Name:
Durga Bhagwat
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- Description: महाभारत भारतीय मनीषा की ऐसी पूँजीभूत अभिव्यक्ति है कि इसके बारे में यह कथन अतियुक्ति नहीं लगती कि जो कुछ भारत में है वह सब महाभारत में है, और जो इसमें नहीं है वह कहीं नहीं है। आश्चर्य नहीं कि ऐसे महाग्रन्थ का अध्ययन, मनन और उसकी व्याख्या किसी के लिए भी आसान नहीं है। उसके सामाजिक आशय के सम्यक स्वरूप को पहचानना अथवा विशद रूप में समझाना तो और भी कठिन है। इस कठिनाई के प्रत्युत्तरस्वरूप, मराठी भाषा की प्रमुख चिन्तक-साहित्यकार दुर्गा भागवत ने इस पुस्तक में, महाभारत के सत्य को उसके प्रमुख पात्रों के ज़रिये अत्यन्त सहज और लालित्यपूर्ण ढंग से व्याख्यायित किया है। ‘व्यासपर्व’ गहन चिन्तन और ललित अभिव्यक्ति के सहज सामंजस्य से निर्मित कृति है जिसमें विदुषी लेखक ने स्पष्ट किया है कि करुणा जब प्राणों में बस जाती है तभी धर्म का दर्शन होता है। उन्होंने इस जीवन-सत्य की ओर भी संकेत किया है कि मनुष्य मूलतः मनुष्य है; उसका लक्ष्य भी मनुष्य ही है। श्रीकृष्ण, भीष्म, द्रोण, गान्धारी, अश्वत्थामा, अर्जुन, दुर्योधन, कर्ण, विदुर, द्रौपदी, एकलव्य आदि की अद्भुत झाँकी इस पुस्तक में साकार उपस्थित हुई है जिनमें व्यक्तित्व और इतिहास ही नहीं, हमारा समय भी मुखरित होता है। निःसन्देह ‘व्यासपर्व’ भारतीय संस्कृति की एक बहुआयामी व्याख्या है। यह कृति गद्य भी है और काव्य भी, जो ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्’ के समन्वित स्वरूप को उद्भासित करती है। बार-बार पढ़ने और संग्रह करने योग्य एक अनुपम पुस्तक।
Divergence
- Author Name:
Nupur Luthra
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- Description: Hermann Hesse once said “every age, every culture and tradition has its own character, its own strengths, its own weakness and its beauties and cruelties” who would we be if it weren’t for our customs, cultures and traditions. Anu, a young girl of Mumbai, felt the same way. She was born and raised in Mumbai, did her schooling in Delhi and college in the U.S. She had never understood what the customs and traditions of every religion was all about? She failed to recognize why most religions had such strict customs and why most people were orthodox and most modern. She gets into a fight with her husband on Diwali as why they should have the Diwali Pooja. They have a major argument and Anu leaves the house and goes lives with her parents. Her parents had warned her Rajesh’s customary beliefs and customs. Anu refuses to go back to her house and decides she needs a holiday to get away from everyone. During her journey, she bumps into one of her old school friends, Rahul. They catch up on old times and have a lot of fun together. Anu asks him to go on this journey with her. Things take an interesting turn on this journey. This is a story about Anu who takes this journey to understand the customs and traditions of every religion. She travels to places like Jammu and Kashmir, the U.S.A, Africa and many more.
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